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चाय और हरड़ में कोरोना से लड़ने की ताकत, IIT वैज्ञानिक के शोध में खुलासा

शोधकर्ताओं के मुताबिक हरीतकी जिसे हरड़ के नाम से भी जाना जाता है उसके रस में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ कार्य करने की क्षमता होती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 02:55 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 02:55 PM (IST)
चाय और हरड़ में कोरोना से लड़ने की ताकत, IIT वैज्ञानिक के शोध में खुलासा
चाय और हरड़ में कोरोना से लड़ने की ताकत, IIT वैज्ञानिक के शोध में खुलासा

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी दवा और वैक्सीन खोजने में जुटे हैं। इस बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में खुलासा किया है कि चाय और हरीतकी जिसे हरड़ के नाम से भी जाना जाता है, उसमें कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने की औषधीय क्षमता है।

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कोरोना से लड़ने के लिए कैसे करें हरीतकी का इस्तेमाल

शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि चाय (ब्लैक और ग्रीन टी) और हरीतकी जिसे हरड़ के नाम से भी जाना जाता है, उसके रस में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ कार्य करने की क्षमता होती है। इसका मतलब है कि आप इसके रस का सेवन चाय के साथ कर सकते हैं। ध्यान रहे कि इसके सेवन से पहले एक बार किसी एक्सपर्ट या चिकित्सक की सलाह जरूर ले लें।

चाय और हरीतकी में मिले प्रभावशाली तत्व

शोधकर्ताओं ने चाय और हरीतकी के विभिन्न बायोएक्टिव तत्वों की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि गैलोटेनिन-3 सीएल प्रो वायरल प्रोटीज को रोकने में प्रमुख रूप से शामिल है। प्रोटीज एक प्रकार का एंजाइम होता है, जो प्रोटीन्स को छोटे पॉलीपेप्टाइड्स में अथवा एक अमीनो एसिड में विघटित कर देता है।

आईआईटी दिल्ली के रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डीन एस के खरे ने कहा, 'भारतीय हर्बल और औषधीय पौधों में कई रोगों से निपटने में कारगर जैव सक्रिय तत्वों का विशाल भंडार है। इस संदर्भ में कोविड-19 से जुड़ी स्थितियों में चाय से राहत मिलने की बात सामने आई है।

इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि गैलोटनिन (टैनिक एसिड) भविष्य में सार्स-सीओवी-2से लड़ने में भी चिकित्सकीय तत्व के रूप में उभर सकता है। संस्थान के प्रोफेसर अशोक कुमार पटेल ने शोध दल की अगुवाई की। पटेल कहते हैं कि चिकित्सकीय पौधे मनुष्य में विषाणु जनित रोगों की भयावहता को कम करने के लिए किफायती चिकित्सकीय विकल्प मुहैया करा सकते हैं।

आईआईटी के कुसुमा स्कूल ऑफ बायलॉजिकल साइंसेज (केएसबीएस) के एक दल ने वायरस के 3सीएल प्रोपर्टीज पर 51 चिकित्सकीय पौधों की जांच की, जो वायरल पॉलीप्रोटीन्स के प्रसंस्करण के लिए आवश्यक है और इसके नतीजे अच्छे साबित हुए। शोध से पता चला कि इस प्रोटीन को देने से वायरस की संख्या बढ़नी रुक सकती है। 

                Written By Shahina Noor


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