Importance Of Vaccination: क्यों बच्चों के लिए ज़रूरी होती हैं वैक्सीन्स? जानें शिशु को कौन से टीके लगवाना हैं ज़रूरी
Importance Of Vaccination Among Kids स्वस्थ जीवन के लिए वैक्सीन्स बेहद अहम रोल अदा करती हैं। यह कई जानलेवा बीमारियों के जोखिम को कम करने के साथ हमें सुरक्षा प्रदान करती हैं। खासतौर पर नवजात शिशु को सभी वैक्सीन्स लगवाना बेहद ज़रूरी होता है।
नई दिल्ली रूही परवेज़। Importance Of Vaccination Among Kids: हर मां-बाप अपने बच्चे के लिए वही करना चाहते हैं, जो सबसे अच्छा है। आप कार सीट्स, बेबी गेट और अन्य तरीकों के बारे में जानते हैं, जिनसे उन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने बच्चों को सुरक्षित रखने का सबसे बेस्ट तरीका है कि उन्हें सभी ज़रूरी वैक्सीन्स लगवाई जाएं? तो आइए जानें एक्सपर्ट्स से कि बच्चों के लिए वैक्सीनेशन क्यों ज़रूरी होती हैं।
बच्चों में वैक्सीनेशन का महत्व
सेव द चिल्ड्रेन (बाल रक्षा भारत) के स्वास्थ्य प्रमुख, डॉ. विकास कौशल बताते हैं, " प्रतिरक्षा शरीर का एक ऐसा ज़रूरी हिस्सा है, जो साल दर साल न सिर्फ बच्चों बल्कि वयस्कों की भी जान बचाता है। बच्चों की बात करें तो टीके उनकी प्रतिरक्षा को मज़बूत बनाकर कई बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं।"
"भारत में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम हर साल लगभग 27 मिलियन नवजात शिशुओं को प्राथमिक खुराकों के साथ टीकाकरण के लिए लक्षित करता है। इसी के साथ, 1-5 वर्ष की आयु के 100 मिलियन बच्चों में डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनेस, पोलियो, क्षय रोग, खसरा, हेपेटाइटिस-बी, जापानी इंसेफेलाइटिस (आमतौर पर दिमागी बुखार के रूप में जाना जाता है), मेनिनजाइटिस, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी और निमोनिया के कारण होने वाले 10 वैक्सीन प्रिवेंटेबल डिजीज (वीपीडी) से सुरक्षा प्रदान करता है।"
"आजकल भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के स्कूल जाने वाले बच्चों को कोविड-19 से लड़ने के लिए टीकाकरण चल रहा है। हम कह सकते हैं कि यह सबसे अच्छा स्वास्थ्य निवेश है, जो मानवता को बचाने और सुरक्षित करने के लिए किया है।"
शिशुओं के लिए कौन-कौन से टीके हैं ज़रूरी
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के बाल चिकित्सा पल्मोनोलॉजी की एडिशनल डायरेक्टर, डॉ. नीतू तलवार का कहना है, " वैक्सीनेशन हमारे बच्चों का पोलियो, टिटनस, डिप्थीरिया, और अन्य कई घातक रोगों से बचाव करता है। वैक्सीन से इन रोगों से बचाव मुमकिन है क्योंकि ये आसानी से फैलती हैं। टीकाकरण का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि एक बच्चे से दूसरे में फैलने वाले ये ख़तरनाक रोग पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं या काफी हद तक कम हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे अब पहले से कहीं ज़्यादा सुरक्षित हैं।
वैक्सीन दरअसल, किसी रोग को पैदा करने वाले रोगाणुओं का ही मृत या बेहद कमज़ोर संस्करण होता है। जब बच्चे वैक्सीन के जरिए किसी रोग के संपर्क में आते हैं, तो उनके शरीर में रोगाणुओं से लड़ने वाली प्रणाली यानी उनका इम्यून सिस्टम रोगों से बचाव के लिए एंटीबॉडीज़ का निर्माण करता है, जो उस रोग के वास्तव में, संपर्क में आने पर सुरक्षा कवच का काम करता है।
वैक्सीनेशन के फायदे उसकी वजह से होने वाले साइड इफेक्ट्स की तुलना में कहीं अधिक होते हैं। दो वर्ष तक की आयु के शिशुओं के टीकाकरण कार्यक्रम में निम्न को शामिल किया जाना चाहिए-
- ट्यूबरक्लॉसिस (तपेदिक) से बचाव के लिए बीसीजी का टीका
- मीज़ल्स, मम्स और रूबेल (एमएमआर) से बचाव के दो टीके
- श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से का संक्रमण हिमोफिलिस इंफ्लुएंज़ा (एचआईबी), जो कि मेनिंजाइटिस का कारण बन सकता है, से बचाव के चार टीके
- पोलियो (आईपीवी) की चार खुराक
- डिप्थीरिया, टिटनस और परट्यूसिस (डीपीटी) के चार टीके
- हेपेटाइटिस बी के तीन टीके
- चेचक से बचाव के दो टीके, केवल उस स्थिति में जबकि आपके शिशु को खुद ही चिकनपॉक्स (चेचक) न हो
- गंभीर किस्म का डायरिया पैदा करने वाले एक प्रकार के संक्रमण - रोटोवायरस के दो या तीन टीके
- निमोकोकाल रोग के चार टीके, यह कान और निमोनिया का सबसे सामान्य कारण है
- हेपेटाइटिस-ए के दो टीके
4 से 6 साल की आयुवर्ग से बच्चों को डीपीटी, आईपीवी, एमएमआर और चिकनपॉक्स के बूस्टर शॉट्स की भी ज़रूरत होती है। बच्चों को 6 माह की उम्र से हर साल फ्लू के टीके भी देने चाहिए। वैक्सीन आज सबसे कारगर दवाओं में से है, जो बच्चों को प्रभावित करने वाले सर्वाधिक ख़तरनाक रोगों से बचाने का काम करती हैं।