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World AIDS Day 2021: एक्सपर्ट से जानें, तेजी से बढ़ते इस रोग के मृत्युदर को कैसे कर सकते हैं कम

दुनियाभर में जिन बीमारियों की वजह मृत्युदर सबसे ज्यादा मानी जाती है एड्स भी उनमें से ही एक है। यूएन प्रोग्राम की रिपोर्ट में कहा है HIV संक्रमण की दर में गिरावट देखने को नहीं मिल रही है जिससे साल 2030 तक इसे खत्म करने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 01:34 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 01:34 PM (IST)
World AIDS day को दर्शाती हुई तस्वीर

भारत में 2.1 मिलियन लोग वायरस से पीड़ित हैं। भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा एचआईवी से पीड़ित देश है। एड्स तंत्रिका संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है जैसे डिप्रेशन, कन्फ्यूजन, भ्रम, याददाश्त जाना, चलने में कठिनाई, और एचआईवी से जुड़े तंत्रिका संबंधी डिसऑर्डर (हाथ); एचआईवी से जुड़े नेफ्रोपैथी (एचआईवीएएन) से किडनी की सूजन हो जाती है; या जिन्हें हेपेटाइटिस-बी या हेपेटाइटिस-सी होती है उन्हें लीवर की बीमारी हो जाती है।

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2020 में एचआईवी की स्थिति

कुल पीड़ितः 37.7 मिलियन

एडल्ट्सः 36 मिलियन

0-14 सालः 1.7 मिलियन

एड्स से होने वाली मौतें

36.3 मिलियन लोगों ने इस एपिडेमिक के चलते अपनी जान गंवाई है अब तक

6.8 लाख लोगों ने 2020 में एड्स के चलते पूरी दुनिया में जान गंवाई

19 लाख लोगों ने 2004 में जान गंवाई थी एड्स के कारण

13 लाख के करीब रही थी 2010 में मरने वालों की संख्या

53% महिलाएं और लड़कियां इससे पीड़ित हैं।

84% पीड़ित बीमारी के बारे में जानते हैं।

6.1% मिलियन को बीमारी का ही पता नहीं।

बात इलाज की

अपोलो टेलीहेल्थ के सीईओ श्री विक्रम थाप्लू ने एड्स दिवस पर इस बीमारी पर अपनी राय रखते हुए कहा कि, " इस बीमारी से निपटने का एकमात्र तरीका यह है कि जीवन रक्षक एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी उन सभी लोगों तक पहुंचाई जाए जो इस वायरस से संक्रमित हैं। साथ ही एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति को अपनी कंडीशन के बारे में  जागरूक रहना चाहिए। इलाज में कमी से एचआईवी, मरीज़ों को अन्य बीमारियों के प्रति संवेदनशील बना सकती है उन्हें कई और घातक बीमारी भी हो सकती हैं।

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज ने कहा, "लोग अक्सर एचआईवी और एड्स शब्दों का गलत प्रयोग करते हैं। एचआईवी और एड्स शब्द को वे एक ही मानते है। यह जान लेना ज़रूरी है कि ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) से एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) होता है। एंटीरेट्रोवायरल उपचार (एआरटी) के माध्यम से इलाज करना आसान होता है। टीरेट्रोवायरल उपचार इलाज भारत में मुफ्त प्रदान किया जाता है।'

एचआईवी के रिस्क

- 35 गुना ज्यादा ड्रग्स लेने वालों को

- 26 गुना ज्यादा है यौन वर्कर्स को

- 34 गुना ज्यादा है ट्रांसजेंडर महिलाओं को

- 25 गुना ज्यादा है गे कम्युनिटी को

Pic credit- freepik


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