Japanese Fever Prevention: इस बुखार के नाम से दहशत में आ जाते हैं इस जगह के लोग!
डेंगू चिकनगुनिया मलेरिया और ज़ीका की तरह इन्हीं मच्छरों से जापानी बुखार भी पनपता है। जापानी इंसेफलाइटिस के मान से जाने जाने वाले इस वायरल फीवर का पूर्वांचल में खास प्रकोप रहता है
नई दिल्ली, जेएनएन। Japanese Fever Prevention: जापानी इंसेफलाइटिस के मान से जाने जाने वाले इस वायरल फीवर का पूर्वांचल में खास प्रकोप रहता है। इस जानलेवा वायरल बुखार वैसे तो कभी भी हो सकता है लेकिन बारिश के मौसम में इसका प्रकोप बढ़ जाता है। बारिश के मौसम में मच्छरों से होने वाली बीमारियां तेज़ी से फैलती हैं। डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और ज़ीका की तरह इन्हीं मच्छरों से जापानी बुखार भी पनपता है।
किन इलाकों में होता है जापानी बुख़ार?
सीडीसी के मुताबिक, जापानी बुख़ार आमतौर पर ग्रामीण और ख़ेती से जुड़े इलाकों में पाया जाता है। खासतौर पर ऐसे इलाकों में जहां चावल की खेती होती है। एशिया में ये बीमारी गर्मियों में सिर उठाती है और बारिश के मौसम में भी इसका प्रकोप देखा जाता है।
कितने दिन में दिखते हैं प्रभाव?
मच्छर से फैलने वाला जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रभाव मच्छर के काटने के 5 से 15 दिनों में दिखाई देने लगता है।
कैसे लगाएं इस बीमारी का पता?
जापानी इंसेफेलाइटिस का असर खून और स्पाइनल फ्लूइड की खास जांच करने पर ही पता चलता है। ये टेस्ट्स उन एंटीबॉडीज़ का पता लगाते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम में वायरल इंफेक्शन से लड़ने के लिए पैदा होते हैं।
क्या है इसका इलाज?
जापानी बुख़ार के पीड़ितों के लिए कोई ख़ास इलाज नहीं है। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के साथ-साथ, ऑक्सीज़न मास्क भी उपलब्ध कराया जाता है।
कैसे बचा जा सकता है जापानी बुख़ार से?
इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए पूरे शरीर को ढककर रखने वाले कपड़े पहने। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। जापानी इंसेफ़ेलाइटिस से बचाव के लिए एक वैक्सीन (जेईवी) मौजूद है जिसे अपने डॉक्टर की सलाह पर लिया जा सकता है।