Chikungunya Unknown Facts: चिकनगुनिया के बारे में ऐसे तथ्य जो शायद ही जानते होंगे आप!
Chikungunya Unknown Facts यह वाइरस मच्छरों के काटने से फैलता है। ऐडीज़ ईजिप्ति और एडिस एल्बोपिक्टस नामक मच्छर यह वाइरस फैलाने का काम करते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Chikungunya Unknown Facts: साल 1952 में चिकनगुनिया नामक वाइरस का पता सबसे पहले तंज़ानिया में चला था। माना जाता है कि इसी के बाद यह दुनिया के बाकी हिस्सों में फैला है। चिकनगुनिया को अगर चिकित्सी भाषा में समझने की कोशिश करें तो यह रिबोन्यूक्लिक एसिड आरएनए वाइरस और अल्फा वाइरस के अंतर्गत आता है।
यह वाइरस मच्छरों के काटने से फैलता है। ऐडीज़ ईजिप्ति और एडिस एल्बोपिक्टस नामक मच्छर यह वाइरस फैलाने का काम करते हैं। यह बीमारी कई बड़े देशों में देखी गई है। इसके नाम का मतलब भी होता है "झुक कर चलना"। इस बीमारी से हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द की वजह से मरीज़ झुक कर चलने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
अब बात करते हैं चिकनगुनिया के कुछ लक्षणों की :-
चिकनगुनिया के लक्षण वैसे तो बहुत सामान्य होते हैं जिसकी वजह से मरीज़ को पता ही नहीं चलता कि उसे चिकनगुनिया हो गया है। लेकिन कुछ सामान्य लक्षण ऐसे होते हैं:
- तेज़ बुखार आना
- उसके साथ-साथ शरीर में दर्द होना, हड्डियों और उसके आस-पास की मांसपेशियों में दर्द होना
- त्वचा पर खून के चकत्ते और रेशेज़ होना
- कमज़ोरी और थकान महसूस होना
चिकनगुनिया के ये लक्षण किसी सामान्य बुखार की तरह ही होते हैं, और ये मच्छर काटने के भी एक हफ्ते बाद ही देखने को मिलते हैं। लक्षण सिर्फ प्रमाणित नहीं करते कि यह चिकनगुनिया है इसलिए इसकी जांच आवश्यक है। इसकी जांच के लिए संक्रमित को खून की जांच करवानी पड़ती है।
चिकनगुनिया का इलाज:
इसके इलाज के लिए अभी तक कोई भी वैक्सीन का आविष्कार नहीं हो पाया है और ये बहुत चिंताजनक है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. यूएस अग्रवाल इसके उपचार में निम्नलिखित बातें बताते है:
1. चिकनगुनिया बुखार के समय पेरासेटामोल दवाई लेने से काफी राहत मिलती है।
2. साथ ही साथ पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
3. पूरी तरह से आराम ज़रूरी होता है।
4. बाकी खून की जांच और चिकित्सक से परामर्श करने से चिकनगुनिया के चरण का पता लगाया जा सकता है।
चिकनगुनिया से रोकथाम के उपाय
किसी भी बीमारी में उपचार से बेहतर हमेशा रोकथाम को माना गया है, क्योंकि हम बीमारी आने से पहले ही इसको रोक सकते हैं। इसलिए हमें इससे रोकथाम की तरफ खास ध्यान देना चाहिए :-
डॉ. यूएस अग्रवाल कहना है कि मच्छरों से जितना हो सके बचें। इससे बचने के लिए दिन में शरीर को पूरी तरह से ढक कर रखना चाहिए।
- साथ ही मच्छरों को रोकने के लिए क्रीम का प्रयोग करते रहना चाहिए।
- घरों में मच्छरों से बचे रहने के लिए व्यवस्था करते रहना अति आवश्यक है।
- रात में मच्छर दानी और द्रव का प्रयोग करना ना भूलिए।
- अपने आस-पास साफ-सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए।
- चिकन गुनिया जानलेवा नहीं है, लेकिन खतरनाक है बस थोड़ी सी सावधानी से हम इससे बचे रहने में सफल हो सकते हैं।