World Cancer Day 2022: कैंसर के इलाज के बाद किस तरह की समस्याएं सबसे ज़्यादा परेशान करती हैं?
World Cancer Day 2022 वैसे को हर बीमारी के इलाज के दौरान स्वास्थ्य का ख़्याल रखना ज़रूरी होता है लेकिन कैंसर के उपचार के दौरान यह और भी ज़रूरी हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर का इलाज शरीर को कई तरह से प्रभावित करता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Cancer Day 2022: विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में दुनिया भर में कैंसर ने 10 मिलियन यानी एक करोड़ लोगों की जान ली। कैंसर के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए हर 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।
वैसे को हर बीमारी के इलाज के दौरान स्वास्थ्य का ख़्याल रखना ज़रूरी होता है, लेकिन कैंसर के उपचार के दौरान यह और भी ज़रूरी हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर का इलाज शरीर को कई तरह से प्रभावित करता है, इस दौरान स्वास्थ्य से जुड़ी कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। जिसकी वजह से लाइफस्टाइल ठीक होने में समय लगता है। आपकी लाइफस्टाइल कैसी है यह कैंसर होने और कैंसर से मृत्यु होने में बड़ी भूमिका निभाती है। कैंसर के रोकथाम के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में सेहतमंद बदलाव करने की ज़रूरत होती है, जैसे धूम्रपान न करना, शराब के सेवन स दूरी, वज़न कंट्रोल में रखना, सही आहार लेना और शारीरिक निष्क्रियता बनाए रखना शामिल हैं।
तो आइए जानें कि कैंसर के इलाज के बाद मरीज़ों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में सलाहकार मेडिकल हेमेटो-ऑन्कोलॉजी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, डॉ. अक्षय शाह ने बताया:
- कैंसर ट्रीटमेंट के बाद ड्रग्ज़ के कई साइड इफ्फेक्ट्स होते हैं, जैसे की झुनझुनी आना, भूख कम लगना आदि।
- कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान वज़न कम हो सकता है, दवाइयों के सेवन से शुगर बढ़ सकती है, किसी को डिप्रेशन हो सकता है या फिर नींद की समस्या आ सकती है, ये सब सामान्य साइड इफेक्ट्स हैं।
- इसके आलावा दस्त, खाने-पिने में रूचि काम होना, खासतौर पर जब हेड एंड नेक कैंसर में रेडिओथेरपी के बाद मुंह सूखा पड़ने लगता है, गले में सूजन और बात करने में तकलीफ होने लगती है।
- ब्रेन ट्यूमर में रेडिएशन केमोथेरपी के ट्रीटमेंट के बाद कभी-कभी दस्त, सिर में दर्द, उल्टी, साथ ही ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
- इम्यूनोथेरपी के बाद शुगर कम या ज़्यादा हो सकती है, थायरॉइड के फंक्शन ठीक से काम नहीं करते, अगर किसी को हाइपर थायरॉइडिज़म की समस्या है तो चिंता, घबराट जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। हालांकि, कुछ महीनों में मरीज़ इन तकलीफों से रिकवर हो जाता है, लेकिन इलाज के दौरान इस तरह की दिक्कतों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है।"
मुंबई के मसीना अस्पताल में सलाहकार ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. प्रसाद कसबेकर ने बताया:
- कैंसर ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज़ को रिकवरी के बाद भी ज़िंदगी भर सतर्क रहने के ज़रूरत होती है। आमतौर पर कैंसर होने के बाद, कीमोथेरपी और रेडिएशन की वजह से दूसरी बीमारियां पैदा हो सकती हैं।
- इसमें सब से आम है सैकेंडरी कैंसर यानि ट्रीटमेंट के बाद दूसरे प्रकार का कैंसर हो जाना।
- इसके अलावा मरीज़ को बार-बार संक्रमण हो जाता है, जिसमें वजन कम होने के साथ भूख भी कम होने लगती है।
- साथ ही मानसिक बीमारियों का भी ध्यान रखना चाहिए, कैंसर के मरीजों में डिप्रेशन और चिंता बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए क्यूंकि कैंसर का इलाज लंबे समय तक चलता है। परिवार का सपोर्ट इस दौरान एक बड़ा किरदार निभाता है। इस लिए इलाज के बाद समय-समय पर जांच करना ज़रूरी है।