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मूड को अच्छा करने और टेंशन को दूर भगाने के लिए कहीं आप भी तो नहीं कर रहे सेहत से खिलवाड़

जुबान को अच्छी लगने वाली चीज़ें सेहत के लिए भी अच्छी हो ऐसा जरूरी नहीं। तो फूड हैबिट बदलकर आप मूड को ही नहीं सेहत को भी रख सकते हैं अच्छा।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 30 Apr 2019 10:55 AM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2019 10:55 AM (IST)
मूड को अच्छा करने और टेंशन को दूर भगाने के लिए कहीं आप भी तो नहीं कर रहे सेहत से खिलवाड़
मूड को अच्छा करने और टेंशन को दूर भगाने के लिए कहीं आप भी तो नहीं कर रहे सेहत से खिलवाड़

चटपटा खाना जीभ को भाता है। खराब मूड में भी लोग चटपटे या मीठे खाने की इच्छा जताते हैं। समस्या यह है कि जीभ को भाने वाले स्वाद सेहत पर भारी पड़ते हैं। क्या खाएं कि मूड भी अच्छा रहे और सेहत भी।

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कई बार जब हम उदास होते हैं तो ज्यादा खाना खाने लगते हैं। हमारे हाथ में जो आता है, खाते चले जाते हैं। इसमें भी तला-भुना या मीठा ही ज्यादा खाना पसंद करते हैं। इसे खाकर लगता है कि जैसे अब मूड ठीक हो जाएगा, लेकिन क्या आप यकीन के साथ कह सकती हैं कि इन चीजों से मूड सुधर जाता है? जुबान को अच्छी लगने वाली ये चीजें सेहत के लिहाज से खराब साबित हो सकती हैं। अपनी फूड हैबिट को थोड़ा बदलने की कोशिश करें। देखें किस तरह आपका मूड भी अच्छा रह सकता है और सेहत भी।

मिठाई और चॉकलेट

मन खराब हो या लो फील कर रही हों तो अक्सर आसपास के लोग मीठा खाने का सुझाव देते हैं। इसमें भी अगर चॉकलेट मिल जाए तो क्या बात है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि चॉकलेट (डार्क चॉकलेट छोड़कर) सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसमें मौजूद अधिक शुगर जितनी जल्दी खुशी का अहसास दिलाती है, उतनी ही जल्दी ये ऊर्जा के स्तर को गिरा भी देती है। इससे मूड में नकारात्मक बदलाव आने लगते हैं। ऊर्जा में बार-बार कमी महसूस होने से आप फिर चॉकलेट खाती हैं, जिससे सेहत बिगड़ने लगती है। यदि मूड स्विंग हो रहा हो या फिर पीरियड्स से पहले या यूं ही कभी कुछ मीठा खाने का मन कर रहा हो तो अपने पसंदीदा फलों का चुनाव करें। फलों की शर्करा शरीर में धीरे-धीरे अवशोषित होती है, जिससे अचानक ऊर्जा का स्तर कम या ज्यादा नहीं होता। इसके बाद भी यदि चॉकलेट खाने की तीव्र इच्छा हो रही हो तो फलों की प्लेट पर ऊपर से थोड़ा सा चॉकलेट सॉस डाल लें।

नमकीन

ईवनिंग स्नैक्स के रूप में अक्सर हम बाजार में मिलने वाले पैकेटबंद नमकीन या चिप्स का इस्तेमाल करते हैं। आसानी से मिलने वाली नमकीन मूंगफली, बेसन, चावल, मक्का, मटर आदि का मिश्रण स्वाद के नजरिए से तो अच्छा है, लेकिन इनमें अत्यधिक मात्रा में सोडियम व मोनोसोडियम ग्लूटामेट मौजूद होता है, जो सेहत के लिए खतरनाक होता है। यह न केवल मूड बिगाड़ता है, बल्कि सिर दर्द, चिड़चिड़ापन व बेचैनी का कारण भी बनता है। यदि आपको खाने के बीच में स्नैक्स लेने की आदत हो तो अपने साथ सादे मेवे रखें। नमकीन मेवे पसंद हों तो घर पर ही इन्हें तैयार करें, जिससे नमक की मात्रा को नियंत्रित रखना आसान हो जाएगा।

सोडा वॉटर या ड्रिंक्स

सोडा सेहत के लिहाज से बहुत अच्छा ऑप्शन नहीं है। फिर भी इसका सेवन किया जाता है। क्या आप जानती हैं कि ये पेय पदार्थ जितनी जल्दी मूड को तरोताजा करते हैं, उतनी ही जल्दी मूड बिगाड़ भी सकते हैं। सोडे में भरपूर कार्बोहाइड्रेट होता है, जो ब्लड में जल्दी एब्जॉर्ब हो जाता है। यही वजह है कि ब्लड में शर्करा की मात्रा तुरंत बढ़ने लगती है और कुछ ही देर में फिर कम हो जाती है। इसका सीधा असर मूड पर पड़ता है। अगर कोई ड्रिंक पीना हो तो फलों का जूस पिएं या सही तापमान पर रखा सोडा लें, लेकिन कम मात्रा में।

कुल्फी

इसमें कैलोरी पर्याप्त मात्रा में होती है, क्योंकि इसे बनाने के लिए ढेर सारी क्रीम, मावा, दूध, मेवे आदि का इस्तेमाल किया जाता है। दूध को गाढ़ा करके बनाने से इसके जरूरी विटमिंस कम हो जाते हैं। कैलोरी ज्यादा होने के कारण यह देर से पचती है। जिन्हें पेट संबंधी समस्या या दूध से एलर्जी यानी लैक्टोज इनटॉलरेंस की समस्या हो, उनके लिए यह नुकसानदेह भी हो सकती है। इसके अधिक सेवन से पेट खराब होने का खतरा भी रहता है। डायबिटीज वाले लोगों को खासतौर से इससे परहेज करना चाहिए।

