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World Hypertension Day: साइलेंट किलर है उच्च रक्तचाप, न करें इसे इग्नोर

गंभीर हृदयाघात के 24 फीसदी इस्केमिक हृदय रोग के 16 फीसदी और स्ट्रोक के कुल मामलों के 29 फीसदी के लिए उच्च रक्तचाप को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है इसलिए इसे न करें इग्नोर।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 08:47 AM (IST)
World Hypertension Day: साइलेंट किलर है उच्च रक्तचाप, न करें इसे इग्नोर
World Hypertension Day: साइलेंट किलर है उच्च रक्तचाप, न करें इसे इग्नोर

हाइपर टेंशन या उच्च रक्तचाप एक ऐसी स्थिति है, जिसका मानव शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है जो दूसरी बीमारियों और कभी-कभी जानलेवा परिणाम भी दे सकता है। गंभीर हृदयाघात के 24 फीसदी,  इस्केमिक हृदय रोग के 16 फीसदी, परिधीय धमनी रोगों के 21 फीसदी और स्ट्रोक के कुल मामलों के 29 फीसदी के लिए उच्च रक्तचाप को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। भारत जैसे देश में पिछले कुछ सालों से उच्च रक्तचाप और इससे संबंधित घातक घटनाओं में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है। यह अनुमान है कि जनसंख्या का एक-तिहाई हिस्सा जल्द ही इस संभावित घातक स्थिति की चपेट में आ जाएगा। इस साल के विश्व उच्च रक्तचाप दिवस का विषय ’अपना नंबर जाने’ है,  यह इस स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को ब्लडप्रेशर के स्तर की जांच करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए है।

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जागरूकता की कमी

उच्च रक्तचाप एक साइलेंट किलर है क्योंकि ज्यादातर लोगों में इसका कोई बाहरी लक्षण और लक्षण नहीं दिखता। नियमित सिरदर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना, त्वचा का फड़कना और प्रतिकूल स्थितियों में नाक बहना कुछ ऐसे मामूली लक्षण हैं, जिन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता और ऐसे यह अनियंत्रित और अनुपचारित रह जाता है। पीएलओएस मेडिसिन के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, उच्च रक्तचाप की बढ़ती प्रवृत्ति के बावजूद, निदान और उपचार बहुत कम है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित आधे से अधिक व्यक्ति इससे अनजान हैं। भारत में उच्च रक्तचाप सभी मौतों का लगभग 10.8 फीसदी और विकलांगता से प्रभावित जीवन सालों में 4.6 फीसदी का हिस्सा रखता है। इन आंकड़ों के बावजूद यह आश्चर्य की बात है कि आम जनता के बीच इस स्थिति के बारे में बहुत कम जागरूकता क्यों है!

अनेक कारण

उच्च रक्तचाप के मामलों में लगभग 90-95 फीसदी प्राथमिक उच्च रक्तचाप होता है, जहां कोई स्पष्ट कारक नहीं होता है, लेकिन कई व्यवहार और आनुवंशिक कारक रक्तचाप में वृद्धि करते हैं। भोजन में नमक की अधिक मात्रा, तंबाकू, धूम्रपान, स्लीप एपनिया (नींद के दौरान ऑक्सीजन का निम्न स्तर) आदि प्राथमिक उच्च रक्तचाप के लिए जिम्मेदार कुछ प्रमुख कारक हैं। पिछले कुछ सालों में जीवनशैली में बदलाव ने उच्च रक्तचाप को और अधिक प्रचलित कर दिया है। इसलिए ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति में किसी तरह के लक्षण पहचान में न आए लेकिन फिर भी उनके स्वास्थ्य पर भारी पडऩे वाला उच्च रक्तचाप उन्हें अपना शिकार बना सकता है।

युवा आबादी भी शिकार

कम उम्र वालों को भी उच्च रक्तचाप जकड़ रहा है, भारत में किशोरों में भी उच्च रक्तचाप की बढ़ती प्रवृत्ति दर्ज की गई है। कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) के 70 वें वार्षिक सम्मेलन में प्रस्तुत शोध के अनुसार, भारत में हर पांच युवा वयस्कों में से एक को उच्च रक्तचाप है। इसके अलावा, चूंकि कोई प्रमुख लक्षण नहीं हैं, इसलिए कोई स्क्रीनिंग नहीं है और ऐसे में कम उम्र में उच्च रक्तचाप होने से स्थिति और भी अधिक घातक हो जाती है।

बदलाव कोई भी हो, पहली शर्त है जागरूकता। यह उच्च रक्तचाप के लिए भी सच है। यह भागमभाग वाली जीवनशैली जी रहे सभी वयस्कों और उच्च रक्तचाप की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए आवश्यक है कि वे सतर्क रहें और नियमित रूप से अपने रक्तचाप के स्तर की निगरानी करें। स्थिति का ज्ञान उच्च रक्तचाप वाले लोगों को किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए उपाय और सावधानी बरतने में मदद कर सकता है और स्थिति को उलटने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। उनके स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के समग्र विकास के लिए अंतर्निहित सूक्ष्म संकेतकों को जानना महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि ’अपना नंबर जानना’ जरूरी है।

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