यह इन्हेलर कोरोना के मरीजों के लिए है बेहद असरदार, शोधकर्ताओं का दावा
शोधकर्ताओं का कहना है कि इन्हेलर में ऐसी दवा का इस्तेमाल किया गया है जो संक्रमण के बाद फेफड़ों पर कोरोना के असर को कम करती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। दुनिया में इस समय लोगों के लिए कोरोनावायरस से बढ़कर कोई परेशानी नहीं है। गंभीर बीमारियों जैसे- अस्थमा, बीपी और शुगर के मरीजों के लिए कोरोना जानलेवा साबित हो रहा है। कोरोना के गंभीर मरीजों को सबसे ज्यादा सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे मरीजों के लिए ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने खास तरह का कोरोनावायरस इन्हेलर विकसित किया है, जो संक्रमित मरीजों को वायरस से लड़ने में मदद करेगा। इसे तैयार करने वाली ब्रिटेन की साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इन्हेलर में ऐसी दवा का इस्तेमाल किया गया है, जो संक्रमण के बाद फेफड़ों पर कोरोना के असर को कम करती है। ड्रग का कोड SNG001 बताया गया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इन्हेलर में मौजूद दवा में खास तरह का प्रोटीन है, जिसे ‘इंटरफेरान बीटा’ कहा जाता है। यह प्राकृतिक रूप से शरीर में तब बनता है, जब वायरस पहुंचता है। कोरोना मरीजों में इसे देकर उनकी वायरस से लड़ने में मदद की जा सकेगी।
शोधकर्ताओं ने मुताबिक, कोरोना के 120 मरीजों पर इसका ट्रायल शुरू हो गया है। इस तरह के इलाज का प्रयोग मल्टीपल स्केलेरोसिस में किया जाता है। रिसर्च के दौरान जब हॉन्ग-कॉन्ग में दूसरी दवाओं के साथ इस ड्रग का प्रयोग कोरोना मरीजों पर किया गया तो उनके लक्षणों में कमी आई।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब मरीज इन्हेलर से ड्रग को खींचते हैं तो यह सीधे तौर पर फेफड़ों तक पहुंचती है और वायरस के असर को कम करती है। यह मरीजों की हालत नाजुक होने से रोकेगी। ट्रायल सफल होने पर साल के अंत तक इसके लाखों डोज तैयार किए जा सकेंगे।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, ट्रायल के दौरान कोरोना पीड़ितों को लक्षण दिखने के 72 घंटे के अंदर इन्हेलर उपलब्ध कराया जाएगा। उन्हें एक दिन में एक डोज दी जाएगी। उनके शरीर में ऑक्सीजन के लेवल और तापमान पर नजर रखी जाएगी। डॉक्टर 14 दिन तक असर को देखेंगे। ट्रायल में ज्यादातर 50 से अधिक उम्र के बुजुर्गों को शामिल किया गया है। 100 मरीजों पर ट्रायल पूरा होने पर सामने आने वाले परिणाम जुलाई में जारी किए जाएंगे।
Written By Shahina Noor