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ब्रेन फाग से बचाएगा सेहतमंद मस्तिष्क

कमजोरी एकाग्रता में कमी थकान धैर्य की कमी यानी मस्तिष्क की कार्यक्षमता का प्रभावित होना। यदि ऐसा है तो अनदेखी ठीक नहीं ये ब्रेन फाग की समस्या हो सकती है बता रहे हैं डा. देवाशीष चौधरी निदेशक विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर न्यूरोलाजी जीबी पंत अस्पताल नई दिल्ली

By Keerti SinghEdited By: Published: Tue, 29 Nov 2022 02:49 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 02:49 PM (IST)
ब्रेन फाग से बचाएगा सेहतमंद मस्तिष्क
ब्रेन फाग से बचने के लिए रखें मस्तिष्क की सेहत का खास खयाल

 सुस्त महसूस करना, तमाम कोशिशों के बाद भी किसी बात को याद नहीं कर पाना या एकाग्रचित नहीं हो पाने जैसी दिक्कतें आ रही हैं तो ये ब्रेन फाग के लक्षण हो सकते हैं। लगातार तनाव के दौर से गुजरने, पर्याप्त नींद न लेने या हार्मोंस में आए बदलाव की वजह से भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हाल के दिनों में इसे काग्निटिव इंपेयरमेंट यानी संज्ञानात्मक बधिरता से भी जोड़ा जाने लगा है। खासकर, कोविड-19 के संक्रमण से उबर चुके लोगों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है। यह संक्रमण शुरू से लेकर उपचार होने तक और उसके बाद भी दिमाग की क्षमता को प्रभावित करता है। दरअसल यह किसी बीमारी का नाम नहीं है। फाग का मतलब है- धुंधलापन आ जाना। ब्रेन यानी दिमाग हमें सोचने, बोलने, देखने, समझने में मदद करता है। जब ये सभी काम बिगड़ने लगते हैं तो उस दशा को ब्रेन फाग कहा जाता है।

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संक्रमण से आ रही हैं दिक्कतें: कोविड-19 संक्रमण के कारण कुछ मरीजों का महीनों तक ब्रेन फंक्शन सामान्य नहीं हो पाता। शिकायत होती है कि वे एकाग्रचित नहीं हो पा रहे हैं, उनकी याद्दाश्त प्रभावित हुई है। ब्रेन फटीग यानी ज्यादा देर तक काम करने में मस्तिष्क असमर्थ रहता है। इससे थकावट महसूस होने लगती है और महत्वपूर्ण फैसले लेने में ब्रेन काम नहीं करता। लंबे समय तक ऐसे लक्षण रहने से अवसाद, तनाव जैसी समस्याएं भी उभरने लगती हैं। इससे सामान्य दिनचर्या प्रभावित होती है, कामकाज में दिक्कतें आती हैं और संबंधों पर भी इसका खराब असर पड़ता है।

कैसे पहचानें: जब आप बीमारी से उबर कर आते हैं और बुखार वगैरह नहीं होता। फिर भी दिमाग ढंग से काम नहीं कर रहा है और थकावट महसूस होती है तो ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कहीं यह ब्रेन फाग तो नहीं। इसका सटीक आकलन करने के लिए कोई मानक या परिभाषा नहीं है। अगर एकाग्रता में कमी, धैर्य रखने में समस्या, बातचीत समझने में दिक्कत, बोलते-बोलते किसी शब्द पर अटक जाने जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है तो सतर्क हो जाने की जरूरत है। पाया गया है कि गंभीर और कम दोनों ही तरह के कोरोना संक्रमण के बाद इस तरह की समस्या आ रही है। जिन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है, अगर उनमें इस तरह के लक्षण हैं तो उसके पीछे अन्य तरह के कारण भी हो सकते हैं। दिमाग की कार्यक्षमता को सामान्य बनाने में थोड़ा समय लगता है। सामान्य तौर पर देखा गया है कि तीन से छह महीने के अंदरिदमाग की कार्यक्षमता 80 से 90 प्रतिशत लोगों में सामान्य हो जाती है।

मिलेगा आराम

’ बुखार बढ़ना नहीं चाहिए और शरीर में पानी व नमक की पर्याप्त मात्रा बनी रहनी चाहिए।

’ चिकित्सक के परामर्श से दवाइयां और विटामिंस की गोलियां लें।

’ संक्रमण या बुखार होने की दशा में बिना परामर्श के दवा न लें।

’ विटामिन-बी, विटामिन-सी और विटामिन-डी बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।

’ ज्यादा चिड़चिड़ापन, अवसाद या तनाव है तो तत्काल मनोचिकित्सक से संपर्क करें।

’ समस्या लगातार बनी रहने पर मनोचिकित्सक से परामर्श जरूरी है।

प्रस्तुति: ब्रह्मानंद मिश्र

मस्तिष्क रहेगा स्वस्थ

’ मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए ब्रेन की सक्रियता बढ़ाएं।

’ जिस तरह मांसपेशियों की एक्सरसाइज करते हैं, उसी तरह ब्रेन की भी एक्सरसाइज जरूरी है।

’ ब्रेन को स्वस्थ्य रखने के लिए नई चीजें सीखें, इससे ताजगी महसूस होगी।

’ जिन दैिनक कार्यों में आपको दिक्कत महसूस हो रही है, उसके लिए एक डायरी रखें।

’ नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन और पर्याप्त नींद अवश्य लें।

प्रतिदिन अवश्य करें...

’ 30 मिनट से लेकर 45 मिनट तक टहलें, जिससे पसीनािनकले

’ कम से कम 15 मिनट योग और 15 मिनट प्राणायाम करें

’ प्रतिदिन एक घंटे का समय मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूर निकालें


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