पिछले 8 सालों में इंदिरा आईवीएफ ने 32 हजार मांओं को दिया मातृत्व का तोहफा
इंदिरा आईवीएफ देशभर में अपने इनफर्टिलिटी सेंटर्स के जरिये सालाना सैकड़ों निसंतान दंपत्तियों को दुनिया की सबसे अनमोल खुशियां दे रहा है।
इंदिरा आईवीएफ और इसके चेयरमैन डॉ अजय मुर्डिया आईवीएफ तकनीक के जरिये पिछले 8 सालों से मांओं को मातृत्व सुख का तोहफा दे रहे हैं। इंदिरा आईवीएफ के सफर की शुरुआत 8 साल पहले डॉ अजय मुर्डिया की एक छोटी-सी कोशिश के रूप में हुई। महज दो कमरों के सेंटर से शुरू हुआ ये सफर आज देशभर में 50 सेंटरों तक पहुंच गया है। इस शानदार सफर के दौरान यकीनन ही कई चुनौतियां भी डॉ अजय मुर्डिया के सामने आई होंगी। लेकिन, उन्होंने अपने अटल इरादों और सरल सोच के साथ उन चुनौतियों का सामना किया और आज 8 साल बाद इंदिरा आईवीएफ देशभर में अपने इनफर्टिलिटी सेंटर्स के जरिये सालाना सैकड़ों निसंतान दंपत्तियों को दुनिया की सबसे अनमोल खुशियां दे रहा है।
डॉ मुर्डिया ने साल 1975 में आरएनटी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की, जिसके बाद वो 10 सालों तक इसी मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग में एमडी के पद पर रहे। नौकरी छोड़ने और इनफर्टिलिटी के क्षेत्र में काम करने का फैसला करते हुए डॉ मुर्डिया ने 2011 में घर से ही इंदिरा आईवीएफ की शुरुआत का बड़ा फैसला लिया। एक वक्त पर आईएनटी कॉलेज में 2 हजार की सैलरी पर काम करने वाले डॉ मुर्डिया आज देशभर में रिकॉर्ड 50 आईवीएफ सेंटरों का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। देशभर के सभी सेंटरों में लगभग 2000 कर्मचारी काम करते हैं। तब से अब तक इंदिरा आईवीएफ देशभर में 32 हजार मांओं को मातृत्व सुख दे चुका है।
इंदिरा आईवीएफ की सफलता के पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि जो इलाज बाजार में 3 से 5 लाख में उपलब्ध है वही इलाज इंदिरा आईवीएफ में मात्र 1.5 से 2 लाख में किया जाता है। जिसकी वजह से आईवीएफ का फायदा ज्यादा से ज्यादा दंपत्तियों तक पहुंच पा रहा है। भारत में 2011 से पहले लोगों के बीच आईवीएफ को लेकर बेहद ही कम जानकारी थी और शायद ही कोई दंपत्ति विज्ञान के इस चमत्कार के बारे में जानता था लेकिन इंदिरा आईवीएफ के जरिये डॉ अजय मुर्डिया ने लोगों को आईवीएफ की तरफ जागरुक किया और इससे जुड़े मिथकों और झिझक को दूर करने में भी अहम भूमिका निभाई। दंपत्तियों में जागरुकता बढ़ाने के लिए इंदिरा आईवीएफ ने देशभर के 20 राज्यों के 520 शहरों में 1683 जागरुकता शिविर लगाए, जहां निसंतान दंपत्तियों को आईवीएफ के फायदों के बारे में बताया गया।
साल 2011 में इंदिरा आईवीएफ ऑस्ट्रेलिया से क्लोज वर्किंग चैंबर तकनीक भारत लेकर आया जिसकी वजह से यहां आईवीएफ की सफलता दर रिकॉर्ड 72 प्रतिशत है। आज के दौर में निसंतानता की बढ़ती समस्या पारिवारिक कलह की बड़ी वजह बनकर सामने आ रही है। कई परिवारों में ये समस्या तलाक का रूप ले लेती है। लेकिन अब आईवीएफ को लेकर समाज में फैलती जागरुकता की वजह से इस तरह के मामलों में कमी आ रही है और कई निसंतान मांओं को मिल रहा है मातृत्व का वो सुख जिसकी कामना वो हमेशा से करती रही थीं। इंदिरा आईवीएफ के साथ डॉ अजय मुर्डिया का ये 8 सालों का सफर हजारों मांओं के जीवन में नई खुशियां लेकर आया है।