Move to Jagran APP

Multiple Myeloma: क्या है मल्टीपल मायलोमा, जिससे जूझ रही हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस किरण खेर

Multiple myeloma ब्लड कैंसर का एक रूप है। यह एक दुर्लभ बीमारी है जो शरीर में प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करती है। भारत में इसके मामले कम देखे जाते हैं लेकिन ऐसा कहा जाता है कि हर साल वैश्विक स्तर पर मल्टीपल मायलोमा 50000 लोगों को प्रभावित करता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 02:40 PM (IST)Updated: Thu, 01 Apr 2021 02:40 PM (IST)
Multiple Myeloma: क्या है मल्टीपल मायलोमा, जिससे जूझ रही हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस किरण खेर
क्या है मल्टीपल मायलोमा, जिससे जूझ रही हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस किरण खेर

 नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Multiple Myeloma: बॉलीवुड अदाकारा और चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर, मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी से जूझ रही हैं, जो एक तरह का ब्लड कैंसर है। 68 साल की एक्ट्रेस का इलाज इस वक्त मुंबई में चल रहा है। इस बात की ख़बर उनके पति और अभिनेता अनुपम खेर ने आज सुबह ट्वीट कर दी।

loksabha election banner

अनुपम खेर ने लिखा कि उनकी पत्नी इस वक्त ट्रीटमेंट से गुज़र रही हैं, और रिकवर हो रही हैं। उन्होंने फैन्स से गुज़ारिश की है कि वे उनके परिवार के लिए प्रार्थना करें और आशा की कि किरण खेर पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत होकर इससे बाहर निकलें। 

क्या होता है मल्टिपल मायलोमा

Multiple myeloma, ब्लड कैंसर का एक रूप है। यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो शरीर में प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करती है। भारत में इसके मामले कम देखे जाते हैं, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि हर साल वैश्विक स्तर पर मल्टीपल मायलोमा 50,000 लोगों को प्रभावित करता है।

इसे 'काहलर' की बीमारी के रूप में भी जाना जाता है, यह एक प्रकार का रक्त कैंसर है, जो शरीर में प्लाज़्मा (श्वेत रक्त कोशिकाओं) के उत्पादन को प्रभावित करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सामान्य रूप से बोन मैरो में चारों ओर मौजूद है।

स्वस्थ प्लाज़्मा कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने और एंटीबॉडीज़ को बनने में मदद करती हैं, वहीं कैंसर से त्रस्त प्लाज्मा कोशिकाएं, जैसे मायलोमा के मामले में स्वास्थ्य कोशिकाओं पर जमा हो जाती हैं और असामान्य प्रोटीन बनाती हैं, जो संक्रमण से नहीं लड़ते और आगे चलकर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। 

घातक कैंसर से ग्रस्त प्लाज़्मा कोशिकाएं 'एम प्रोटीन' नामक एक ख़राब एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं, जो शरीर को कई तरह से क्षति पहुंचाते हैं। जैसे ट्यूमर का विकास होना, गुर्दे व प्रतिक्षा को क्षति पहुंचाना और हड्डियों को कमज़ोर करना। जब मल्टीपल मायलोमा फैलने लगता है और कैंसर की कोशिकाएं कई गुना बढ़ जाती हैं, तो शरीर में सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स के लिए जगह नहीं बचती, जो संक्रमण का कारण बनती हैं।

मल्टीपल मायलोमा शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

मल्टीपल मायलोमा का सबसे बड़ा संकेत है, शरीर में 'एम प्रोटीन' का बढ़ना। क्योंकि असामान्य, घातक कोशिकाएं स्वस्थ सेल फ़ंक्शन को रोकती हैं, एक व्यक्ति को लगातार संक्रमण, रक्त विकार और हड्डियों टूटने का अनुभव होता है।

रक्त कोशिका की क्षमता में कमी से एनीमिया, अत्यधिक रक्तस्राव, रक्त और गुर्दे के संक्रमण जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे में प्रतिरक्षा प्रणाली को अपना काम करने में परेशानी भी आती है। कैंसरयुक्त मायलोमा हड्डियों को भी विनाशकारी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में हड्डियों में घाव, दर्द और फ्रेक्चर हो सकते हैं। 

अन्य संकेतों और लक्षणों की अनुपस्थिति में, अचानक, असामान्य चोट लगना और काफी खून बह जाना पहला संकेत हो सकता है। इसकी फौरन जांच की जानी चाहिए। शुरुआती दिनों में संकत काफी धीरे-धीरे उभरते हैं और उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है।

मल्टीपल मायलोमा के लक्षण

- हड्डियों में दर्द (रीढ़ / छाती के आसपास)

- भ्रम

- लगातार संक्रमण होना

- वज़न घटना और खाने में तकलीफ होना 

- ज़रूरत से ज़्यादा प्यास लगना और शरीर में पानी की कमी महसूस होना 

- थकावट 

- पैरों में कमज़ोरी लगना

- घाव होना 

- मतली और कब्ज सहित गैस्ट्रोइंटेसटाइनल संबंधी शिकायतें।

जब ये एक गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है, तो यह गुर्दे की गड़बड़ी, कम प्रतिरक्षा, हड्डियों की समस्याएं और आरबीसी का स्तर कम होने जैसी कई जटिलताओं का कारण बन सकता है।

जोखिम कारक और कारण

आज तक, यह स्पष्ट नहीं है कि मायलोमा शरीर में किस वजह से फैलता है। हालांकि, कैंसर के अन्य रूपों की तरह, मायलोमा भी हर व्यक्ति के लिए आनुवांशिक रूप से अलग हो सकता है।

इलाज और डायनोसिस

अधिकांश मामलों में शुरुआत टेस्ट में कैंसर का पता नहीं चलता, इसीलिए किसी भी मरीज़ के लिए मल्टिपल मायलोमा को शुरुआती स्टेज में रिपोर्ट करना मुश्किल हो जाता है। देर से जांच कराने से भी दिक्कतें बढ़ती ही हैं। इसके संकेत और लक्षण भी दूसरी कई बीमारियों से मेल खाते हैं। हालांकि, एक ब्लड और यूरीन टेस्ट, बोन मैरो बायोप्सी, इमेजिंग, स्कैन्स, एक्स-रे और जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद से इसका पता लगाया जा सकता है।

वहीं, मायलोमा के लिए कोई सिद्ध इलाज नहीं है, जिस पर काम करने के लिए शोध किया गया है। हालांकि, बीमारी का प्रबंधन करने के लिए उपचार के कई विकल्प हैं, जिनकी मदद से एक लक्षण-मुक्त जीवन जिया जा सकता है। इसमें स्टेम सेल थैरेपी से लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट, ट्रायल और थैरेपी ट्रीटमेंट प्लानस शामिल हैं।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.