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तनाव और उदासी बना रही है लोगों को एंग्जायटी डिसॉर्डर का शिकार, दूर करने में इन टिप्स की लें मदद

अध्ययनों के अनुसार गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले तनाव की वजह से अनिद्रा की समस्या होती है। इससे मस्तिष्क से निकलने वाले हॉर्मोस के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है जो एंग्जायटी डिसॉर्डर का कारण बन सकता है। आनुवंशिकता भी इसकी प्रमुख वजह है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 01:30 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 01:30 PM (IST)
तनाव और उदासी बना रही है लोगों को एंग्जायटी डिसॉर्डर का शिकार, दूर करने में इन टिप्स की लें मदद
कान पर हाथ रखकर चिल्लाता हुआ पुरुष

मॉडर्न लाइफस्टाइल ने जहां लोगों के जीवन को आसान बनाने का काम किया है वहीं कई चीज़ों पर इसका निगेटिव प्रभाव भी देखने को मिला है। दिनभर लोग ऑफिस या ऐेसे कामों में व्यस्त रहते हैं कि उन्हें खुद के लिए वक्त ही नहीं मिल पाता जिसकी वजह से उनमें गुस्सा, तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है। लगातार परेशान, अकेलेपन और उदासी में जीने की वजह से ही लोग एंग्जायटी डिसॉर्डर के शिकार हो रहे हैं। जिसे इग्नोर नहीं किया जा सकता। तो सबसे पहले तो इसे समझें फिर इससे निपटने के तरीके और उपायों के बारे में।  

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- सोने-उठने का टाइम टेबल बनाएं क्योंकि आधी-अधूरी नींद से एंग्जायटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ता है।

- दिमाग को एक्टिव रखने के लिए अपने भोजन में फलों और हरी सब्जियों को शामिल करें।

- रोजाना एक्सरसाइज और योगाभ्यास के लिए जरूर समय निकालें। इससे बहुत मदद मिलती है।

- दोस्ती और परिवार में जो आपको बहुत अच्छी तरह समझता है उससे अपनी फीलिंग्स जरूर शेयर करें।

- किसी बात को लेकर एंग्जायटी हो रही है तो उसका सामना करने की कोशिश करें। यही इसका सटीक हल है।

- एंग्जायटी के दौर में डायरी लिखना काफी फायदेमंद साबित होता है। रोजाना रात को सोने से पहले अपनी डायरी में जरूर लिखें कि आज दिन भर किस चीज़ ने आपको सबसे ज्यादा परेशान किया और उसे दूर करने के लिए आपकी ओर से क्या कोशिश की गई।

- कॉमेडी मूवी या सीरीज़ देखें। 

-एंग्जायटी दूर करने के लिए अपने मन से कोई भी दवा लेने की गलती न करें।

-कैफीन और एल्कोहॉल से दूर रहें, क्योंकि ऐसी चीजें एंग्जायटी को और बढ़ाने का काम करती हैं।

- अपनी पसंद की चीज़ें जैसे पेटिंग, लॉन्ग ड्राइव, डांस इन चीज़ों में वक्त बिताएं।

-इन प्रयासों के बाद भी अगर मनोदशा में कोई सुधार न आए तो किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार से संपर्क करना चाहिए।

Pic credit- unsplash  


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