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World Vegetarian Day 2022: शाकाहारी भोजन को दें खानपान में खास जगह, मिलेंगे कई सारे लाभ

World Vegetarian Day 2022 शाकाहारी भोजन खासतौर से सब्जियां सूक्ष्म पोषक-तत्वों का एक प्रमुख स्रोत हैं। सूक्ष्म-पोषक तत्व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और पुरानी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में भूमिका निभाते हैं। वेजिटेरियन डे पर आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

By Jagran NewsEdited By: Priyanka SinghPublished: Sat, 01 Oct 2022 11:25 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 11:25 AM (IST)
World Vegetarian Day 2022: शाकाहारी भोजन करने के फायदे

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Vegetarian Day 2022: सदियों से, भारतीय खान-पान की परंपरा में अलग-अलग मौसम के आधार पर सब्जियों के उपयोग का एक बेमिसाल पैटर्न विकसित हुआ है, जो विभिन्न खाद्यान्नों को उगाने, रोपण करने, कटाई करने, खाना बनाने और उनके संरक्षण पर आधारित है। आयुर्वेद इन सभी प्रक्रियाओं का मूल स्रोत है। जिसमें विभिन्न खाद्यान्नों के उपयोग को बड़ी अच्छी तरह से परिभाषित किया गया है। आयुर्वेद में मौसम के अनुसार खान-पान के दिशानिर्देश दिए गए हैं जिसे ऋतुचर्या कहा जाता है, जिसमें ऋतु का मतलब मौसम और चर्या का मतलब दिशानिर्देश होता है। ये अलग-अलग मौसमों और स्थानीय उपज को ध्यान में रखते हुए साल भर आहार एवं जीवनशैली में बदलाव के दिशानिर्देश के रूप में काम करते हैं। मौसमी सब्जियां दरअसल शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करने का कुदरती जरिया हैं और पारंपरिक आहार में हर मौसम में स्थानीय रूप से उपलब्ध सभी चीजों को शामिल किया जाता है।

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जानी-मानी फूड राइटर तथा हेल्थ एवं वेल-बीइंग कन्सल्टेंट और गोदरेज फूड ट्रेंड्स रिपोर्ट 2022 में लेखिका के तौर पर योगदान देने वाली, अनुश्रुति कहती हैं, "वास्तव में सब्जियों को पचाना थोड़ा कठिन होता है, और इसी वजह से आयुर्वेद में इस बात पर काफी बल दिया गया है कि सब्जियों का सेवन कब और कैसे किया जाना चाहिए। सब्जियों को सही मात्रा में वसा और मसालों के साथ पकाना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, ताकि हमें उनका सही लाभ मिल सके और शरीर में अच्छी तरह अवशोषण हो सके।”

गोदरेज फूड ट्रेंड्स रिपोर्ट 2022 के अनुसार, प्रतिरोधक क्षमता और सेहत के प्रति सजग रहने के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ-साथ मौसमी सब्जियों व खाद्य-पदार्थों के साथ लोगों के आंतरिक जुड़ाव की प्रवृत्ति स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है। वे आगे कहती हैं, "आयुर्वेद पर आधारित जीवन-शैली में ऋतुचर्या को बहुत अहमियत दी जाती है, जिसमें मौसम में परिवर्तन के साथ आहार में बदलाव और खास समय पर खास सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है।"

आयुर्वेद में पाचन के क्रम के आधार पर सब्जियों को 6 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। पत्तेदार सब्जियां इस सूची में सबसे ऊपर हैं जिन्हें पचाना सबसे आसान होता है। इसके बाद पुष्प शाक यानी फूलों पर आधारित सब्जियों, फल शाक यानी फलों पर आधारित सब्जियों, डंडा शाक यानी तने पर आधारित सब्जियां हैं, कंद या मूल शाक यानी जड़ वाली सब्जियों हैं और समस्वेदज शाक का स्थान आता है जिसे आमतौर पर मशरूम के रूप में जाना जाता है और इसका पाचन सबसे कठिन माना जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार वर्ष को दो अवधियों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक अवधि में तीन ऋतुएं होती हैं। उत्तरायण यानी सर्दियों के महीनों में शरद, हेमंत और शिशिर ऋतुएं होती हैं, तथा दक्षिणायन, यानी गर्मियों के महीनों में वसंत, ग्रीष्म एवं वर्षा ऋतुएं होती हैं।

सदियों से भारतीय खान-पान की परंपरा में हर निवाले का उद्देश्य सेहत को बनाए रखना और बेहतर बनाना है, जबकि पश्चिमी देशों के पोषण की संरचना काफी सीमित है जो मांसाहार पर आधारित है। साथ ही इसमें सूक्ष्म पोषक-तत्वों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। भारतीय सब्जियां सूक्ष्म पोषक-तत्वों का एक प्रमुख स्रोत हैं, जिसकी अनदेखी की गई है। इसलिए अलग-अलग खाद्य पदार्थों के मेल से कार्यात्मक पोषण और जैव उपलब्धता के बारे में निहित पारंपरिक ज्ञान को सदियों से बनाए रखा गया है। न्यूट्रीशन एंड वेलनेस कन्सल्टेंट, सुप्रिया अरुण बताती हैं, "सूक्ष्म-पोषक तत्व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और पुरानी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में भूमिका निभाते हैं और ये पोषक तत्व मुख्य रूप से फलों तथा सब्जियों में पाए जाते हैं।" निष्कर्ष के तौर पर सुप्रिया कहती हैं, "भारत में हमारे पास मौसम पर आधारित खानपान के तरीकों तथा पोषक तत्वों के बारे में बेहद प्रभावी जानकारी मौजूद है, लेकिन इस तरह की तमाम जानकारी स्थानीय रूप से उपलब्ध है और शायद ही कभी इन्हें दस्तावेज के रूप में दर्ज किया गया है।"

Pic credit- freepik 


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