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रिश्तों में मधुरता बनी रहे इसके लिए दबाने की जगह खुलकर जाहिर करें अपनी फीलिंग्स

अपनों के लिए दिल में अच्छी भावनाएं होना स्वाभाविक है लेकिन कुछ लोग इनका खुलकर इज़हार नहीं कर पाते। इससे कई बार लोगों के बीच गलतफहमी पैदा हो जाती है। इसलिए हमें दूसरों के सामने खुलकर अपनी भावनाओं का इज़हार करना चाहिए।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 11:49 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 11:49 AM (IST)
खूबसूरत जगह पर रोमांटिक डनर एंजॉय करता हुआ कपल

हमारे आसपास कई ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें समझ पाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि वे दूसरों के सामने अपने मन की बातें खुलकर नहीं रख पाते। ऐसे लोग कब खुश और कब नाराज़ हैं, यह जानना बहुत मुश्किल होता है। कई बार ऐसे लोग दिल के बहुत अच्छे होते हैं लेकिन अति संकोची स्वभाव की वजह से ये अपनों के सामने भी अपनी पसंद-नापसंद को ज़ाहिर नहीं कर पाते। आसपास के लोगों को इनका व्यक्तित्व जटिल और रहस्यमय लगने लगता है, इसलिए वे इनसे दूरी बना लेते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि परिवार के सदस्यों से उनका हाल पूछना, खुद आगे बढ़कर उनकी मदद करना, उन्हें गिफ्ट देना, ऐसी छोटी-छोटी बातों से भी रिश्ते में मज़बूती आती है। अपनों के लिए हमारे दिल में केवल प्यार होना ही काफी नहीं, बल्कि गाहे-बगाहे अपने प्यार का एहसास दिलाना भी ज़रूरी होता है। अगर आपके मन में अपनों के प्रति प्यार और सम्मान है तो उसे ज़ाहिर करने में ज़रा भी संकोच न बरतें।

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बदलते वक्त की ज़रूरत

जो लोग इंट्रोवर्ट और शर्मीले होते हैं, वे पहले से ही यह मानकर चलते हैं कि दूसरा व्यक्ति बिना कुछ कहे केवल हाव-भाव से ही उनके मन की बातें समझ जाएगा। कुछ हद तक यह बात ठीक भी है कि अगर हमारा कोई अपना ज्य़ादा खुश या परेशान होता है तो हम उसे देखते ही उसके मन की बात समझ जाते हैं, लेकिन आज की भागदौड़ भरी जि़ंदगी में लोगों के पास इतना वक्त नहीं होता कि वे बिना कहे ही दूसरों के मन की बातें समझ जाएं। ऐसे में कुछ लोग यह सोचकर मन ही मन घुट रहे होते हैं कि मैं उदास हूं, फिर भी किसी ने मेरा हाल तक नहीं पूछा। इससे सामने वाले व्यक्ति के मन में उसकी नकारात्मक छवि विकसित होती है। कुछ लोग भावनाओं के इज़हार को दिखावा समझते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। अपनों के साथ सहज संवाद बनाने के लिए उनके सामने भावनाओं की अभिव्यक्ति ज़रूरी है। 

छिपाएं नहीं नाराज़गी

यहां बात केवल अच्छी भावनाओं की नहीं है, बल्कि दुख और नाराज़गी जैसी नकारात्मक भावनाओं को भी हमें लंबे समय तक दबाकर नहीं रखना चाहिए। झूठ की बुनियाद पर कोई भी रिश्ता लंबे समय तक नहीं टिक सकता। कभी न कभी सच्चाई सामने आ ही जाती है। रिश्तों की मज़बूती के लिए उनके प्रति ईमानदारी बहुत ज़रूरी है। चाहे परिवार के सदस्य हों या दोस्त, अगर उनके प्रति मन में कोई शिकायत या नाराज़गी है तो उसके सामने बेवजह झूठा अपनत्व दिखाना अनुचित है। इससे नाराज़गी कुंठा में बदल जाएगी, मन अशांत रहेगा और व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगेगा। अगर कोई व्यक्ति आपके ऐसे ईमानदार व्यवहार पर नाराज़ होता है तो सचेत हो जाएं और उसके साथ सम्मानजनक दूरी बनाए रखें।   

दूर करें गलतफहमी

चाहे घर हो या ऑफिस, हर जगह लोगों के विचारों में मतभेद होना स्वाभाविक है। जिस तरह हम खुद को सही मानते हैं, उसी तरह दूसरों के विचारों की भी उतनी ही अहमियत है। असहमति के बावजूद दूसरों की बातें ध्यान से सुनने के साथ हमें उनके विचारों का सम्मान भी करना चाहिए। केवल सोच में फर्क  की वजह से लोगों के आपसी रिश्ते में दरार नहीं आनी चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि जब मन की भावनाएं व्यक्ति के चेहरे पर अपने आप नज़र आती हैं तो फिर इनका इज़हार करने के लिए अतिरिक्त प्रयास की ज़रूरत क्यों पड़ती है? दरअसल, आज की व्यस्त दिनचर्या में लोगों के पास इतनी फुर्सत नहीं होती कि वे बारीकी के साथ दूसरों की भावनाओं को समझ सकें। इसलिए वर्तमान दौर में दूसरों के सामने सचेत ढ़ंग से अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति ज़रूरी है। अपने व्यवहार में अगर हम इन छोटी-छोटी बातों का खयाल रखें तो हमारे रिश्तों में मधुरता बनी रहेगी।               

Pic credit- https://www.freepik.com/free-photo/portrait-romantic-couple_8097210.htm#page=6&query=relationship&position=25 


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