Monkeypox: भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में, जानें लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव
Monkeypox केरल में देश के पहले मंकीपॉक्स के मामले की पुष्टि हुई है। मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करा गया है और इलाज शुरू हो चुका है। ऐसे में आइए जानें इसके लक्षणों और बचाव के बारे में।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Monkeypox: भारत में मंकीपॉक्स संक्रमण का पहला मामला केरल के कोल्लम शहर में देखा गया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यूएई से केरल लौटे एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण देखे गए हैं। यह व्यक्ति संयुक्त अरब अमीरात में मंकीपॉक्स से संक्रमित एक मरीज के संपर्क में आया था। उसके नमूने जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए थे। सैंपल रिपोर्ट से मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है। मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इलाज जारी है।
अब तक आए 800 से ज्यादा मामले, नहीं हुई मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर के कई देशों में इस वक्त कोरोना के अलावा और भी कई गंभीर बीमारियों का कहर फैल रहा है। दुनिया के 27 देशों में मंकीपॉक्स के करीब 800 मामले सामने आ चुके हैं। राहत की बात ये है कि अब तक किसी की मौत नहीं हुई है।
क्या है मंकीपॉक्स?
अमेरिका के CDC के मुताबिक, यह मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है। यह ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है जिसमें वेरियोला वायरस (जो चेचक का कारण बनता है), वैक्सीनिया वायरस (चेचक के टीके में प्रयुक्त), और काउपॉक्स वायरस शामिल हैं। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि मंकी वायरस कहां से फैलना शुरू होता है, अफ्रीकी कृन्तकों और बंदरों पर संचरण और संक्रमण का संदेह है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स में चेचक जैसे ही लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन काफी कम गंभीर। यह बीमारी बुखार के साथ शुरू होती है, जिसके बाद सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ में दर्द, लसीका ग्रंथियों में सूजन, ठंड लगना और थकावट।
इसकी इन्क्यबेशन अवधि बुखार के 1 से 3 दिनों के बीच होती है। रोगी को चकत्ते विकसित होंगे, जो चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। चकत्ते बड़े पिंपल्स जैसे होते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते हैं और फिर झड़ जाते हैं । यह रोग 2-4 सप्ताह तक रहता है।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
- मंकीपॉक्स एक ज़ूनोटिक बीमारी है, यानी यह वारस जानवरों से मनुष्यों में फैलने की क्षमता रखता है। यह शरीर में त्वचा के घाव, श्वसन पथ, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से प्रवेश करता है।
- पशु से मानव में रोग का संचरण काटने, खरोंचने और घाव के संपर्क में आने से हो सकता है।
- रोग का मानव से मानव संचरण सीमित है, लेकिन श्वसन बूंदों और घाव के संपर्क के माध्यम से हो सकता है।
क्या मंकीपक्स से बचाव संभव है?
- अन्य वायरस और बीमारियों की तरह अगर सावधानियां बरती जाएं, तो आप मंकीपॉक्स से भी बच सकते हैं।
- जानवरों के संपर्क में आने से बचें जो वायरस फैला सकते हैं।
- बीमार जानवरों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क से बचें।
- संक्रमित मरीज़ों को आइसोलेशन में रखें।
- हाथों की सफाई का ख्याल रखें।
मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?
इस वक्त मंकीपॉक्स का इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, चेचक के टीके, एंटीवायरल और वीआईजी का उपयोग प्रकोप को रोकने के लिए किया जाता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
Picture Courtesy: Freepik/Pexel