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Coronavirus Through Breathing: नई रिपोर्ट, सिर्फ सांस लेने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस!

Coronavirus Through Breathing हाल ही के अध्ययन में पता चला है कि वायरस वास्तव में सिर्फ खांसने और छींकने के अलावा तब भी फैल सकता है जब लोग बोल रहे होते हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 12:19 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 07:09 PM (IST)
Coronavirus Through Breathing: नई रिपोर्ट, सिर्फ सांस लेने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस!
Coronavirus Through Breathing: नई रिपोर्ट, सिर्फ सांस लेने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Through Breathing:  नया कोरोना वायरस सांस लेते वक्त और बात करते वक्त हवा के माध्यम से भी फैल सकता है। अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक ने हाल ही में ये जानकारी देते हुए सभी लोगों को हर वक्त मास्क पहने रहने की सलाह दी है।  

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में संक्रामक रोगों के प्रमुख एंथनी फॉकी ने मास्क पहनने के नियमों में बदलाव करने होंगे, क्योंकि हाल ही के अध्ययन में पता चला है कि वायरस वास्तव में सिर्फ खांसने और छींकने के अलावा, तब भी फैल सकता है जब लोग बोल रहे होते हैं।

अभी तक, आधिकारिक रूप से यही सलाह दी जा रही थी कि सिर्फ मास्क पहनने या मुंह ढकने की ज़रूरत सबसे ज़्यादा मरीज़ और जो बीमार लोगों की देखभाल कर रहे हैं उन लोगों को है। फौकी की टिप्पणी उस वक्त आई, जब नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ (NAS) ने एक अप्रैल को व्हाइट हाउस को एक पत्र भेजा था जिसमें इस विषय पर हाल के शोध का सारांश दिया गया था।

अभी तक अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसियों का कहना था कि कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से बूदों के माध्यम से दूसरे व्यक्ति की सांस में चला जाता है। इसका मतलब अगर कोई संक्रमित व्यक्ति के करीब खड़ा है तो उसे भी कोरोना वयारस हो सकता है। हालांकि, अगर ये वायरस अगर हवा के माध्यम से फैलना शुरू हो जाएगा, तो इस पर काबू पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इसलिए सभी को मास्क पहनने की सलाह देनी चाहिए।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि SARS-CoV-2 वायरस एक एरोसोल बन सकता है और तीन घंटे तक हवा में रह सकता है।

इस अध्ययन से आलोचकों में भी एक बहस शुरू हो गई। आलोचकों का कहना था कि अध्ययन के नतीजों को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया क्योंकि टीम ने इसके लिए एक चिकित्सा उपकरण का इस्तेमाल किया, जिसे 


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