Move to Jagran APP

दिल और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना करें ये योगासन

भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर में ऑक्सीजन का संचार तीव्र गति से होता है। जबकि कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर कम होता है जिससे हृदय रोग दूर होता है। इस योग को करने से गले से संबंधित सभी तकलीफें खत्म हो जाती हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 01:15 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 11:26 PM (IST)
सर्दियों में वायु प्रदुषण के बढ़ने से सांस संबंधी बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क।  कोरोना काल में संकटमय जीवन गुजारने के बाद लोगों में सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ी है। अस्थमा, फेफड़ों से संबंधित रोग, डायबिटीज, मोटापा, हार्ट अटैक और उच्च रक्तचाप ऐसी बीमारियां हैं, जिनका सीधा संबंध कोरोना वायरस और इम्यून सिस्टम से है। विशेषज्ञों की मानें तो सेहतमंद रहने के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना अनिवार्य है। इनसे बचने के लिए लोगों को खानपान और दिनचर्या पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खासकर सर्दियों में वायु प्रदुषण के बढ़ने से सांस संबंधी बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए योग का सहारा लिया जा सकता है। अगर आप भी फेफड़ों को स्वस्थ और मजबूत रखना चाहते हैं और निमोनिया के प्रभाव को कम करना चाहते हैं, तो रोजाना इन योगासन को जरूर करें। आइए जानते हैं-

loksabha election banner

'सावित्री आसन' (Savithri asana) करें

घुटनों को जमीन के बल कर अपने शरीर का पूरा भार घुटनों पर दें। शरीर सीधा रखें। अब थोड़ा वार्म अप करें और फिर अपने हाथों को लहराकर उपर की ओर रखें। दोनों हाथों के बीच दूरी रखें। वहीं, नजर उपर की ओर रखें। इस मुद्रा में कुछ देर तक रहें। इसके बाद पुन: पहली मुद्रा में आ जाएं।

भस्त्रिका प्राणायाम करें

भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर में ऑक्सीजन का संचार तीव्र गति से होता है। जबकि कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर कम होता है, जिससे हृदय रोग दूर होता है। इस योग को करने से गले से संबंधित सभी तकलीफें खत्म हो जाती हैं। इसके लिए स्वच्छ वातावरण में पद्मानस की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपनी गर्दन और रीढ़ की हड्डी को एक सीध में रखें। शरीर झुका और ढीला-ढाला न हो। इसके बाद लंबी सांसे लें और फेफड़ें में वायु को भर जाने दें। इसके बाद एकबार में तेज़ी से सांस छोड़ें। इस आसन को एक बार में कम से कम दस बार जरूर करें।

उष्ट्रासन (Ustrasana) करें

'सावित्री आसन' में आ जाएं। इसके बाद शरीर को पीछे की ओर मोड़कर दोनों हाथों को अपने टखनों पर रखें। एक चीज़ का ध्यान रखें कि अपने गर्दन को न घुमाएं, बल्कि गर्दन को प्राकृतिक अवस्था में रहने दें। कुछ पल के लिए इस अवस्था में रहें। अब हाथों को हटाकर पहली अवस्था में आ जाएं। इस अवस्था में ज्यादा देर तक न रहें।

हस्त उत्तानासन (Hastha Uthanasana) करें

सूर्य नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। इसके बाद अपने हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं और पीछे तरफ ले जाएं। इस दौरान अपने शरीर को भी बैंड करें।  वहीं, शरीर सीधा और आंखें खुली रखें।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.