बचपन में आपके लाडले की हार्ट बीट कम है तो युवावस्था में उसके क्राइम करने के चांसेज ज्यादा हैं - जानें कैसे
वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया जिनकी हार्ट बीट किशोर उम्र में धीमी होती हैं वो किशोर युवा अवस्था में ज्यादा क्राइम में भाग लेते है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कभी आपने सोचा है कि बच्चों के दिल धड़कने की रफ्तार का कनेक्शन उनके अपराधी बनने से भी हो सकता है। जी हां, वैज्ञानिकों ने अपराध की दुनिया से इसका नया कनेक्शन सबसे सामने रखा है। उनका कहना है कि किशोर उम्र में जिन बच्चों की हार्ट बीट धीमी होती है उनमें जवान होकर अपराधी बनने के चांस ज्यादा होते हैं।
स्टॉकहोम के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की डॉक्टर और वैज्ञानिकों ने 1958 से 1991 के बीच पैदा हुए स्वीडन के 710264 पुरुषों के आंकड़ों का अध्ययन किया। इन पुरुषों पर 35 साल की उम्र तक नजर रखी गई थी। इन लोगों की दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर 18 साल की उम्र में सेना की अनिवार्य जांच में चेक किए गए थे। अभी दो दिन पहले ही इस अध्ययन के नतीजे मेडिकल जर्नल जामा साइकेट्री में प्रकाशित किए गए हैं। इनमें बताया गया है कि उन लोगों में से 40093 को बाद में हिंसा के कारण जेल भेजा गया।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन पाया, जिनकी हार्ट बीट किशोर उम्र में धीमी थी, उसी उम्र के अन्य किशोर जिनकी हार्ट बीट तेज थी के मुकाबले इन किशोरों के क्राइम में शामिल होने का प्रतिशत 39 है।
जिन किशोरों के दिल धड़कने की रफ्तार कम होती है उनमें उत्तेजित होने के लिए जवानी में ज्यादा जोखिम उठाने की संभावना होती है। वैसे तो आमतौर पर एक वयस्क शख्स की दिल की धड़कन एक मिनट में 60 से 100 तक होती है, मगर कुछ लोगों की धड़कन एक मिनट में 30 तक आ जाती है। यही नहीं आराम करते वक्त जैसे रात को दिल और आराम से धड़कता है।
वैज्ञानिकों को शक है कि दिल की धीमी धड़कन का मनोवैज्ञानिक असर ऐसे लोगों पर पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए एक्साइटमेंट पाना थोड़ा मुश्किल होता है, इसलिए यह लोग उत्तेजित होने के लिए दूसरी चीजों का सहारा या ज्यादा रिस्क भी ले सकते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर दिल की धड़कन और हिंसात्मक व्यवहार के बीच बायोलॉजिकल लिंक की सहीं ढंग से पहचान हो जाए तो फिर इसकी रोकथाम के उपाय भी किए जा सकते हैं। अध्ययन के मुताबिक सामाजिक व्यवहार के अलावा धड़कन की धीमी गति भी जवानी में हिंसात्मक और गैर सामाजिक व्यवहार का कारण बनती है।
Written By Shahina Noor