कोरोना काल में मानसिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए फॉलो करें ये आसान टिप्स
हमने अक्सर देखा है कि टेस्ट मैचों में ‘ड्रिंक्स’ का एक विशेष महत्व होता है जिसका समय भी निर्धारित होता है। ट्रॉली मैदान में आती है और सभी खिलाड़ी पेय पदार्थ पीते हैं। बीमारी में भी इस ‘ड्रिंक्स’ का महत्व समझिए। समय-समय पर इलेक्ट्रॉल ओआरएस जूस इत्यादि लेते रहें।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। क्रिकेट एक जेंटलमैन्स गेम है, जिसे तकनीक और संयम के बल पर खेला जाता है। इसमें हड़बड़ाहट आपको ले डूबती है। फिर आप एक अच्छे खिलाड़ी ही क्यों न हों, आप मैदान पर टिक नहीं पाते। ठीक वैसे ही आपदा में टिके रहने के लिए थोड़े संयम और एक बेहतरीन सोच की आवश्यकता होती है। समस्याओं की पिच पर टिके रहने में ही समझदारी है। यह एक टेस्ट क्रिकेट है, कोई ‘वन डे’ या ‘टी-20’ नहीं, जिसे आपको कुछ घंटों में जीतना है। इसलिए संयम बनाए रखें और अपनी जोड़ी टूटने न दें। आज प्रत्येक व्यक्ति को ‘दवा’ से ज्यादा ‘संयम’ की जरूरत है। खासकर मानसिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए अदंर से स्ट्रांग रहने की जरूरत है। अगर आप भी कोरोना काल में मानसिक रूप से सेहतमंद रहना चाहते हैं, तो इन टिप्स को जरूर फॉलो करें-
1. अपनी बेस्ट टीम चुनें
इस टेस्ट के लिए अपनी बेस्ट टीम चुनें। क्रिकेट की तरह इस आपदा के ‘टेस्ट’ में भी आपके पास ग्यारह खिलाड़ी होते है। संयम, साहस, पराक्रम, कौशल, उत्सुकता, मूल्यांकन, संबंध, समीक्षा, विश्रांति के अतिरिक्त कप्तान और उपकप्तान का चयन आप और आपकी पत्नी आपस में तय करें। आप स्वंय कप्तान बने। पारी के क्रम अपने अनुसार निर्धारित करें। घर में छोटे बच्चे हैं. तो उन्हें बारहवां खिलाड़ी बनाएं, ताकि वे आपकी जरूरतों को पूरा कर सकें। इससे उन्हें यह एहसास होगा कि वे भी टीम का हिस्सा हैं।
2. ‘ड्रिंक्स’ का महत्व समझें
हमने अक्सर देखा है कि टेस्ट मैचों में ‘ड्रिंक्स’ का एक विशेष महत्व होता है, जिसका समय भी निर्धारित होता है। ट्रॉली मैदान में आती है और सभी खिलाड़ी पेय पदार्थ पीते हैं। बीमारी में भी इस ‘ड्रिंक्स’ का महत्व समझिए। समय-समय पर इलेक्ट्रॉल, ओआरएस, जूस इत्यादि तरल पदार्थ लेते रहें और शरीर में पानी की कमी न होने दें। ड्रिंक्स ही क्यों, टेस्ट क्रिकेट मैच में तो लंच और टी ब्रेक का समय भी निर्धारित होता है। अत: समय पर भोजन करें और दवा भी लें। तभी आप लंबी पारी खेल सकेंगे।
3. आउट फील्ड पर नजर रखें
एक अच्छे खिलाड़ी की यह खासियत होती है कि वह पिच पर आते ही सबसे पहले एक नजर आउट फील्ड पर डालता है। आप भी ऐसा ही करें। संक्रमित होते ही धन की उपलब्धता, अपने क्षेत्र की चिकित्सा सुविधाएं, मित्रों की व्यस्तता, रिश्तेदारों की जरूरत व स्वयं के सामथ्र्य का ठीक-ठीक मूल्यांकन कर लें। साथ ही आने वाली प्रत्येक गेंद को किस क्षेत्र में धकेलना है, उसका गणित लगाएं।
4. रन औसत की चिंता छोड़ें
