17 साल पुराने एंटीबॉडी से होगा कोरोना का खात्मा, वैक्सीन तैयार करने में भी मिलेगी मदद
अमेरिका में एंटीबॉडी के मानव परीक्षण का अभियान तेज हो गया है। वायरस को निष्क्रिय करने में तो एंटीबॉडी एस309 सफल रहा है लेकिन देखना होगा कि इस एंटीबॉडी का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं है
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस खोज में लगे हुए हैं कि किसी न किसी तरह कोरोना को जड़ से खत्म किया जाए, ताकि आने वाली बड़ी तबाही से बचा जा सके। अब वैज्ञानिकों को इस दिशा में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने 17 साल पुराने एंटीबॉडी को खोजा है, जो कोरोना वायरस को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने के प्रयास को नाकाम कर सकती है।
इस एंटीबॉडी के इस्तेमाल से वायरस की दवा या वैक्सीन तैयार की जा सकती है। वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। शोधकर्ताओं ने S309 और सार्स की कुछ अन्य कमजोर एंटीबॉडी को मिलाकर कोरोना के मरीज को दी गई। डोज से वायरस पर काबू पाने में कामयाबी पाई गई। वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में हुए शोध में पाया कि S 309 उस स्पाइक प्रोटीन से चिपक जाता है और उसे निष्क्रिय करके ही छोड़ता है। कोरोना यानी सार्स कॉव-2 के इलाज का कोई सौ फीसदी कारगर तरीका न मिलने के बीच इन दावों ने दवा कंपनियों और वैज्ञानिकों की उम्मीद बढ़ा दी है।
अमेरिका में एंटीबॉडी के मानव परीक्षण की तैयारी
इन शुरुआती नतीजों के बाद अमेरिका में एंटीबॉडी के मानव परीक्षण का अभियान तेज हो गया है। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में बायोकेमिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड वेसलर ने कहा वायरस को निष्क्रिय करने में तो एंटीबॉडी एस309 सफल रही है, लेकिन हमें देखना होगा कि शरीर में प्रवेश के बाद इस एंटीबॉडी का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं है। इसके बाद S309 का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो सकता है।
एक और एंटीबॉडी सफल
सैन डियागो की सोरेंटो थैरेपेटिक्स ने दावा किया है कि उसकी एंटीबॉडी एसटीआई-1499 स्वस्थ कोशिकाओं में कोरोना को रोकने में पूरी तरह कारगर साबित हुई है। कंपनी हर माह ऐसी दो लाख एंटीबॉडी खुराक बना सकती है। उसने अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के समक्ष लाइसेंस का आवेदन किया है ।
Written By Shahina Noor