Medical Equipment Buying Guide: थर्मामीटर हो या ग्लूकोमीटर, इन्हें खरीदने से पहले ध्यान रखें ये बातें
Medical Equipment Buying Guide कोविड के बाद से लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सर्तक हो गए हैं। बुखार से लेकर शुगर और ऑक्सीजन लेवल की जांच अब वो घर पर ही मेडिकल उपकरणों से कर ले रहे हैं। तो इन उपकरणों को खरीदते समय ध्यान रखें कुछ बातें।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Medical Equipment Buying Guide: सेहत संबंधी बड़ी समस्याओं से बचे रहने के लिए समय-समय पर जरूरी जांचे कराते रहना चाहिए। कोविड के बाद से तो ये और ज्यादा जरूरी हो गया है। लोग बुखार, ऑक्सीजन लेवल और यहां तक कि शुगर लेवल टेस्ट का भी टेस्ट खुद से घरों में जरूरी मेडिकल उपकरणों से करने लगे हैं। जो अच्छी चीज़ है, लेकिन इन मेडिकल उपकरणों की खरीदते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। सस्ते के चक्कर में कई बार हम सेहत से खिलवाड़ कर बैठते हैं।
थर्मामीटर
वैसे तो बाजार में कई तरह के थर्मामीटर उपलब्ध हैं, लेकिन आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी अच्छी कंपनी का मजबूत डिजिटल थर्मामीटर चुनें। अगर हाथ में लेते ही प्लास्टिक की क्वॉलिटी हल्की और रफ लगे तो उसे न लें। बैटरी भी अच्छी होनी चाहिए। बैक लाइट वाले थर्मामीटर का चुनाव न करें। इसमें बैटरी बहुत जल्दी खर्च हो जाती है। अगर घर में नवजात शिशु है, तो उसके लिए कान के पीछे लगाने वाले थर्मामीटर का चुनाव करें। कोविड के दौरान दूर से टेंपरेचर लेने वाले इंफ्रारेड थर्मामीटर का चलन बढ़ गया था पर इनकी रीडिंग सटीक नहीं होगी।
- टेंपरेचर लेने से पहले डिस्प्ले पर बैटरी की पोजिशन देखें। अगर लो बैटरी का सिग्नल आ रहा है, तो टेंपरेचर के गलत होने की आशंका रहती है।
- बेहतर यही होगा कि थर्मामीटर को आर्मपिट के बजाय मुंह में लगाएं। अगर थर्मामीटर को आर्मपिट पर लगाते हैं, तो उसके टेंपरेचर में 1 डिग्री और जोड़ लें।
- मुंह या आर्मपिट में थर्मामीटर रखकर दो मिनट। तक बिना हिलाए रखें और अलार्म सुनाई देने के बाद ही हटाएं।
- खाने के तुरंत बाद मुंह में थर्मामीटर न लगाएं। इसके लिए आधे घंटे का इंतजार करें।
ग्लूकोमीटर
ऐसे ग्लूकोमीटर का चुनाव करें, जिसका इस्तेमाल आसान और सुविधाजनक हो। आजकल बाजार में ऐसे शुगर टेस्ट किट्स भी अवेलेबल हैं, जिन्हें कंप्यूटर के साथ कनेक्ट करने की सुविधा मौजूद होती है। इससे जरूरी रीडिंग को सेव करना आसान हो जाता है।
ऐसे उपकरण खरीदें, जिसमें जांच के लिए सीमित मात्रा में ब्लड सैंपल लेने की सुविधा हो। उंगलियों से जितना कम ब्लड निकलेगा, जांच उतनी ही दर्दरहित होगी।
ग्लूकोमीटर हमेशा छोटे साइज का लें क्योंकि उसका आकार जितना छोटा होगा, इस्तेमाल भी उतना ही सुविधाजनक होगा। हर तीन महीने के बाद ग्लूकोमीटर की सेल बदल दें।
- टेस्टिंग स्ट्रिप को किसी एयर टाइट बॉक्स में रखें। वरना नमी की वजह से जांच का रिजल्ट गलत आ सकता है।
- आमतौर पर सुबह खाली पेट 70-110 शुगर लेवल को सही माना जाता है। अगर ग्लूकोमीटर की रीडिंग। 70 से कम या 300 से ऊपर दिख रही है, तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
भले ही ग्लूकोमीटर में शुगर लेवल की रीडिंग सही आ रही है, लेकिन बार-बार यूरिनेशन, शरीर में दर्द और ज्यादा भूख लगने की समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
पल्स ऑक्सीमीटर
पहले केवल हॉस्पिटल्स में डॉक्टर्स इसका इस्तेमाल करते थे, लेकिन कोविड काल में लोग अपना ऑक्सीजन लेवल जांचने के लिए इसे घर पर रखने लगे। अगर घर में वरिष्ठ नागरिक या अस्थमा के मरीज हों, तो यह यंत्र अपने घर पर जरूर रखें। इसका उपयोग बहुत आसान होता है। अंगुली के ऊपर इसे दबाने के बाद यह ऑक्सीजन लेवल और हार्ट रेट बता देता है, ये किसी अच्छे ब्रांड का ही खरीदें।
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