अक्सर देखा गया है कि लोग बीमार होते ही सारे हाथ-पैर चला बैठते है। इसको, उसको, जो मिले उसको अपनी समस्याएं बताने लगते हैं। शुरुआत में तो वे कुछ रन बना लेते हैं किंतु जब अपेक्षाकृत परिणाम सामने नहीं आता तो उन्हें निराशा घेर लेती है और वे संतुलन खो बैठते हैं। जिससे अच्छा-खासा खेल बिगड़ जाता है। चौके-छक्के लगाने की जगह टिककर खेलना सीखें। धीरज के साथ आगे बढ़ें। जिसकी जरूरत हो, केवल उसी से सुझाव मांगें।
5. साझेदार का महत्व समझें
होता अक्सर यही है कि हम सारे निर्णय स्वयं करने लगते हैं। जबकि हर ओवर के बाद अपने पार्टनर से बात करें, रणनीति बनाएं और फिर आगे बढ़ें। याद रखिए, बीमारी में पत्नी को पति से ज्यादा दोस्त की आवश्यकता होती है। यही बात दूसरी ओर भी लागू होती है। अत: अपने पार्टनर के साथ बेहतरीन साझेदारी बनाइए। न उसे तेज खेलने को कहें और न ही स्वयं तेजी दिखाएं। यदि आप बीमार हैं तो ज्यादातर स्ट्राइक अपने पार्टनर के पास रखें। वह बेहतर समझेंगे कि आपको कब, क्या करना है। दौड़ने से पहले कॉल दें। दोनों की तैयारी हो तभी रन लें।
6. स्लो एंड स्टेडी विंस द मैच
हमेशा एक बात ध्यान रखें। युद्ध और बीमारी से वही जीतता है, जो अधिक से अधिक समय खुद को सुरक्षित रखते हुए आगे बढ़ता है। क्रिकेट में भी रन बनाने के लिए आपको पिच पर टिके रहना होता है। अत: गेंद की गति को पहचानिए। उसकी स्पिन अर्थात म्यूटेशन पर ध्यान दीजिए। ज्यादा घुमाव की स्थिति में संभलकर खेलिए।
7. शोर में ‘मोर’ न बनें
कई बार बाउंड्री के बाहर से दर्शकों का शोर खिलाड़ी को बैचेन कर देता है। तेजी से खेलने की मांग लगातार उठती रहती है। अत: दर्शकों के दबाव में न आएं। उनके कहने पर कोई जोखिम न उठाएं। आवेग में लिया गया आपका एक कदम आपका संतुलन, पैसा और आपसी सामंजस्य बिगाड़ सकता है। अत: रन अपने हिसाब से ही बनाएं। किसी के कहने पर डॉक्टर, दवा या अन्य कोई व्यवस्था न बदलें।
8. ‘टेस्ट में बेस्ट’ तो चढ़ जाएंगे ‘एवरेस्ट’
अक्सर देखा गया है कि टेस्ट में जिस खिलाड़ी ने अपना बेस्ट दिया है वह शिखर पर रहा है। अत: टीम का आधार बनिए। आपके टिके रहने में ही टीम की भलाई है। अत: स्वयं संयमित रहें और दूसरे को प्रोत्साहित करते रहें। उनके किए जाने वाले हर कार्य में कमियां निकालने के बजाय उनकी प्रशंसा करें।
9. मजबूत आधार फिर आक्रामक प्रहार
एक बार पारी मजबूत स्थिति में पहुंच जाए, आपको लगने लगे कि अब आप खतरे से बाहर हैं। आप बीमारी से पार पा लेंगे, तब आक्रामकता पर जोर दें। इस सबको कैसे और किस तरह समेटना है, इस पर विचार करें, ताकि आप जल्द से जल्द उस बीमार मानसिकता से बाहर निकल सकें। घर में उल्लास के पल निर्मित करें ताकि अन्य सदस्यों में भी विश्वास जागे।
10.दूसरी पारी, बहुत जरूरी
कहने का तात्पर्य है कि बीमारी से निकलने के बाद कुछ समय तक अपनी और अपने परिवार के सेहत की चिंता अवश्य करें। सेहत केवल दवाइयों से नहीं बनती बल्कि घर में व्याप्त उदासी भरे माहौल को दूर करने से भी बनती है।
(माधव जोशी)
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।