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Air Pollution: मेलेज़्मा से लेकर स्किन कैंसर तक, जानें त्वचा को किस-किस तरह नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण?

Air Pollution प्रदूषित हवा लोगों के स्वास्थ्य को सांस की बीमारियों हृदय संबंधी समस्याओं और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के बढ़ते जोखिम में डालकर जीवन को बाधित कर रही है। लेकिन आंतरिक अंग ही शरीर के कमज़ोर हिस्से नहीं हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 10:40 AM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 11:19 AM (IST)
Air Pollution: मेलेज़्मा से लेकर स्किन कैंसर तक, जानें त्वचा को किस-किस तरह नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण?
मेलेज़्मा से लेकर स्किन कैंसर तक, जानें त्वचा को किस-किस तरह नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Air Pollution: प्रदूषित हवा लोगों के स्वास्थ्य को सांस की बीमारियों, हृदय संबंधी समस्याओं और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के बढ़ते जोखिम में डालकर जीवन को बाधित कर रही है। लेकिन आंतरिक अंग ही शरीर के कमज़ोर हिस्से नहीं हैं। त्वचा, जो मानव शरीर के बाहर का हिस्सा, वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को सबसे ज़्यादा झेलना पड़ता है।

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त्वचा को क्या-क्या नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण?

फोटोएजिंग या वक्त से पहले बुढ़ापा: यूवी रेडिएशन के सपंर्क में आने से त्वचा को ऐसा नुकसान पहुंचता है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता। इससे त्वचा पर वक्त से पहले झुर्रियां आ जाती हैं।

त्वचा पर पिग्मेंटेशन या ब्राउन स्पॉट्स का बढ़ना: यातायात संबंधी प्रदूषण से निकलने वाले पार्टिकुलेट मैटर के कारण माथे और गालों पर भूरे धब्बे बढ़ जाते हैं।

एटोपिक डर्माटाइटिस या एक्ज़िमा: वायु प्रदूषण की वजह से स्किन पर जलन होना बहुत आम है। एक्ज़िमा त्वचा पर लाल, खुजलीदार पैच की तरह उभरता है, जो पर्यावरणीय तनाव और इनडोर प्रदूषकों की वजह से उत्पन्न होता है। यहां तक ​​कि खाना पकाने और सफाई करने से भी एक्ज़िमा की समस्या हो सकती है।

त्वचा का असमान रंग: यह यूवीए और यूवीबी एक्सपोजर और त्वचा के पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में आने के कारण होता है।

हाइव्ज़ या पित्ती: ये प्रदूषण से होने वाली एलर्जी के कारण होते हैं।

त्वचा पर जलन, पिंपल्स और सूजन: हवा में मौजूद प्रदूषक गंदगी और धूल के साथ मिलकर त्वचा में ब्रेकआउट, मुंहासे और सूजन को ट्रिगर करते हैं। वायु प्रदूषण त्वचा के पारिस्थितिकी तंत्र को बिगाड़ता है

मेलेज़्मा: इस स्थिति का एक बार फिर मुख्य अपराधी प्रदूषण ही है। भारत, चीन, दक्षिण पूर्व एशिया आदि जैसे उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग इन भूरे रंग के रंजकता के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

सोरायसिस: यह स्थिति रक्त में कैडमियम के बढ़ते जोखिम से बढ़ जाती है जो त्वचा की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देती है और बाधा का कारण बनती है।

स्किन कैंसर: कई शोधों ने त्वचा कैंसर को प्रदूषण से जोड़ा है। यह यूवी किरणों, पीएएच, वीओसी, ओज़ोन, भारी धातुओं के कारण हो सकता है।

किस तरह का वायु प्रदूषण त्वचा को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाता है?

वायु प्रदूषण हर जगह है। अलग-अलग तरह के वायु प्रदूषक अलग-अलग तरह से त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। क्योंकि हवा में मौजूद ज़्यादातर कण सीधे त्वचा में प्रवेश नहीं करते हैं, इसलिए वे त्वचा की रासायनिक प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकते हैं जिससे त्वचा की प्राकृतिक रक्षा क्षमता कम हो जाती है।

विभिन्न प्रदूषक जो त्वचा को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं वे हैं:

- यूवी किरणें: फोटोएजिंग के अलावा, यह घातक मेलेनोमा, बेसल सेल कार्सिनोमा, और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के जोखिम को बढ़ाता है, और त्वचा के डीएनए को बाधित करने के लिए जाना जाता है।

- पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PHA): ये ऑटोमोबाइल और उद्योग की वजह से हवा में फैलता है। ये पीएम के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा कर सकते हैं या बालों के रोम या त्वचा द्वारा सीधे अवशोषित हो सकते हैं जिससे कार्सिनोजेनिक क्षति और त्वचा की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

- कार्बनिक यौगिक (VOCs): ये सूर्य की किरणों और नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और स्मॉग का निर्माण करते हैं जो त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। ये पेंट, वार्निश, रिपेयरिंग व्हीकल पेंट, तंबाकू के धुएं, वाहनों से निकलने वाले धुएं में पाए जाते हैं।

- ऑक्साइड्स: बच्चों में एटोपिक डर्मेटाइटिस के बढ़ते प्रसार के पीछे यही कारण हैं।

- पार्टिकुलेट मैटर (PM): इनमें आयन, प्रतिक्रियाशील गैसें शामिल हैं, और ये विभिन्न आकार और संरचना के होते हैं। इनके कारण चेहरे पर झुर्रियां, त्वचा का रूखापन, मुंहासे और बढ़ती उम्र का दिखना होता है।

- ओज़ोन (O3): हम सभी जानते हैं कि ओज़ोन की वजह से वातावरण में तेज़ी से बदलाव आ रहे हैं। इससे त्वचा को भी नुकसान पहुंच रहा है। इसकी वजह से एक्ज़ेमा, डर्माटाइटिस, त्वचा का फटना और कोलेजन व त्वचा में इलास्टन को नुकसान पहुंचाता है।

- सिगरेट से निकलने वाला धुंआ: इस प्रकार के प्रदूषण में एरोसोल यौगिक होते हैं और अन्य रसायनों में कार्सिनोजेन्स शामिल होते हैं। ये त्वचा के साथ संपर्क में आकर डीहाइड्रेशन, टिशू मैट्रिक्स का विघटन का कारण बनते हैं। जो लोग काफी स्मोक करते हैं, उनमें समय से पहले झुर्रियां और फाइन लाइन्स होने की संभावना लगभग 5 गुना अधिक होती है।

Disclaimer:लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।


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