हर साल लंग 80 से 90 प्रतिशत लोग होते हैं लंग कैंसर का शिकार, जानें इसके लक्षण, प्रकार और बचाव
शायद आपको नहीं पता लेकिन फेफड़े का कैंसर वर्ल्ड के बिग किलर डिजीज में से एक है। जिसका सबसे बड़ा कारण है स्मोकिंग। देश में हर साल 80 फीसदी से ज्यादा लोग इसका शिकार होते हैं।
आज फेफड़ों के कैंसर से होनी वाली मौतों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसकी वजह है कि लोगों के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता नहीं है। इसके साथ इस बीमारी को पकड़ने के लिए जांच की भी व्यवस्था बहुत कम जगहों पर है। नतीजतन मरीज जब अंतिम चरण में पहुंच जाता है तो इलाज शुरू करवाता है। जानेंगे लंग कैंसर होने की वजहें, लक्षण और बचाव के बारे में...
फेफड़े का कैंसर
जब फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है, तो इस स्थिति को फेफड़े का कैंसर कहते हैं। फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चलता और यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है। वास्तव में, फेफड़े का कैंसर फेफड़े के बाहर भी बढ़ जाता है और इसके लक्षण भी अक्सर पता नहीं चलते हैं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका पूरी तरह से इलाज अब भी नहीं मिल पाया है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होने वाला कैंसर अक्सर जानलेवा साबित होता है। फेफड़े का कैंसर एक गंभीर मर्ज है, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब इस कैंसर से छुटकारा संभव है...
कैंसर के प्रकार
1. स्माल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी): यह सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाला फेफड़े का कैंसर है। यह कैंसर धूम्रपान के कारण होता है। एससीएलसी शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलता है और अक्सर जब यह ज्यादा फैल चुका होता है, तब ही इसका पता चलता है।
2. नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी): यह ऐसा कैंसर है, जिसे तीन प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है। इनके नाम ट्यूमर में मौजूद सेल्स के आधार पर होते हैं। जैसे एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा।
लक्षणों को जानें
- सांस फूलना।
- वजन कम होना।
- खांसी जो लगातार बनी रहती है।
- बलगम के रंग और मात्रा में बदलाव आना।
- खांसी के साथ खून निकलना।
- सीने में बार-बार संक्रमण होना और सीने में लगातार दर्द का बने रहना।
बचाव
फेफड़े के कैंसर से बचने के लिए किसी भी तरह के धूम्रपान से दूर रहना आवश्यक है। सुबह के वक्त टहलें और जहां तक संभव हो प्रदूषण वाले माहौल से बचें। दोपहिया वाहन सवार व्यक्ति वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्राणायाम करने से फेफड़े सशक्त होते हैं।
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