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Post-Covid Heart Care: कोविड-19 से उबरने के बाद ऐसे रखें दिल का ख़्याल!

Post-Covid Heart Care फेफड़ों पर अत्याधिक दबाव के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है या फिर दिल में सूजन आ सकती है जिसे मयोकार्डिटिस कहते हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 05:02 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 10:07 AM (IST)
Post-Covid Heart Care: कोविड-19 से उबरने के बाद ऐसे रखें दिल का ख़्याल!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Post-Covid Heart Care: कोरोना वायरस दिल को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। इससे दिल का वायरल संक्रमण हो सकता है। दो बीमारियां जो आमतौर पर कोरोना के मरीज़ों में देखी जा रही हैं, वे हैं दिल का दौरा और हार्ट अरिथीमिया। फेफड़ों पर अत्याधिक दबाव के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है या फिर दिल में सूजन आ सकती है, जिसे मयोकार्डिटिस कहते हैं। बुज़ुर्ग मरीज़ों में पहले दिल की बीमारी के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है। वहीं, नौजवानों में कोविड-19 के कारण मयोकार्डिटिस हो सकता है।

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एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लामेटरी जैसी प्रायोगिक दवाएं भी हैं कारण

एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लामेटरी जैसी प्रायोगिक दवाएं जिनका उपयोग मरीज़ को स्वस्थ करने के लिए किया जा रहा है, वे भी दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ा सकती हैं।

इन लक्षणों पर दें ध्यान

सांस से जुड़े लक्षणों को पहचानना आसान है, लेकिन डॉ. त्रेहन के मुताबिक दिल से जुड़े इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इन पर भी ध्यान देना ज़रूर है।

- सांस लेने में तकलीफ

- सीने में लगातार दर्द या दबाव महसूस होना 

- भ्रम या भटकाव महसूस होना

- होठों या चेहरे का नीला पड़ना

- शरीर में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाना 

इसके अलावा, बचाव के कुछ तरीके भी अपनाने चाहिए, जैसे डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव, ताकि शरीर फिट रहे और दिल की बीमारी का जोखिम कम हो। रोज़ाना वर्कआउट करें। धूम्रपान छोड़ें, जो कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता है। ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित बनाए रखना कुछ ऐसे कदम है, जो हम सभी को करने चाहिए, चाहे आप 20s में हैं, 30s या फिर 50s के दशक के अंत में हों। लक्षणों को अनदेखा करना स्थिति को और खराब कर सकता है।

कोविड-19 से उबरने के बाद दिल का ख़्याल रखना है ज़रूरी

आजकल मेडिकल एक्सपर्ट्स, कोरोना वायरस से उबरने के बाद ​​दिल की देखभाल करने की बात कर रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण दिल को नुकसान क्यों पहुंचाता है, इस सवाल का जवाब आज भी वैज्ञानिक ढूंढ़ रहे हैं। लेकिन कोरोना वायरस से उबरने के बाद देखभाल और सावधानी बरतनी ज़रूरी है। जो लोग ठीक होने के बावजूद किसी न किसी तकलीफ के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं, उनके लिए रीहैब केयर का विकल्प भी है। कोरोना वायरस केयर के कई रीहैब सेंटर दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में खुल गए हैं। 

कोरोना वायरस से रिकवरी समय ले सकती है और इस पर निर्भर करती है कि आप कितने सेहतमंद हैं। डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना टेस्ट में नेगेटिव आने पर भी आपको बचाव के ज़रूरी स्टेप्स ज़रूर लेने चाहिए।

जो मरीज़ों कोरोना वायरस की वजह से मध्यम से गंभीर स्थिति में पहुंचे थे, उनके दिल और फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। खासकर आगे चलकर ये परेशानी गंभीर रूप ले सकती है। इस तरह के रोगियों में कई लक्षणों की शिकायत होती है, जो सामान्य रूप से सांस फूलना, थकान, जोड़ों में दर्द और सीने में दर्द, हफ्तों तक महसूस करते हैं।

ऐसे मरीज़ों के लिए, बाद में COVID पुनर्वास की आवश्यकता होती है, जिसमें फेफड़े और हृदय संबंधी बीमारी के लिए समय-समय पर उनका मूल्यांकन किया जाता है, ताकि फेफड़ों के फाइब्रोसिस, कम ऑक्सीजन की सांद्रता, पोस्टुरल ड्रॉप रक्तचाप और संबंधित हृदय संबंधी जटिलताओं जैसे लगातार नैदानिक ​​समस्याओं का इलाज किया जा सके।

अगर आपको पहले से हृदय की समस्या है, या हाल ही में हुई है, तो सतर्क रहें और नियमित जांच और परीक्षण कराते रहें। हृदय रोगी जो वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, उन्हें नियमित रूप से अपने डॉक्टरों के संपर्क में रहना चाहिए।


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