इन मच्छरों ने इस देश पर किया था खतरनाक हमला, जानें-कितने हजार बच्चे हुए थे शिकार!
इन मच्छरों से ज़ीका यलो फीवर और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां फैलती हैं। ये मच्छर सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था। अब मच्छरों की ये प्रजाति आज दुनिया के तमाम गर्म देशों में पाई जा
नई दिल्ली, जेएनएन। वर्तमान समय में मच्छर को दुनिया का सबसे ख़तरनाक जीव माना जाता है क्योंकि इसके काटने से कई जानलेवा बामारियां फैलती है। इनमें डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया मुख्य है, जिसकी वजह से दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौते होती हैं। अगर आकड़ों को देखें तो हर साल करीब दस लाख लोग मच्छरों से होने वाली बीमारियों से मरते हैं। डेंगू, मलेरिया, ज़ीका वायरस जैसी बीमारियां जो मच्छरों के ज़रिए ही एक इंसान से दूसरे इंसान तक फैलती हैं। इन वायरस खासकर ज़ीका की वजह से दक्षिण अमरीकी देशों में कई हज़ार बच्चे ऐसे पैदा हुए हैं जिनके मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए।
तो यह कहना ग़लत नहीं होगा कि अगर दुनिया में यह मच्छर नहीं होते तो ये बीमारियां भी नहीं फैलती। दुनिया भर में मच्छरों की करीब 3 हज़ार 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें से ज़्यादातर नस्लें इसानों को बिल्कुल परेशान नहीं करतीं। ये वो मच्छर हैं जो सिर्फ फलों और पौधों के रस पर ज़िंदा रहते हैं।
मच्छरों की सिर्फ छह फ़ीसद प्रजातियों की मादाएं अपने अंडों के विकास के लिए इंसानों का खून पीती हैं। इंसानों का खून पीने वाले इन मादा मच्छरों में से भी आधी ही अपने अंदर बीमारियों के वायरस लिए रहती हैं। इसका मतलब कुल मिलाकर मच्छरों की सिर्फ 100 नस्लें ही ऐसी हैं, जो इंसानों के लिए जानलेवा साबित होती हैं।
दुनिया के सबसे ख़तरनाक मच्छर
एडीस एजेप्टी
इन मच्छरों से ज़ीका, यलो फीवर और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां फैलती हैं। ये मच्छर सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था। अब मच्छरों की ये प्रजाति आज दुनिया के तमाम गर्म देशों में पाई जाती है।
एडीस एल्बोपिक्टस
इस मच्छर से भी यलो फीवर, डेंगू और वेस्ट नील वायरस फैलते हैं। ये मच्छर पहले दक्षिणी पूर्वी एशिया में पैदा हुआ था। मगर अब ये दुनिया के तमाम गर्म देशों में पाया जाता है।
एनोफिलिस गैम्बियाई
इसे अफ्रीकी मलेरिया मच्छर भी कहते हैं। मच्छर की ये नस्ल बीमारियां फैलाने में सबसे आगे है। मच्छरों से होने वाली बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू और यलो फीवर की वजह से दुनिया भर में करीब दस लाख लोग मारे जाते हैं। मच्छरों के शिकार इन लोगों में से ज़्यादातर गरीब देशों के होते हैं।