Embryo Freezing: नॉर्मल प्रेग्नेंसी से कितना अलग है एम्ब्रियो फ्रीजिंग, एक्सपर्ट से जानें पूरी प्रोसेस
बीते दिनों अमेरिका में एम्ब्रियो फ्रीजिंग से जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया। हैरानी की बात यह है कि यह भ्रूण 30 साल तक फ्रीज था। इस खबर को सुन हर कोई हैरान है। वहीं इस प्रोसेस के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट से बात की।
नई दिल्ली, हर्षिता सक्सेना। कुछ दिनों पहले ही एक अमेरिकन कपल एम्ब्रियो फ्रीजिंग की मदद से जुड़वा बच्चों के माता-पिता बने हैं। इस खबर के सामने आते ही हर कोई हैरान था, क्योंकि इस भ्रूण को 22 अप्रैल, 1992 को फ्रीज किया गया था। फ्रीजिंग के 30 साल बाद अब इस भ्रूण से बच्चों का जन्म हुआ है। दरअसल, मौजूदा समय में यह तकनीक लोगों के बीच काफी प्रचलित हो चुकी है। करियर और अपना लक्ष्य हासिल करने की चाह में इन दिनों युवा शादी और बच्चे की प्लानिंग काफी देरी से कर रहे हैं।
ऐसे में कुछ लोग उम्र ढलने के बाद भी माता-पिता बनने के लिए इस तकनीक का सहारा ले रहे हैं। इस प्रक्रिया के बारे में और विस्तार से जानने के लिए हमने बात की दिल्ली के मैक्स मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल (पंचशील पार्क) की डॉ. सुरवीन घुम्मन सिंधु (इनफर्टिलिटी एंड आईवीएफ की सीनियर डायरेक्टर और एचओडी) और इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स की सीनियर कन्सल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रंजना शर्मा से।
नॉर्मल प्रेग्नेंसी से कितना अलग एम्ब्रियो फ्रीजिंग
एम्ब्रियो फ्रीजिंग के बारे में बात करते हुए डॉ.सुरवीन घुम्मन ने बताया कि जब आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) ट्रीटमेंट करते हैं, तो अंडा निकलाकर स्पर्म के साथ मिलाते हैं। इसके बाद 3 से 5 दिन बाद इस बच्चे यानी एम्ब्रियो को माइनस 196 डिग्री लिक्विड नाइट्रोजन में फ्रीज कर दिया जाता है। यह प्रोसेस बिल्कुल बर्फ को जमाने जैसा ही होता है और इसे कई साल तक फ्रीज करके रखा जा सकता है। इस प्रोसेस में एम्ब्रियो बिल्कुल नॉर्मल रहता है और आम प्रेग्नेंसी की ही तरह एम्ब्रियो फ्रीजिंग से हुए बच्चे भी नॉर्मल ही रहते हैं।
भारत में कब तक फ्रीज कर सकते हैं भ्रूण
डॉ.सुरवीन बताती हैं कि वैसे तो एम्ब्रियो 30-40 साल तक फ्रीज करके रखा जा सकता है, लेकिन भारतीय कानून के मुताबिक देश में 10 साल से ज्यादा एम्ब्रियो फ्रीज करके नहीं रख सकते। यह प्रोसेस ऐसे कपल्स के लिए काफी फायदेमंद है, जो फिलहाल प्रेग्नेंसी नहीं चाह रहे हैं। इसके अलावा कुछ महिलाएं, जो कैंसर आदि से जूझ रही होती हैं, वह भी इस प्रोसेस का सहारा लेती हैं,क्योंकि कीमोथैरेपी की वजह से उनके सारे अंडे खत्म हो जाते हैं। ऐसे में वह अपने अंडे फ्रीज करवा लेती हैं, ताकि वह बाद में ठीक होने पर मां बन सकें।
कैसे बनता है भ्रूण
एम्ब्रियो फ्रीजिंग के बारे में बात करते हुए डॉ. रंजना शर्मा ने बताया कि जब महिला और पुरुष के एग आपस में फर्टिलाइज होते हैं, तो उससे एम्ब्रियो यानी भ्रूण बनता है। इस भ्रूण को उसी स्टेज पर फ्रीज कर दिया जाता है, जिससे वह इसी स्थिति में कई साल तक बना रहता है। एक बार भ्रूण फ्रीज हो जाने के बाद इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता वह कितने साल से फ्रीज है। अगर माहौल और सभी स्थिति सामान्य रहे, तो एम्ब्रियो लंबे समय कर फ्रीज किया जा सकता है।
क्यों होती है एम्ब्रियो फ्रीजिंग
डॉ. रंजना बताती हैं कि आज के दौर में कपल कई कारणों से देर से शादी या पेरेंट्स बनने का फैसला करते हैं। अक्सर जॉब, करियर में व्यस्त होने की वजह से लोग तय समय पर माता-पिता नहीं बन पाते हैं। ऐसे में लोग एम्ब्रियो फ्रीजिंग की मदद लेते हैं। अगर आपको पार्टनर नहीं मिला है तो आप सिर्फ अपना एग फ्रीज करवा सकते हैं। लेकिन अगर आपको पार्टनर मिल चुका है, तो आप एम्ब्रियो फ्रीजिंग करवा सकते हैं। इसके अलावा कई बार किसी मेडिकल समस्या की वजह से भी लोग एम्ब्रियो फ्रीजिंग का सहारा लेते हैं।
क्या होती है प्रोसेस
एम्ब्रियो फ्रीजिंग करने के लिए दवाइयों और इंजेक्शन की मदद से महिलाओं के अंदर ज्यादा अंडे प्रोड्यूस किए जाते हैं। इसके बाद जनरल एनेस्थिशिया देकर अंडों को बाहर निकाला जाता है और फिर इसे उनके पार्टनर के स्पर्म के साथ मिलाकर इनक्यूबेटर में रखा जाता है। कुछ दिन बाद जब अंडे फर्टिलाइज हो जाते हैं, तो इसमें से स्वस्थ अंडों का चयन किया जाता है। फर्टिलाइजेशन के बाद जब इनमें सेल्स बनने शुरू हो जाते हैं, तो एम्ब्रियो को फ्रीज कर दिया जाता है। इसके बाद जब कपल इससे बच्चा चाहता है, इसे महिला की बॉडी में डाल दिया जाता है।