Durga Puja 2020: क्यों बंगाल में सभी की सुबह होती है 'महिषासुर मर्दिनी' के पाठ से?
Durga Puja 2020 ये संगीतमय पाठ साल 1931 में रचा गया था। इस पाठ में मां दुर्गा की यात्रा और बुराई पर विजय का वर्णन है। 90 मिनट लंबा ये संगीतमय पाठ वर्ष 1931 में रचा गया था।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Durga Puja 2020: साल का वह समय आ गया जब हर बंगाली परिवार का सदस्य सुबह 4 बजे उठकर, महालाया के मौके पर बिरेंद्र कृष्णा भद्रा का 'महिषासुर मर्दिनी' पाठ सुनता है। हम इस खबर इसके बारे में आपको बताने जा रहे हैं...
90 मिनट लंबा ये संगीतमय पाठ वर्ष 1931 में रचा गया था। बानी कुमार द्वारा लिखित यह पाठ, भजन और भक्तिपूर्ण बंगाली संगीत का एक संयोजन है। इस पाठ में मां दुर्गा की यात्रा और बुराई पर उनकी विजय का वर्णन है। इस पाठ को भद्रा की व्यंग्यात्मक आवाज़ ने जीवित कर दिया है, इसे सुनते ही आप कई तरह की भावनाओं से गुज़रते हैं।
पहली बार रिकॉर्ड किए जाने के आठ दशक बाद भी उनकी गूंजती हुई आवाज़ आज भी हर बंगाल के रहने वालों के दिल पर राज करती है। यह सिर्फ एक महत्वपूर्ण दिन नहीं है, बल्कि एक भावुक दिन भी है क्योंकि बंगाल के लोग सबसे महत्वपूर्ण त्योहार दुर्गा पूजा के लिए साल भर इंतज़ार करते हैं।
महालया आधिकारिक रूप से श्राद्ध या पितृ पक्ष की समाप्ति और दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस साल महालया 17 सितंबर को मनाया गया। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा महालया के दिन पृथ्वी पर आती हैं।
आप भी यहां सुन सकते हैं बिरेंद्र कृष्णा भद्रा का 'महिषासुर मर्दिनी' पाठ:
महिषासुर मर्दिनी सुनने से क्यों मिलती है शांति और आनंद
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र भले ही संहार से जुड़ा हो, लेकिन इससे सुनने पर मन में एक आनंद, सकारात्मकता और शांति महसूस होती है। आप सोच रहे हैं कि आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है? तो वजह है इसका प्रस्तुतिकरण। लेकिन, फिर उसमें भी तो संहार की नकारात्मकता है। शायद इसलिए कि संहार अगर कल्याण से जुड़ा है तो वह शांतिदायक है, आनंद की रक्षा के लिए है और जगत में सकारात्मकता की रक्षा के लिए है।