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शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर विकसित न हो इसके लिए हम कौन से रिस्क फैक्टर पर ध्यान दें और क्या है इसका उपचार

ब्रेस्ट कैंसर बीमारी क्यों होती है इसका कोई एक कारण नहीं है लेकिन डॉक्टर इसे लाइफस्टाइल आनुवंशिक असामान्यताएं और वंशानुगत बीमारी से जोड़कर देखते हैं। माना जाता है कि लगभग 5-10% ब्रेस्ट कैंसर माता-पिता से विरासत में मिलती है जबकि 85% पर्यावरण/आनुवंशिक असामान्यताओं के कारण होती है।

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezPublished: Mon, 06 Feb 2023 05:03 PM (IST)Updated: Mon, 13 Feb 2023 10:33 AM (IST)
ब्रेस्ट कैंसर विकसित न हो इसके लिए हम कौन से रिस्क फैक्टर पर ध्यान दें और क्या है इसका उपचार

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। भारत सहित पूरी दुनिया में स्तन कैंसर यानी ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह बीमारी बढ़ते उम्र के साथ महिलाओं में देखी जा रही है। ब्रेस्ट कैंसर बीमारी क्यों होती है, इसका कोई एक कारण नहीं है, लेकिन डॉक्टर इसे लाइफस्टाइल, आनुवंशिक असामान्यताएं और वंशानुगत बीमारी से जोड़कर देखते हैं। माना जाता है कि लगभग 5-10% ब्रेस्ट कैंसर माता-पिता से विरासत में मिलती है, जबकि 85% पर्यावरण/आनुवंशिक असामान्यताओं के कारण होती है।

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ब्रेस्ट कैंसर कैसे होता है विकसित?

एंडोक्राइन और ब्रेस्ट सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर एक मैलिग्नेंट ट्यूमर होता है, जो ब्रेस्ट में कोशिकाओं से विकसित होता है। ब्रेस्ट से यह मैलिग्नेंट सेल्स अंडर आर्म्स में लिम्फ नोड्स तक जा सकती हैं और उसके बाद इसका प्रभाव शरीर के अन्य अंगों जैसे हड्डियां, लीवर और फेफड़ों पर पड़ता है। मरीज के लिए ब्रेस्ट कैंसर का स्टेज बहुत ही मायने रखता है। यह इस बात को संदर्भित करता है कि ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाएं मूल स्थान यानी स्तन से कितनी दूर चली गई है।

ब्रेस्ट कैंसर विकसित होने का रिस्क फैक्टर क्या है?

वो कौन से रिस्क फैक्टर हैं, जिसकी वजह से ब्रेस्ट कैंसर विकसित होता है। इनमें से कुछ ऐसे खतरे हैं जो आपके नियंत्रण में नहीं है जैसे उम्र, फैमिली हिस्ट्री और मेडिकल हिस्ट्री। लेकिन कुछ खतरे ऐसे हैं जो हमारे जीवनशैली से जुड़े हुए हैं और जिन्हें हम नियंत्रित कर सकते हैं। इनमें मोटापा, धूम्रपान, बर्थ कंट्रोल पिल्स का इस्तेमाल, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, स्तनपान न कराना और देर से प्रेग्नेंसी या प्रेग्नेंसी न होना शामिल है। वैसे ब्रेस्ट कैंसर के कुछ और फैक्टर हैं, इसमें ब्रेस्ट या ओवेरियन कैंसर का इतिहास होना, समय से पहले मेंस्ट्रुएशन और देर से मेनोपॉज शामिल है।

एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट सर्जरी की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. रोमा प्रधान

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

बीमारी कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, उसके लक्षण जरूर दिखाई देते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों की बात करें, तो इसमें स्तन में कठोर 'गांठ' बनना एक प्रमुख लक्षण है, जो ज्यादातर दर्द नहीं करते हैं। इसके अलावा और भी कई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे दोनों स्तनों में तुलना करके अंतर को पहचानना, खून से सना हुआ निप्पल डिस्चार्ज, निप्पल का आकार या स्थिति में कोई बदलाव, स्तन के ऊपर की त्वचा में परिवर्तन जो मोटी, सख्त और नारंगी रंग की त्वचा जैसी महसूस होती है, स्तन की त्वचा पर कोई रेडनेस और बगल में कोई सूजन आदि। इनमें से कोई भी लक्षण होने पर ब्रेस्ट सर्जन से मिलना चाहिए।

ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए टेस्ट

कौन से टेस्ट हैं जो यह बताते हैं कि किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर है। इसके लिए रोगी की उम्र के आधार पर ब्रेस्ट का मैमोग्राफी या अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसके अलावा फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी ((FNAC) / Biopsy की जाती है। बायोप्सी नॉन-सर्जिकल तरीकों से की जाती है और इससे कैंसर नहीं फैलता है। इन सबके अलावा PET स्कैन बहुत उपयोगी टेस्ट होता है, जिससे बीमारी के स्टेज के बारे में पता चलता है। ब्रेस्ट कैंसर समय से पहले पता चल जाए, इसके लिए ऊपर बताए गए सभी टेस्ट मददगार साबित होते हैं और मेदांता लखनऊ हॉस्पिटल का ब्रैस्ट रेडियोलोजी और न्यूक्लियर मेडिसिन यूनिट द्वारा किये जाते हैं|

