नई स्टडी में खुलासा, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को बेहद कम होती है खुजली की दिक्कत!
त्वचा से जुड़ी दिक्कतें किसे नहीं होतीं? खासतौर पर स्किन पर खुजली या सूजन के मामले आम हैं। हालांकि जापान में हुए एक शोध से पता चलता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं त्वचा पर खुजली जैसे समस्याओं से बेहद कम जूझती हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क। खुजली की समस्या वैसे तो आम है, लेकिन इसकी वजह से लोगों को कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है। इस शर्मिंदगी से बचने के लिए लोग खुजाते नहीं और दर्द सहने पर भी मजबूर हो जाते हैं। खुजली छोटे जीवाणुओं के कारण हो सकती है जो शरीर पर खुजली के साथ-साथ जलन या रैशेज की भी वजह बनते हैं। लगातार खुजाने से त्वचा पर घाव होने शुरू हो जाते हैं। खुजली शरीर के किसी भी हिस्से से शुरू होकर फैल सकती है। इसलिए वक्त रहते इसका इलाज ज़रूर है। यह बात सच है कि खुजली एक आम समस्या है, लेकिन एक नए शोध से पता चला है कि इन दिक्कत से पुरुषों की तुलना महिलाएं कम जूझती हैं।
नई रिसर्च में नया खुलासा
क्योटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए एक अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं में गंभीर खुजली जैसे त्वचा रोग की घटनाएं काफी कम देखने को मिलती हैं। यही वजह है कि जब बात होती है गंभीर त्वचा से जुड़ी सूजन और खुजली की, तो पुरुष महिलाओं से जलन महसूस करते हैं। शोध के निष्कर्ष 'जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी' में प्रकाशित हुए थे।
शोधकर्ताओं की एक टीम ने अब पाया कि महिलाओं में एस्ट्राडियोल नाम का हॉर्मोन होता है, जो सोरायसिस को दबा देता है।
कैसे हुई रिसर्च
हमामात्सु यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के टेटसूया होंडा ने बताया कि, "हमारे परिणामों ने न केवल सोरायसिस में लिंग अंतर के आणविक तंत्र को दिखाया है बल्कि एस्ट्राडियोल की शारीरिक भूमिका की हमारी समझ पर भी नई रोशनी डाली है।"
इस शोध के लिए टीम ने नॉकआउट चूहों का इस्तेमाल किया, जिसमें अंडाशय हटा दिए गए थे लेकिन सप्लीमेंट दिए गए थे। जंगली चूहों के मुकाबले चुहिया में ओवरीज़ के बिना त्वचा की गंभीर सूजन के लक्षण दिखाई दिए। लेकिन जैसे ही चुहिया को एस्ट्राडियोल दिया गया, उनमें सूजन साफ तौर पर कम होती दिखी।
शोधकर्ता जिस बात को लेकर चिंतित थे, वह यह थी कि प्रतिरक्षा कोशिकाओं में एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स की कमी ने किस तरह एस्ट्राडियोल को साइटोकिन्स के खिलाफ अप्रभावी बना दिया।