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World Mental Health Day: इन उपायों को आजमाकर काफी हद तक कर सकते हैं मानसिक तनाव को दूर

अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के बिना स्वस्थ रहना थोड़ा मुश्किल है। स्वाभाविक रूप से व्यक्ति समाज और सरकार सबके सामने इस विषम स्थिति से निबटना एक बड़ी चुनौती है। लिहाजा इस परिस्थिति में सबके लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट में पारंगत होना बहुत जरूरी है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 02:48 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 02:48 PM (IST)
मानसिक तनाव दूर करने के लिए सुबह-सुबह मेडिटेशन करती युवती

हाल ही के महीनों में डिप्रेशन, आत्महत्या आदि के मामलों में जो बढ़ोती देखी जा रही है, वह इसी बात का प्रमाण है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने भी हाल ही में कोरोना महामारी से उत्पन्न स्थिति के संदर्भ में कहा है कि स्वजनों को खोने का गम, नौकरी छूटने का दुख, आइसोलेशन या अकेले रहने की दिक्कतें, आवागमन की असुविधा, आर्थिक तंगी और पारिवारिक रिश्तों में परेशानी, भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भय जैसे कारणों से बड़ी संख्या में लोग मानसिक तनाव से ग्रस्त हो रहे हैं। 

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अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के बिना स्वस्थ रहना थोड़ा मुश्किल है। लिहाजा कोविड-19 से निपटने में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं सरकारी नीति का आवश्यक हिस्सा होनी चाहिए। स्वाभाविक रूप से व्यक्ति, समाज और सरकार सबके सामने इस विषम स्थिति से निबटना एक बड़ी चुनौती है। लिहाजा, इस परिस्थिति में सबके लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट में पारंगत होना बहुत जरूरी है।मानसिक तनाव दूर करने के खास उपाय 

1. न तो अपनी किसी से तुलना करें और न ही प्रतिस्पर्धा: हर आदमी अनोखा है। क्षमता का किसी में अभाव नहीं। बस दृढ़ संकल्प और स्पष्ट लक्ष्य के साथ कर्मपथ पर चलते रहें। अच्छी बातें दूसरों से सीखें जरूर, पर किसी से अपनी तुलना करके मन दुखी न करें। प्रतिस्पर्धा के बजाय अनुस्पर्धा करें। कल से बेहतर आज कैसे परफॉर्म करें, इस पर फोकस करें। किसी भी समस्या का समाधान पाने के क्रम में धनुर्धर अर्जुन की तरह अपनी तैयारी पर अपना ध्यान केंद्रित करें।

2. लोगों की बात सुनें, काम की बात हो तो ग्रहण करें अन्यथा इग्नोर करें: लोग तो कहेंगे, लोगों का काम है कहना। फिर भी लोगों की बात शांति से सुनें। उनकी अच्छी बात की प्रशंसा जरूर करें। हां, अपने फायदे का जो कुछ हो उसे ग्रहण कर लें। आलोचना से विचलित न हों। अतिरेक आवेग या उत्तेजना में जवाब न दें। इससे कोई लाभ नहीं होता है। मानसिक तनाव जरूर बढ़ता है। अत: अनावश्यक बातों की अनदेखी कर आगे बढ़ें।

3. मोबाइल और सोशल मीडिया साधन मात्र हैं, जिंदगी नहीं: इन्हें अपने ज्ञानवर्धन और जरूरी क्रियाकलाप को सुगम बनाने के लिए उपयोग करें। अपनी जरूरत को ध्यान में रखकर मोबाइल उपयोग करें। सोशल मीडिया में परोसे जाने वाले अपुष्ट तथा नकारात्मक खबरों व लेखों आदि पर समय बर्बाद करने के बजाय मोटिवेशनल, सकारात्मक और तथ्यात्मक कंटेंट को देखें-पढ़ें। इससे समय बचेगा और तनाव घटेगा। 

4. आयुर्वेद बहुत लाभकारी: तनाव को अच्छी तरह मैनेज करने में आयुर्वेद की खास भूमिका है। खासकर ऐसे वक्त वात, पित्त और कफ में संतुलन स्थापित करने में यह बहुत सहायक है। हल्का व ताजा खाओ, तरोताजा रहो का संदेश आयुर्वेद के सिद्धांत में निहित है। कहा भी गया है जैसा अन्न, वैसा मन। आयुर्वेद में राजसिक और तामसिक आहार के बजाय सात्विक भोजन को श्रेष्ठ माना गया है। तनाव की अवस्था में सात्विक, संतुलित और पौष्टिक आहार से हमारे शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन, मिनिरल जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलते है, जिससे हम ज्यादा ऊर्जावान बने रहते हैं। मानसिक तनाव की स्थिति में आहार में विशेषकर संतरा, नींबू, आंवला, केला, दूध, अखरोट, बादाम, वेजिटेबल सूप, हर्बल चाय आदि को शामिल करना बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में तनाव या चिंताग्रस्त होने पर तुलसी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी आदि का सेवन भी काफी उपयोगी माना गया है। हर्बल काढ़ा या हर्बल टी से भी बहुत लाभ मिलता है। इन सबके समेकित प्रभाव से शरीर में हैप्पी होरमोंस का स्त्राव तेजी से होता है, जिससे तनाव कम होता है और हम अच्छा महसूस करते हैं। 

5. नियमित योग करें: मानसिक तनाव को कम करने में योग की प्रभावी भूमिका है। सूर्योदय के समय किसी खुले स्थान में पहले आसन, फिर प्राणायाम और अंत में ध्यान करें। इस क्रम में पूरे योगाभ्यास को 30-40 मिनट में पूरा किया जा सकता है। माहौल प्राकृतिक हो तो ज्यादा लाभ मिलता है। कुछ देर सामान्य वार्मअप एक्सरसाइज के बाद पवनमुक्तासन श्रेणी के चार-पांच आसन जैसे ताड़ासन, कटि चक्रासन, भुजंगासन, शशांकासन, नौकासन नियमित रूप से करें। प्राणायाम यानी ब्रीदिंग एक्सरसाइज में अनुलोम-विलोम, कपालभाती, उज्जायी, शीतली और भ्रामरी से शुरू कर सकते हैं। डीप ब्रीदिंग करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है और रक्त प्रवाह में भी काफी सुधार होता है। इसके बाद ध्यान मुद्रा यानी मेडिटेशन में कम से कम पांच-दस मिनट बैठें। इन क्रियाओं के नियमित अभ्यास के फलस्वरूप आंतरिक सफाई हो जाती है। इससे हमारा तनाव बहुत घटता है और हम बेहतर फील करते हैं।

Pic credit-  https://www.freepik.com/free-photo/young-slim-beautiful-attractive-woman-doing-yoga-morning-sunrise-by-sea-healthy-lifestyle_10273221.htm#page=2&query=woman+meditate&position=33

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