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Hernia: हर्निया के इलाज में लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी से आई क्रांति, जानें इसके फायदे

Hernia हर्निया एक गंभीर समस्या है तो बच्चों से लेकर वृद्धजन तक किसी को भी हो सकती है। यह बीमारी ऑपरेशन से ही ठीक हो सकती है। ऐसे में इसके उपचार में लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी ने क्रांति ला दी है।

By Jagran NewsEdited By: Harshita SaxenaPublished: Tue, 23 May 2023 06:42 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2023 06:42 PM (IST)
Hernia: हर्निया के इलाज में लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी से आई क्रांति, जानें इसके फायदे
हर्निया के इलाज में मददगार लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Hernia: हर्निया के ऑपरेशन के बाद डाक्टर सलाह देते हैं कि ज्यादा वजन मत उठाना, वाहन मत चलाना, आराम करना...। परंतु यह सब अब बीते दिनों की बात हो गई है। ऑपरेशन से ही ठीक होने वाली इस बीमारी के उपचार में लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी ने क्रांति ला दी है। डे केयर सर्जरी की तर्ज पर हर्निया के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद अथवा अगले दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है और चार-पांच दिन बाद वह अपने कार्य पर भी लौट जाता है। वजन उठाना, वाहन चलाना समेत अन्य परहेज से भी राहत मिल जाती है।

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किसी को भी हो सकता है हर्निया

हर्निया एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चों से लेकर वृद्धजन तक किसी को भी हो सकती है। ज्यादा वजन के मोटे व वयस्क लोगों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है। इसका उपचार ऑपरेशन से ही संभव है। कुछ वर्ष पहले तक पेट में लंबा चीरा लगाकर हर्निया का ऑपरेशन किया जाता था। इससे मरीजों को अत्यंत पीड़ा होती थी, साथ ही कई जटिलताएं सामने आती थीं। लेप्रोस्कोपिक व रोबोटिक सर्जरी में छोटा सा चीरा लगाकर ऑपरेशन किया जाता है। दर्द रहित, चीरा रहित इस प्रक्रिया में मरीजों को रक्तस्राव से भी राहत मिलती है।

क्यों होता है हर्निया

हर्निया की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब पेट के भीतर से कोई अंग या मांसपेशी या ऊतक किसी छेद के जरिए बाहर आने लगता है। उदाहरण के लिए बहुत बार आंत, पेट की कमजोर दीवार में छेद करके बाहर आ जाती है। पेट में हर्निया होना सबसे आम है, लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, पेट के बीच और ग्रोइन क्षेत्रों (पेट और जांघ के बीच के भाग) में भी हो सकता है। हाइटल हर्निया, अंबिलिकल हर्निया, इंसिजनल हर्निया, फेमोरल हर्निया आदि इसके विभिन्न प्रकार हैं।

हर्निया के कारण

मांसपेशियों की कमजोरी हर्निया की मुख्य वजह है। मांसपेशियां कमजोर होने के कई कारण हैं-जैसे, चोट लगना, गर्भावस्था, मोटापा, उम्र बढ़ना, ज्यादा वजन उठाना, लंबे समय तक खांसी आना, पेट में तरल पदार्थ जमा हो जाना, ज्यादा वजन उठाकर व्यायाम करना, पालीसिस्टिक ओवरी डिजीज, जन्म के दौरान शिशु का वजन कम होना, धूमपान, सर्जरी के दौरान जटिलता होना, कब्ज, लगातार छींक आना आदि। यह बीमारी आनुवंशिक भी हो सकती है।

प्रमुख लक्षण

हर्निया के कई लक्षण हैं। पुरुषों में दर्दसहित या दर्दरहित हर्निया प्रभावित हिस्से का उभरना, मल-मूत्र त्याग में समस्या, कमर व शरीर के अन्य भाग में सूजन, भारीपन महसूस होना, ज्यादा समय तक खड़े रहने में परेशानी, प्रभावित हिस्से में दर्द महसूस होना, जी मिचलाना, बार-बार उल्टी होना, पेट साफ न होना, मल के साथ खून आना, सीने में दर्द रहना आदि शामिल हैं।

न करें लापरवाही

हर्निया के उपचार में लापरवाही जानलेवा हो सकती है। कई बार आंत या वसायुक्त चर्बी का टुकड़ा हर्निया प्रभावित जगह पर फंस जाता है, जिससे ऊतक में खून की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है। खून की आपूर्ति के अभाव में ऊतक मरने लगते हैं जो मरीज की मौत का कारण बन सकता है। हर्निया का आकार बढ़ने पर यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

रोबोटिक व लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

हर्निया सोसायटी आफ इंडिया, नई दिल्ली के सचिव डॉ. मनीष बैजल के मुताबिक नाभि व जांघ सहित शरीर का कुछ हिस्सा जन्मजात कमजोर होता है। जहां हर्निया होने की संभावना अधिक रहती है। कई बार ऑपरेशन से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और वहां हर्निया हो जाता है। शरीर के अंदर के अंग बाहर निकलने लगते हैं। पहले हर्निया की ओपन सर्जरी की जाती थी परंतु अब लेप्रोस्कोपिक व रोबोटिक सर्जरी ने बीमारी का उपचार आसान कर दिया है। चिकित्सा की इस विधा की सहायता से ज्यादा बड़ी जाली हर्निया के ऑपरेशन में लगाना आसान हो जाता है, जिससे दोबारा यह बीमारी होने का खतरा नगण्य हो जाता है।

दोबारा होने की आशंका नगण्य

वहीं, हर्निया सोसायटी आफ इंडिया, मुंबई के अध्यक्ष डॉ. दीपराज भंडारकर कहते हैं कि ओपन सर्जरी से उपचार के बाद भी 5-7 प्रतिशत मरीजों में यह दोबारा हो जाता था। लेप्रोस्कोपिक व रोबोटिक सर्जरी से यह खतरा न के बराबर रह गया है या यूं कह लें कि एक प्रतिशत से भी कम मरीजों में दोबारा हर्निया होने की आशंका रहती है। महिलाओं में सिजेरियन, बच्चेदानी निकालने के ऑपरेशन आदि कारणों से हर्निया होने की आशंका बढ़ जाती है। कम से कम रक्तस्राव व दर्दरहित सर्जरी की राह लेप्रोस्कोप व रोबोट से आसान हुई है। इस तरह के ऑपरेशन से मरीज जल्द स्वस्थ होकर कार्य पर लौट सकता है।

बातचीत: रामकृष्ण परमहंस पांडे

Picture Courtesy: Freepik


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