Menopause and mental health: मीनोपाज के बाद मस्तिष्क में होता है तेज बदलाव
शोध मीनोपाज से महिलाओं के मस्तिष्क में खुद की पहले की अवस्था में ज्यादा बायोमार्कर से बढ़ता है स्ट्रोक और अल्जाइमर जैसे रोगों का खतरा समान उम्र के पुरुषों की तुलना में ज्यादा मात्रा में पाई जाती है व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज।
वाशिंगटन, एएनआइ : मीनोपाज यानी रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव होने की बातें सामने आती रही हैं। उसी सिलसिले में एक नए अध्ययन में बताया गया है कि मीनोपाज से महिलाओं के मस्तिष्क में खुद की पहले की अवस्था या समान उम्र के पुरुषों की तुलना में ज्यादा बायोमार्कर पाए जाते हैं, जिसे व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज कहते हैं। व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज मस्तिष्क के स्कैन में दिखने वाला छोटा जख्म या नुकसान होता है, जो बढ़ती उम्र या अनियंत्रित ब्लड प्रेशर की स्थिति में सामान्य बात है। कुछ अध्ययनों में इन बायोमार्करों का संबंध स्ट्रोक, अल्जाइमर तथा संज्ञानात्मक नुकसान के ज्यादा खतरों से बताया गया है।
बान में स्थित जर्मन सेंटर आफ न्यूरोडिजनेरेटिव डिजीज के शोधकर्ता तथा इस शोध के लेखक मोनिक एमबी ब्रेटेलर का कहना है कि उम्र के साथ व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज बढ़ता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ऐसे लोग डिमेंशिया या स्ट्रोक के शिकार होंगे ही, लेकिन इसका खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि हमने अपने अध्ययन में इस बात की परीक्षण किया कि इस ब्रेन बायोमार्कर की मात्र बढ़ने में मीनोपाज की क्या भूमिका है। इसमें पाया गया कि महिलाओं और पुरुषों में व्हाइट मैटर मीनोपाज अलग-अलग तरीके से पैदा होता है, जिसमें मीनोपाज या मीनोपाज शुरू होने के कारकों की भूमिका होती है।
अध्ययन में कुल 3,410 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी औसत उम्र 54 वर्ष थी। इनमें से 58 प्रतिशत महिलाएं और उनमें से 59 प्रतिशत मीनोपाज वाली थीं। इसके साथ ही 35 प्रतिशत सहभागियों को हाई ब्लड प्रेशर था और उनमें से आधे को तो अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर था।
सभी सहभागियों के ब्रेन का एमआरआइ किया गया। शोधकर्ताओं ने एमआरआइ स्कैन के आधार पर प्रत्येक सहभागी में व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज की मात्र को आकलित किया गया। मस्तिष्क में इस बायोमार्कर की औसत मात्र 0.5 मिलीलीटर थी। पुरुषों का औसत टोटल ब्रेन वाल्यूम 1,180 मिलीलीटर तथा महिलाओं में 1,053 मिलीलीटर था। औसत टोटल व्हाइट मैटर वाल्यूम (वह क्षेत्र जहां व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज पाए जा सकते हैं)
पुरुषों के लिए 490 मिलीलीटर तथा महिलाओं के लिए 430 मिलीलीटर था। उम्र, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसे जोखिमों को समायोजित करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि मीनोपाज वाली महिलाओं में यह ब्रेन बायोमार्कर समान उम्र के पुरुषों की तुलना में ज्यादा था। वहीं, 45 साल या उससे अधिक उम्र वाली मीनोपाज महिलाओं में औसत टोटल व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज वाल्यूम 0.94 मिलीलीटर था, जबकि पुरुषों में यह 0.72 मिलीलीटर था। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में ब्रेन बायोमार्कर महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ता है। खास बात यह देखी गई कि मीनोपाज से पहले की समान उम्र में महिलाओं और पुरुषों में व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटिज की मात्र में कोई अंतर नहीं था।