शोध से खुलासा, 40 साल की उम्र से पहले मीनोपाज हुआ तो हार्ट फेल्यर का खतरा ज्यादा
एक अध्ययन के अनुसार यदि 40 साल की उम्र से पहले रजोनिवृत्ति हो तो हार्ट फेल्यर और आर्टियल फिब्रिलैशन (ए-फिब) का खतरा बढ़ जाता है। आर्टियल फिब्रिलैशन में दिल की धड़कन बहुत तेजी से अनियमित हो जाती है।
ब्रसेल्स (बेल्जियम), एजेंसी। मासिक धर्म में अनियमितता या गड़बड़ी से कई प्रकार की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। एक अध्ययन के आधार पर बताया गया है कि यदि 40 साल की उम्र से पहले रजोनिवृत्ति (Menopause) हो तो हार्ट फेल्यर और आर्टियल फिब्रिलैशन (ए-फिब) का खतरा बढ़ जाता है। आर्टियल फिब्रिलैशन में दिल की धड़कन बहुत तेजी से अनियमित हो जाती है, जिससे रक्त का थक्का जमने के साथ ही स्ट्रोक और हार्ट फेल्यर का खतरा बढ़ जाता है।
करीब 14 लाख महिलाओं पर किए गए इस अध्ययन का निष्कर्ष यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। सियोल स्थित कोरिया यूनिवर्सिटी कालेज आफ मेडिसिन के शोधकर्ता तथा इस अध्ययन के लेखक डाक्टर गा यूं नामो ने आगाह किया है कि जल्दी (प्रीमैच्योर) रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं को इस बात को लेकर सचेत रहना चाहिए कि उन्हें समान उम्र की सामान्य महिलाओं की तुलना में हार्ट फेल्यर या आर्टियल फिब्रिलैशन का खतरा ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को हार्ट डिजीज से जुड़ी जीवनशैली की आदतों (यथा धूमपान छोड़ना तथा व्यायाम करना) में सुधार के लिए प्रेरक बन जाता है।
महिलाओं के लिए कार्डियोवस्कुलर डिजीज का जोखिम
आमतौर पर महिलाओं में कार्डियोवस्कुलर डिजीज पुरुषों की तुलना में 10 वर्ष बाद होता है। माना जाता है कि रजोनिवृत्ति से पहले महिलाओं को एस्ट्रोजन के कारण कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को एक तरह से सुरक्षात्मक लाभ मिलता है। लेकिन मासिक धर्म बंद हो जाने से एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है और इस कारण महिलाओं के लिए कार्डियोवस्कुलर डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है।
एक प्रतिशत महिलाओं में जल्द रजोनिवृत्ति
40 साल से कम उम्र की एक प्रतिशत महिला जल्दी या प्रीमैच्योर रजोनिवृत्ति से प्रभावित हैं। पहले के भी अध्ययन में पाया गया है कि प्रीमैच्योर (40 साल से कम उम्र में) तथा अर्ली (45 वर्ष से कम उम्र में) रजोनिवृत्ति का संबंध कार्डियोवस्कुलर डिजीज से है। लेकिन हार्ट फेल्यर या आर्टियल फिब्रिलैशन के प्रमाण सीमित ही थे। इसलिए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने समय पूर्व रजोनिवृत्ति, रजोनिवृत्ति की उम्र तथा हार्ट फेल्यर और आर्टियल फिब्रिलैशन के बीच संबंधों की पड़ताल की। इसके लिए डाटा कोरियन नेशनल हेल्थ इंश्यूरंस सिस्टम (एनएचआइएस) से लिए गए। इसके तहत दो साल में कम से एक बार स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और इसमें लगभग 97 प्रतिशत आबादी को कवर किया जाता है।
एक लाख से ज्यादा महिलाओं पर हुआ शोध
इस अध्ययन में 1,401,175 रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 30 वर्ष या उससे अधिक थी। रजोनिवृत्ति की उम्र 40 वर्ष से कम, 40 से 44 वर्ष, 45 से 49 वर्ष तथा 50 साल या इससे अधिक उम्र वर्ग में बांटा गया। प्रीमैच्योर रजोनिवृत्ति को 40 वर्ष से कम उम्र में आखिरी मासिक धर्म होने के तौर पर परिभाषित किया गया।
अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों में से 28,111 (2 प्रतिशत) प्रीमैच्योर रजोनिवृत्ति वाली थीं। ऐसी महिलाओं की औसत उम्र 36.7 वर्ष थी। अध्ययन के लिए सूचीबद्ध करने के समय प्रीमैच्योर रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं की औसत उम्र 60 वर्ष तथा बिना प्रीमैच्योर रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं की औसत उम्र 61.5 साल थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि औसत 9.1 वर्ष तक के फालोअप में 42,699 (3.0 प्रतिशत) महिलाओं में हार्ट फेल्यर की तथा 44,834 (3.2 प्रतिशत) में आर्टियल फिब्रिलैशन की समस्या पैदा हुई।
शोधकर्ताओं ने बताए कारण
इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने प्रीमैच्योर रजोनिवृत्ति तथा हार्ट फेल्यर और आर्टियल फिब्रिलैशन के बीच संबंधों का विश्लेषण किया। इसमें उम्र, धूमपान, अल्कोहल, शारीरिक श्रम, बाडी मास इंडेक्स (बीएमआइ), हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज, क्रानिक किडनी व हार्ट डिजीज जैसे कारकों पर भी शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि जो महिलाएं प्रीमैच्योर रजोनिवृत्ति से गुजरी थीं, उनमें हार्ट फेल्यर का खतरा 33 प्रतिशत तथा आर्टियल फिब्रिलैशन का खतरा 9 प्रतिशत ज्यादा था। यह भी देखा गया कि रजोनिवृत्ति की घटती उम्र के साथ हार्ट फेल्यर की घटना बढ़ती गई।
आर्टियल फिब्रिलैशन का जोखिम
इनमें रजोनिवृत्ति की उम्र 50 वर्ष या उससे अधिक वाली महिलाओं की तुलना में 45 से 49 वर्ष, 40 से 44 वर्ष तथा 40 वर्ष से कम उम्र में रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं में हार्ट फेल्यर का जोखिम क्रमश: 11 प्रतिशत, 23 प्रतिशत तथा 39 प्रतिशत अधिक था। इसी प्रकार से रजोनिवृत्ति की घटती उम्र के साथ आर्टियल फिब्रिलैशन के जोखिम भी उपरोक्त समान उम्र वर्ग में 4 प्रतिशत, 10 प्रतिशत तथा 11 प्रतिशत अधिक था।