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    उम्र के इस पड़ाव पर शरीर देता है 'पेरिमेनोपॉज' के संकेत, Soha Ali Khan ने कहा- बिल्कुल न करें अनदेखा

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 12:04 PM (IST)

    कई महिलाएं 40 की उम्र के आसपास एक ऐसे बदलाव से गुजरती हैं जिसकी चर्चा ज्यादा नहीं होती। जी हां, यहां हम पेरिमेनोपॉज की बात कर रहे हैं। एक ऐसा फेज जब शरीर धीरे-धीरे मेनोपॉज की ओर बढ़ने लगता है। यानी पीरियड्स पूरी तरह बंद होने से पहले का ट्रांजिशनफेज। एक्ट्रेस सोहा अली खान ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पेरिमेनोपॉज के बारे में खुलकर अपनी बात रखी है।

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    पेरिमोनोपॉज पर सोहा अली खान ने तोड़ी चुप्पी, कहा- महिलाओं को घबराने की नहीं है जरूरत (Image Source: Instagram & Freepik) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हम अक्सर मेनोपॉज के बारे में सुनते हैं, लेकिन उससे पहले आने वाले फेज- पेरिमेनोपॉज पर बहुत कम बातें होती हैं। दरअसल, यह वही समय है जब शरीर संकेत देने लगता है कि एक बड़ा हार्मोनल बदलाव आने वाला है। आमतौर पर यह फेज 40 की उम्र में शुरू होता है, लेकिन कुछ महिलाओं में यह 35 के आसपास भी दिखाई दे सकता है।

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    इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बैलेंस नहीं रहता, यानी कभी यह ज्यादा होता है, तो कभी कम। यही उतार-चढ़ाव कई तरह के शारीरिक और भावनात्मक बदलाव लेकर आता है। कई महिलाएं इन्हें सामान्य थकान, तनाव या उम्र बढ़ने से जोड़कर नजरअंदाज कर देती हैं, लेकिन यह एक बड़ा ट्रांजिशन है जिसे पहचानना बेहद जरूरी है।

     
     
     
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    सोहा अली खान ने बताया पेरिमेनोपॉज का सच

    एक्ट्रेस सोहा अली खान ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पहली बार बताया कि वह भी पेरिमेनोपॉज से गुजर रही हैं। उन्होंने कहा कि टेस्ट भले ही आपके हार्मोन का स्तर बताते हों, लेकिन असली चुनौती वे छोटे-छोटे बदलाव हैं जिन्हें महिलाएं अक्सर अकेले झेलती रहती हैं और खुलकर बात भी नहीं करती हैं, जैसे- याददाश्त कमजोर पड़ना, स्लीपिंग शेड्यूल बिगड़ना, चिंता और तनाव या सामान्य काम भी भारी लगना।

    सोहा ने यह भी बताया कि कई महिलाएं इस समय खुद को ‘पहले से अलग’ महसूस करने लगती हैं। उन्होंने एक अहम बात पर जोर दिया कि “पेरिमेनोपॉज न तो उम्र का अंत है और न ही ऊर्जा का। यह बस एक प्राकृतिक बदलाव है और हर बदलाव को सहारे की जरूरत होती है, शर्म की नहीं।”

    जी हां, उनका यह मैसेज हजारों-लाखों महिलाओं की अनकही कहानी जैसा है। समाज अक्सर उम्मीद करता है कि महिलाएं हार्मोनल बदलावों को बिना शिकायत सह लें, लेकिन अब समय है कि इस चुप्पी को तोड़ा जाए।

    Perimenopause

    शरीर किन संकेतों से देता है पेरिमेनोपॉज की जानकारी?

    वैसे तो, हर महिला का अनुभव अलग होता है, लेकिन कई लक्षण बेहद आम हैं जैसे:

    • अनियमित पीरियड्स: साइकिल छोटा या लंबा हो सकता है, कभी-कभी पीरियड्स आते ही नहीं।
    • मूड स्विंग्स: बिना वजह चिड़चिड़ापन, उदासी, बेचैनी।
    • हॉट फ्लैशेज और नाइट स्वेट्स: अचानक गर्मी का एहसास, रात में ज्यादा पसीना।
    • थकान और एनर्जी में कमी: छोटे काम भी मुश्किल लगना।
    • नींद से जुड़ी समस्याएं: देर तक नींद न आना, बार-बार जागना।
    • ब्रेन फॉग: भूलने की समस्या, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
    • पेशाब से जुड़ी दिक्कतें: बार-बार पेशाब लगना या हल्का लीक होना।
    • सेक्शुअल हेल्थ में बदलाव: योनि में सूखापन, सेक्स के दौरान असहजता या सेक्स ड्राइव में कमी।

    इन लक्षणों में से कई इतने सामान्य हैं कि महिलाएं उन्हें बढ़ती उम्र का हिस्सा मानकर अनदेखा कर देती हैं, लेकिन जागरूक रहना जरूरी है। अगर पीरियड्स बहुत ज्यादा हैवी हो जाएं, लंबे चलें या बीच में ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है ताकि अन्य कारणों को समझा जा सके।

    Soha Ali Khan on Perimenopause

    कब तक चलता है पेरिमेनोपॉज?

    यह अवधि कुछ सालों से लेकर लगभग एक दशक तक भी चल सकती है। इसका अंत तब माना जाता है जब 12 महीनों तक पीरियड्स पूरी तरह बंद हो जाएं। दिलचस्प बात यह है कि कई महिलाओं को सबसे ज्यादा लक्षण इसी समय के करीब महसूस होते हैं, लेकिन इसके बाद शरीर धीरे-धीरे एक नई स्थिरता में पहुंच जाता है। सोहा अली खान ने इस बात पर भी जोर दिया कि पेरिमेनोपॉज को सिर्फ 'झेलना' जरूरी नहीं है- कई विकल्प महिलाओं की मदद कर सकते हैं।

    लाइफस्टाइल में बदलाव

    • हल्की एक्सरसाइज, योग और स्ट्रेचिंग
    • कैफीन और शुगर कम करना
    • बैलेंस डाइट
    • सोने का फिक्स टाइम, क्योंकि ये सभी लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

    मेंटल हेल्थ का ख्याल

    इस समय मूड पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में- थेरेपी, सपोर्ट ग्रुप या भरोसेमंद लोगों से बात करना बहुत मददगार साबित हो सकता है।

    सप्लीमेंट्स

    कुछ महिलाओं को ओमेगा-3, मैग्नीशियम या विटामिन B-कॉम्प्लेक्स जैसे सप्लीमेंट्स से मदद मिलती है।

    हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)

    सोहा ने साफ कहा- “HRT कोई टैबू नहीं, यह साइंस है।” अगर इसे सुरक्षित तरीके से और एक्सपर्ट की देखरेख में लिया जाए, तो कई महिलाओं के लिए यह लक्षणों को काफी बेहतर बना सकता है।

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    Source: Cleveland Clinic