हरी सब्जियां

हरी पत्तेदार सब्जियों, खासतौर पर पालक में भरपूर विटामिन बी पाया जाता है, जो उदासी को दूर भगाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, न केवल पालक बल्कि सभी प्रकार की हरी पत्तेदार सब्जियों व फलों का सेवन प्रतिदिन कम से कम तीन-चार बार करना ही चाहिए। इससे शरीर स्वस्थ रहने के साथ ही विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याओं में भी राहत मिलती है।

केला

तनाव, अवसाद या बेचैनी हो या फिर मूड स्विंग हो, केला न सिर्फ एनर्जी बूस्टर है, बल्कि यह फील गुड भी कराता है। इसमें मौजूद पोटैशियम न केवल बिगडे़ मूड को संभालता है, बल्कि दिल की धड़कनों को भी नियंत्रित करता है।

मशरूम

वैज्ञानिकों का कहना है कि प्राकृतिक रूप अर्थात आर्गेनिक तरीके से पैदा किए जाने वाले मशरूम में भरपूर विटामिन डी मौजूद होता है। यह उदासी, सिरदर्द और बेचैनी को कम करने में मददगार होता है। मशरूम में मौजूद तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां जल्दी-जल्दी नहीं होतीं। इसमें मौजूद सेलेनियम इम्यून सिस्टम के रिस्पॉन्स को बेहतर करता है। इसमें बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जिससे वजन और ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ाता। इसमें बहुत कम मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होता है। यह बालों और त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। मशरूम में कई ऐसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिनकी शरीर को बहुत आवश्यकता होती है। यह फाइबर का भी एक अच्छा माध्यम है। इसमें कई महत्वपूर्ण विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। इनमें विटामिन बी, डी, पोटैशियम, कॉपर, आयरन और सेलेनियम आदि होता है। इसके पोषक तत्व मांसपेशियों की सक्रियता और याददाश्त बरकरार रखने में बेहद फायदेमंद रहते हैं।

अलसी

कई शोध-अध्ययनों से पता चला है कि जिन लोगों में उदासी व हताशा के लक्षण देखे गए, उनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड की भारी कमी पाई गई। ओमेगा-3 फैटी एसिड अलसी के बीज में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए समय-समय पर इसका सेवन अवश्य करें। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि यह गुणों का भंडार है। यह हमारे शरीर को मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचाकर स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसका सेवन लोगों की सेहत के लिए वरदान स्वरूप है। कारण, इसमें पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत लाभदायक होता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर व अल्फा लिनोलिक एसिड भी मौजूद होता है, जो शरीर में होने वाली तरह-तरह की बीमारियों और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं को कम करता है। सूरज की हानिकारक किरणों, धूल-मिट्टी, प्रदूषण और तरह-तरह की चीजों के इस्तेमाल से हमारी त्वचा बेजान और वक्त से पहले झुर्रियों का शिकार होने लगती है। उम्र के साथ झुर्रियों का होना सामान्य है, लेकिन यह झुर्रियां अगर उम्र से पहले दिखने लगें तो चिंता होना स्वाभाविक है। ऐसे में अलसी का उपयोग बहुत लाभदायक होता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व एंटी एजिंग का भी काम करते हैं। इसके अलावा यह त्वचा को हाइड्रेट भी रखती है।

चना

प्रोटीनयुक्त चना कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है विटामिन बी-6, जो सेहतमंद तो है ही, साथ ही याददाश्त बढ़ाने में भी मददगार है। चना कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम आयरन व विटामिन्स का अच्छा स्रोत है। भुने चने खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे बहुत सी बीमारियों से भी बचा जा सकता है। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। यह अन्य अनाज के मुकाबले कई गुना ज्यादा होती है। इससे शरीर चुस्त-दुरुस्त बना रहता है। इसमें मौजूद कॉपर व मैगनीज जैसे तत्व शरीर का तापमान सही बनाए रखते हैं। इसके सेवन से एनीमिया की परेशानी नहीं होती। इसलिए एनीमिया के उच्च जोखिम के दौरान महिलाओं (गर्भवस्था, स्तनपान, मासिक धर्म) और बच्चों को खानपान में इसे अवश्य शामिल करना चाहिए। चना फाइटो-न्यूट्रिएंट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह स्तन कैंसर के खतरे को कम करने में भी मदद करता है।

खुशमिजाज बनाते हेल्दी कार्ब

कार्बोहाइड्रेट मूड ठीक करके खुशमिजाज तो बनाता ही है। साथ ही शरीर पर इसका कोई बुरा असर भी नहीं पड़ता।

कैफीन भी है काम की

चाय या कॉफी पीने से भी तनाव कम होता है। कारण, इनमें मौजूद कैफीन के दिमाग में पहुंचने पर आप अच्छा महसूस करेंगी। हालांकि इनका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, क्योंकि कैफीन की अधिकता से एसिडिटी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। कैफीन के अधिक सेवन से भूख भी कम लगती है।

ये भी हैं लाभदायक

मूड ठीक करने के लिए पनीर का सेवन भी किया जा सकता है। इसके अलावा चेरी और विभिन्न प्रकार की बेरीज को भी मूड बूस्टर कहा जाता है। इन्हें आजमाकर देखें और अपनी मानसिक और भावनात्मक सेहत को दुरुस्त रखें।  


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