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इन तरीकों से दूर करे बॉ़डी का एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियों को जन्म देती है पर खानपान की स्वस्थ आदतें अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया सकता है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 05:02 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 05:02 PM (IST)
इन तरीकों से दूर करे बॉ़डी का एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल
इन तरीकों से दूर करे बॉ़डी का एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या के बारे में बातें करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर यह है क्या? कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसायुक्त तत्व है। इसका उत्पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच और हॉर्मोंस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं- एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्छा कोलेस्ट्रॉल) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बुरा कोलेस्ट्रॉल)। एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल काफी हल्का होता है और यह ब्लड वेसेल्स में जमे फैट को अपने साथ बहा ले जाता है।

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बुरा कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल ज्यादा चिपचिपा और गाढ़ा होता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो तो यह ब्लड वेसेल्स और आर्टरी की दीवारों पर जम जाता है। इससे खून के बहाव में रुकावट आती है। इसके बढ़ने से हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और ओबेसिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

कोलेस्ट्रॉल की जांच

कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल नामक ब्लड टेस्ट कराया जाता है। किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 मिग्रा./डीएल से कम, एचडीएल 60 मिग्रा./डीएल से अधिक और एलडीएल 100 मिग्रा./डीएल से कम होना चाहिए। अगर सचेत तरीके से खानपान में कुछ चीजों को शामिल किया जाए तो बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

मेवों में है दम

अखरोट, बादाम और पिस्ते में पाया जाने वाला फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिंस बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का अहसास दिलाता है। इससे व्यक्ति नुकसानदेह फैटयुक्त स्नैक्स के सेवन से बचा रहता है। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि प्रतिदिन मेवों के पांच से दस दाने खा सकती हैं। हालांकि इस संदर्भ में ध्यान रखें कि घी-तेल में भुने और नमकीन मेवों का सेवन न करें। इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। बादाम-अखरोट को पानी में भिगोकर और पिस्ते को ऐसे ही छीलकर खाना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। पानी में भिगोने से बादाम-अखरोट में मौजूद फैट कम हो जाता है और इनमें विटामिन ई की मात्रा बढ़ जाती है। अगर अखरोट से एलर्जी हो तो इसके सेवन से बचें। शारीरिक श्रम न करने वाली महिलाएं अधिक मात्रा में बादाम न खाएं। इससे मोटापा बढ़ सकता है।

लहसुन है कमाल का

लहसुन में कई ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर नौ से पंद्रह प्रतिशत तक घट सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि प्रतिदिन लहसुन की दो कलियां छीलकर खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इस संदर्भ में यह ध्यान रखें कि अगर लहसुन के गुणकारी तत्वों का अधिक फायदा लेना हो तो बाजार में बिकने वाले गार्लिक सप्लीमेंट्स के बजाय सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाना ज्यादा अच्छा रहता है। हालांकि कुछ लोगों को इससे एलर्जी होती है। अगर आपको ऐसी समस्या हो तो लहसुन के सेवन से पहले किसी कुशल चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें।

ओट्स है बहुत फायदेमंद

ओट्स में मौजूद बीटा ग्लूकॉन नामक गाढ़ा चिपचिपा तत्व हमारी आंतों की सफाई करते हुए कब्ज की समस्या दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीने तक नियमित रूप से ओट्स का सेवन किया जाए तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में पांच प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग तीन ग्राम बीटा ग्लूकॉन की जरूरत होती है। अगर रोजाना एक कटोरी ओट्स या दो स्लाइस ओट्स ब्रेड का सेवन किया जाए तो हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में बीटा ग्लूकॉन मिल जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस संदर्भ में यह जरूर ध्यान रखें कि ओट्स में मौजूद फाइबर और बीटा ग्लूकॉन पेट में जाकर फूलता है। इससे कुछ लोगों को गैस की समस्या हो सकती है। इसलिए जिन लोगों की पाचन शक्ति कमजोर हो, उन्हें इससे बचना चाहिए। दूध की एलर्जी वाले लोगों को नमकीन ओट्स का सेवन करना चाहिए।

सेहत के संतरी सोयाबीन-दालें

सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में लिवर की मदद करते हैं। ये चीजें अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 18 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। इसके लिए एक कटोरी दाल और एक कटोरी रेशेदार सब्जियों (बींस, भिंडी, पालक आदि) के साथ वैकल्पिक रूप से स्प्राउट्स का सेवन पर्याप्त होता है। अमेरिकी विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन सोयाबीन से बनी कुछ चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर में पांच प्रतिशत तक कटौती की जा सकती है। इसके लिए एक कटोरी उबला हुआ सोयाबीन, सोया मिल्क, दही या टोफू का सेवन किया जा सकता है। एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि इस संदर्भ में यह ध्यान रखें कि यूरिक एसिड की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए दालों और सोयाबीन में मौजूद प्रोटीन नुकसानदेह साबित होता है। अगर आपको ऐसी समस्या हो तो इन चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

नींबू से न बनाएं दूरी

नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं, जो स्टमक (खाने की थैली) में ही बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया तेज करके कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि गुनगुने पानी के साथ सुबह खाली पेट एक नींबू के रस का सेवन रोज करें। विशेषज्ञों का कहना है कि चकोतरा बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने में बहुत मददगार होता है। इसलिए कुछ लोग इसे भी अपनी डाइट में शामिल करते हैं, लेकिन अगर आप पहले से कुछ दवाओं का सेवन कर रही हैं तो इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। कारण, कुछ दवाओं के साथ इसका बहुत तेजी से केमिकल रिएक्शन होता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

हृदय का रक्षक ऑलिव ऑयल

इसमें मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को स्थिर रखने में सहायक होता है। यह ऑर्टरी की दीवारों को मजबूत बनाता है। इससे हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। यह हाई ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है कि अगर छह सप्ताह तक लगातार ऑलिव ऑयल में बना खाना खाया जाए तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में आठ प्रतिशत तक कमी आ सकती है। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि कुकिंग के लिए वर्जिन ऑलिव ऑयल और सलाद ड्रेसिंग के लिए एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए। एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी होती है। अगर ऐसी समस्या हो तो इसके बजाय फ्लैक्स सीड या राइस ब्रान ऑयल का सेवन किया जा सकता है। अमेरिकी विशेषज्ञों के अनुसार ऑलिव ऑयल हाई ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा दोनों चीजों का लेवल बहुत कम कर देती है। इसलिए इसका सीमित मात्रा में सीमित समय तक सेवन करें। आप चाहें तो किसी सीनियर फिजीशियन या हृदयरोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही इसका सेवन करें।


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