ब्रेस्ट कैंसर का उपचार

ब्रेस्ट कैंसर का सही समय पर सही उपचार मिल जाए तो जिंदगी बचाई जा सकती है। यहां मेदांता लखनऊ ब्रेस्ट कैंसर के लिए व्यापक स्तर पर ट्रीटमेंट प्रदान करता है। इसमें सर्जरी से लेकर कीमो थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोनल थेरेपी और टारगेटेड थेरेपी शामिल है। वैसे ब्रेस्ट कैंसर में जो सर्जरी की जाती है उसका नाम है मास्टेक्टॉमी। यह निप्पल समेत पूरे स्तन को हटाने की प्रक्रिया है। ब्रेस्ट कैंसर वालों के लिए मास्टेक्टॉमी और लम्पेक्टोमी दोनों एक उपचार विकल्प है। हालांकि, मास्टेक्टॉमी और लम्पेक्टोमी के बीच निर्णय लेना मुश्किल होता है। वैसे ब्रेस्ट कैंसर फिर से ना हो उसके लिए दोनों प्रक्रियाएं समान रूप से प्रभावी हैं। लेकिन लम्पेक्टोमी हर किसी के लिए एक विकल्प नहीं है। कुछ महिलाएं मास्टेक्टॉमी से गुजरना पसंद करती हैं। दरअसल, कुछ रोगियों के ब्रेस्ट में कई ट्यूमर होने के कारण ब्रेस्ट प्रिजर्विंग सर्जरी संभव नहीं होता, तब ब्रेस्ट को पूरी तरह से हटाने की आवश्यकता होती है जिसे मास्टेक्टॉमी कहा जाता है।

कुछ रोगियों में सभी लिम्फ ग्रंथियों को हटा दिया जाता है जिसे एक्सिलरी नोड क्लीयरेंस कहा जाता है। डिस्चार्ज के बाद जब मरीज तैयार होता है तो नर्स बताएगी कि मरीज के ब्रा में एक सॉफ्ट प्रोस्थेसिस (artificial silicone breast) कैसे फिट किया जाए। ब्रेस्ट केंसर के बारे में जानकारी देने के लिए और काउंसलिंग के लिए मेदांता यूनिट में नर्स को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। बता दें कि मास्टेक्टॉमी की नई तकनीकें स्तन की त्वचा को संरक्षित कर सकती हैं।

क्या ब्रैस्ट को बचाया जा सकता हैं

अधिकांश लोगों का मानना है कि ब्रेस्ट कैंसर का एकमात्र इलाज पूरे स्तन को हटाना है, लेकिन यह सच नहीं है। ब्रेस्ट महिलाओं के शरीर का अहम हिस्सा है और कैंसर होने पर भी इन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है। स्तन-कंजर्वेशन सर्जरी (BCS) शुरुआती स्तन कैंसर वाली अधिकांश महिलाओं के लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में लोकप्रिय है। मेदांता में ब्रेस्ट यूनिट सर्जन ब्रेस्ट प्रिजर्विंग सर्जरी करने में कुशल हैं।

ब्रेस्ट कैंसर को हटाने के बाद क्या ब्रेस्ट को दोबारा आकार दिया जा सकता है?

एक सवाल जो लोगों के मन में आता है कि ब्रेस्ट कैंसर को हटाने के बाद क्या ब्रेस्ट को दोबारा आकार दिया जा सकता है। आजकल ओंकोप्लास्टिक तकनीक एडवांस हो चुकी है, जिसने सर्जिकल ट्रामा को कम किया है और इस प्रकार यह स्तन के रूप और जीवन की गुणवत्ता को संरक्षित करने में सक्षम है। यह रोगी को शारीरिक और भावनात्मक रूप से मदद करता है। यह उन रोगियों के लिए एक विशेष प्रक्रिया है जो सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, जिसमें ब्रेस्ट का आंशिक या टोटल कंस्ट्रक्शन या री-शेपिंग शामिल है।

मेदांता की ब्रेस्ट यूनिट महिलाओं के साथ उपचार विकल्पों पर चर्चा करती है और मरीज का विशेष री-शेपिंग प्रक्रिया के बारे में निर्णय लेने के लिए आपका मार्गदर्शन करती है। इसके लिए ड्राइंग, वीडियो और फोटो की मदद ली जाती है। BCS के साथ सेनटिनेल लिम्फ नोड बायोप्सी के माध्यम से बगल के नोड्स (एक्सिलरी नोड्स) के लिए कंजरवेटिव सर्जरी भी करता है। सेनटिनेल लिम्फ नोड बायोप्सी में पहले एक्सिलरी नोड की पहचान करने के लिए विशेष डाई का उपयोग करता है और यदि उसमें कैंसर सेल्स नहीं हैं तो सभी एक्सिलरी नोड्स को हटाने से बचा जा सकता है। इससे शोल्डर मूवमेंट प्रतिबंधित नहीं होते हैं।

क्या कीमोथेरेपी दर्द रहित विधि से दी जा सकती है?

कीमो पोर्ट के माध्यम से दिए जाने पर कीमोथेरेपी आसान हो जाती है। बता दें कि एक केमो पोर्ट एक पतली सिलिकॉन ट्यूब के साथ एक छोटा, इम्प्लांटेबल कोश होता है जो एक नस से जुड़ा होता है। इस वेन-एक्सेस डिवाइस का मुख्य लाभ यह है कि कीमोथेरेपी दवाओं को शिरा के बजाय सीधे पोर्ट में पहुंचाया जा सकता है, जिससे सुई स्टिक्स की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। Medanta में ब्रेस्ट यूनिट सर्जन कीमोपोर्ट लगाने में कुशल हैं। यहां कीमोथेरेपी विशेषज्ञ मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा दी जाती है।

क्या स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकता है?

स्तन कैंसर स्वस्थ लोगों को भी हो सकता है। यही वजह है कि शुरुआती पहचान बेहद जरूरी है। हालाँकि, एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने वाली महिलाएं स्तन कैंसर की संभावना को कम कर सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कॉल करें 0522 4505063

Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।

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