Move to Jagran APP

Chikungunya Cure: चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण का निदान कैसे किया जाता है?

Chikungunya Cure चिकनगुनिया वायरस रक्त में मच्छरों के काटने के बाद प्रवाह होने लगता है। तेज़ बुखार सिर दर्द चक्कर कमज़ोरी भूख न लगना और हड्डियों में दर्द इसके मुख्य लक्षण हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 01:30 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 04:28 PM (IST)
Chikungunya Cure: चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण का निदान कैसे किया जाता है?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Chikungunya Cure: चिकनगुनिया मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारियों में से एक है। चिकनगुनिया वायरस रक्त में मच्छरों के काटने के बाद प्रवाह होने लगता है और धीरे-धीरे ये अपनी संख्या में वृद्धि करता है। इसके मुख्य लक्षण में तेज़ बुखार आना, सिर दर्द करना, चक्कर आना, कमज़ोरी महसूस होना, भूख न लगना आदि होते हैं। चलिए आज के लेख में देखते हैं कि चिकित्सक इस बीमारी के बारे में क्या बोलते हैं और इसका निदान कैसे किया जाता है।

loksabha election banner

चिकित्सकों की राय

चिकित्सकों के अनुसार चिकनगुनिया बीमारी से निदान पाने का सबसे बेहतरीन उपाय यह ही है कि इससे अपना बचाव किया जाए।

चिकनगुनिया से बचाव के कुछ तरीके

चिकित्सा विभाग (जन स्वास्थ्य) के निदेशक डॉ. के.के. शर्मा ने बताया कि जैसा कि हम जानते हैं कि चिकनगुनिया मच्छरों के काटने से होता है, तो मच्छरों से रोकथाम ही हमारी प्राथमिकता है। मच्छरों से रोकथाम या मच्छरों से बचने के लिए हमें दिन में पूरी बांह कि शर्ट और पूरी पेंट पहननी चाहिए, दिन में ओडोमॉस जैसी क्रीम का प्रयोग करना चाहिए, रात में मच्छरदानी लगा के ही सोना चाहिए और रोज़ नहाना चाहिए। घर के आस-पास साफ-सफाई रखनी चाहिए, घर में और आसपास जैसे गमले, बर्तन, कूलर आदि कहीं पर भी खुले में पानी को इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। बारिश के दिनों में विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि बारिश का पानी आसपास इकट्ठा हो जाता है और मच्छर इसी पानी में बहुत ज़्यादा तेज़ी से फैलते हैं।

चिकनगुनिया का उपचार

डॉ. शर्मा बताते हैं कि चिकनगुनिया की अभी तक कोई भी वैक्सीन या टीका तैयार नहीं हो सका है, लेकिन फिर भी यह बीमारी जानलेवा नहीं है। इसकी रिकवरी रेट भी काफी ज़्यादा है। इसके इलाज के लिए चिकित्सक मुख्य रूप से प्रारम्भिक चिकित्सा का ही सहारा लेते हैं। सबसे पहले वह लक्षणों की पहचान करते हैं और फिर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दवाई देते हैं। तेज़ बुखार में पेरासिटामोल बहुत ज़्यादा फायदेमंद रहती है। इसके अलावा विटामिन की दवाई भी काफी राहत प्रदान करती है।

चिकनगुनिया का कैसे पता चलता है

जिन मरीज़ों को बुखार, सिर दर्द, हड्डियों में दर्द और भूख न लगने की शिकायत होता है, उन्हें चिकनगुनिया की जांच की हिदायत भी दी जाती है। चिकनगुनिया की जांच के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। इस जांच में रक्त में मौजूद RNA की जांच होती है। उसे अच्छे से जांचने के बाद ही पता चलता है कि रक्त में चिकनगुनिया का प्रभाव है या नहीं।

इसके अलावा अगर रोगी में बहुत ज़्यादा कमज़री है, तो उसको ग्लूकोज़ की ड्रिप भी चढ़ाई जाती है ताकि रोगी में थोड़ी ताकत बनी रहे और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहे। इसके अलावा चिकित्सक भी यही सलाह देते हैं कि इस बीमारी के होने और बुखार आने के बावजूद भी शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और रोज़ नहाना चाहिए।

साथ ही मरीज़ के खान पान का भी विशेष ध्यान रखना ज़रूरी है। मरीज़ को समय-समय पर तरल पदार्थ देते रहना, ORS पिलाना मरीज के लिए बहुत लाभदायक साबित होगा है। साथ ही मरीज़ जल्दी वापस स्वस्थ भी हो जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.