FACT AND FIT Initiative: हेल्थ से जुड़ी गलत सूचनाओं से लड़ने के लिए डाटा लीड्स ने की नायाब पहल
वायरस के इलाज से लेकर कैंसर की दवाओं तक स्वास्थ्य से जुड़े झांसे और अफवाहों आदि से इंटरनेट भरा हुआ है। इनमें क्या खाएं या कितना व्यायाम करें जैसी ख़बरें भ्रम पैदा करती हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर का सामना कर रही है। ऐसे में हम सभी चिकित्सा से जुड़ी सभी तरह की जानकारियों के लिए इंटरनेट पर निर्भर हो गए हैं। हालांकि, इंटरनेट पर चिकित्सा से जुड़ी ग़लत सूचनाओं के बेतहाशा प्रसार के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता भी बढ़ गई है। इंटरनेट पर उपलब्ध गलत जानकारियों के परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं। यहां तक कि कई लोगों की जानें भी जा सकती हैं। इसे देखते हुए डेटा लीड्स ने बूम के साथ मिलकर यह नायाब पहल की है।
संक्रामक वायरस के वैक्सीनेशन से लेकर कैंसर की दवाओं और आहार तक, स्वास्थ्य से जुड़ी झूठी समाचार, झांसे और अफवाहों आदि से इंटरनेट भरा हुआ है। इनमें से कुछ खबरें, जैसे क्या खाएं और कितना व्यायाम करें, आपके दिमाग़ में भ्रम पैदा कर सकती हैं। वहीं, कुछ ऐसी भी जानकारियां होती हैं, जिनके प्रभाव कहीं ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं। उदहारण के तौर पर, 29 मार्च, ईरान में शराब पीने से 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। इस मौत के पीछे इंटरनेट से आई एक जानकारी थी, जिसमें कहा गया था कि शराब पीने से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है।
ऐसा ही कुछ भारत में भी देखने को मिला। आंध्र प्रदेश में एक पुरुष ने इस डर से आत्महत्या कर ली कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया है। इस समस्या से पार पाने के लिए हमें साथ में काम करने की ज़रूरत है और एक ऐसे प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है, जिसके ज़रिए लोगों तक विश्वसनीय जानकारी पहुंच सके, जिसकी जांच फैक्ट-चेक एक्सपर्ट्स ने की हो।
गूगल न्यूज़ इनीशिएटिव के सपोर्ट और BOOM की पार्टनरशिप के साथ DataLEADS लॉन्च कर रहा है "FACT AND FIT- Combating medical misinformation"- जो भारत में चिकित्सा से जुड़ी ग़लत जानकारी से निपटने के लिए एक पहल है। ये पहल COVID-19 के प्रकोप पर तत्काल ध्यान देने के साथ, दुनिया भर में ग़लत सूचनाओं से लड़ने के लिए फैक्ट-चेक को मज़बूत करने के लिए गूगल की वैश्विक पहल का एक हिस्सा है।
ये प्रोजेक्ट 'ट्रेन-द-ट्रेनर' मॉडल को अपनाते हुए, 25 ट्रेनर्स तैयार करेगा। पत्रकार, फैक्ट-चेकर्स, भारत के विभिन्न राज्यों से चुने गए पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल्स इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होंगे। जो ट्रेनिंग के बाद सात अलग-अलग भाषाओं में अपने-अपने क्षेत्रों और संगठनों में स्वास्थ्य पत्रकारों और लेखकों को ट्रेन करेंगे, जो फैक्ट चेकिंग और ऑनलाइन वेरिफिकेशन टूल्स की मदद से स्वास्थ्य से जुड़ी ग़लत जानकारी का पता लगाएंगे।
इसके तहत, 500 पत्रकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को स्वास्थ्य की ग़लत जानकारी का पता लगाने और पर्दाफ़ाश करने वालों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसका परिणाम ये होगा कि इंटरनेट पर स्वास्थ्य से जुड़ी उच्च-गुणवत्तायुक्त की जानकारी बढ़ेगी।
BOOM के ट्रेनिंग एंड रीसर्च मामलों के डायरेक्टर एच.आर. वेंकटेश का कहना है, " मेडिकल यानी चिकित्सा से जुड़ी ग़लत जानकारियों का पर्दाफाश करना आसान नहीं है, इसके लिए एक्सपर्ट्स ज़रूरी हैं। भारत कई भाषाओं वाला एक विशाल देश है, इसलिए कई भाषाओं में कई लोगों तक पहुंचना महत्वपूर्ण है। इस प्रोग्राम से चिकित्सा से जुड़ी ग़लत सूचनाओं की फैक्ट-चेकिंग में तेज़ी आएगी।
इस पहल के बारे में बात करते हुए DataLEADS के फाउंडर और सीईओ सैयद नज़ाकत ने कहा कि सेहत से जुड़ी ग़लत ख़बरों में लगातार बढ़त देखी जा रही है, जो एक चिंता का विषय है। इससे बड़ी संख्या में लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है।" एक समाज के तौर पर, हमें बेहतर समझ और शोध की आवश्यकता है, ताकि स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारियों को फैलने से रोका जा सके।
हम सभी पत्रकारों, फैक्ट-चेकर्स और स्वास्थ्य से जुड़े प्रोफेशनल्स को इस ट्रेनिंग का हिस्सा बनने का ऑफर देते हैं। इस ट्रेनिंग से जुड़ी जानकारियों और रेजिस्ट्रेशन का लिंक यहां है।