वायरस फैलाने वाले मच्छरों की नस्ल को खत्म करता है ये बैक्टीरिया, जानें कैसे
जकार्ता में मच्छरों को कम करने के लिए अनोखा प्रयोग किया गया था। जिसमें नर मच्छरों की बनावट में बदलाव करके उनकी बच्चे पैदा करने की ताकत को खत्म कर दिया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। बरसात के दिनों में लोग मच्छरों को घर से भगाने के लिए भी कई तरह के उपाय करने में जुट जाते हैं। मच्छरों की रोकथाम पर काम कर रहे एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीमारी वाले मच्छरों की रोकने के लिए इंसान को नए नुस्खों की सख़्त ज़रूरत है। उनका मानना है कि फिलहाल दो ऐसे तरीके भी हैं जो बेहद कारगर साबित हो रहे हैं। मानसून के सुहाने मौसम के साथ लोग उसके साथ आने वाले मच्छरों
अनोखा प्रयोग
दो साल पहले सिंगापुर और जकार्ता में मच्छरों को कम करने के लिए अनोखा प्रयोग किया गया था। जिसमें नर मच्छरों की बनावट में बदलाव करके उनकी बच्चे पैदा करने की ताकत को खत्म कर दिया था। इस तरह से मच्छरों की नई पीढ़ी पैदा होने से रोकी जा रही है।
क्या मदद करेगा वोल्बाशिया
वैज्ञानिकों को इससे भी अच्छा तरीका मिल गया है। वोल्बाशिया नाम का एक खास बैक्टीरिया है। ये बैक्टीरिया ऐसे नहीं पाया जाता। ये किसी न किसी कीड़े के शरीर में ही पैदा होता है, पनपता है और फिर नई पीढ़ी को जन्म देकर ख़त्म हो जाता है। वोल्बाशिया ऐसा बैक्टीरिया है जो जिस भी कीड़े के शरीर में होता है, उसको ज़ीका, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के वायरस से लड़ने की ताक़त देता है।
आ गया नया फॉर्मूला
अब वैज्ञानिक पहले मादा मच्छरों को वोल्बाशिया बैक्टीरिया से संक्रमित कराते हैं। फिर इन मच्छरों को खुली हवा में छोड़ते हैं। ये मादा मच्छर जब अंडे देती हैं, तो बैक्टीरिया नई नस्ल में पहुंच जाते हैं और मच्छरों की नई पीढ़ी में ज़ीका, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे वायरस आने से रोकते हैं। इससे बीमारी के ये खतरनाक वायरस फैल नहीं पाते।
इस नुस्खे का सुझाव ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दिया था। दुनिया के तमाम वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर ये नुस्खा कामयाब हुआ, तो मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां रोकने का जादुई फॉर्मूला साबित हो सकता है।