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Arthritis Day 2019: जानें अर्थराइटिस से जुड़ी गलतफहमियां और इनके पीछे की सच्चाई

Arthritis Day 2019 अर्थराइटिस बीमारी को लेकर लोगों के मन में कई तरह की गलतफहमियां हैं जिनके बारे में खुद जानें और लोगों को भी बताएं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 11:41 AM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 02:16 PM (IST)
Arthritis Day 2019: जानें अर्थराइटिस से जुड़ी गलतफहमियां और इनके पीछे की सच्चाई
Arthritis Day 2019: जानें अर्थराइटिस से जुड़ी गलतफहमियां और इनके पीछे की सच्चाई

जोड़-प्रत्यारोपण(ज्वाइंट्स रिप्लेसमेंट) के संदर्भ में लोगों के मध्य कुछ भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिनका तथ्यों की रोशनी में निराकरण करना जरूरी है।

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1. भ्रांति: अर्थराइटिस के कारण बढ़ती उम्र में होने वाला दर्द स्वाभाविक है। इसलिए इस दर्द के साथ आपको जीना सीखना पड़ेगा।

सच्चाई: ऑस्टियो-अर्थराइटिस, अर्थराइटिस का सबसे सामान्य प्रकार है। लेकिन आज भी अनेक लोग अपने जोड़ों के दर्द को स्थायी रूप से दूर करने के बजाय उसे कम करने के लिये पुराने-तरीकों जैसे शारीरिक उपचार, दवाओं व इंजेक्शन्स के ऑप्शन चुनते हैं। अगर आपका दर्द रोजाना किए जाने वाले कामों में रूकावट रहा हो, तो आपको आर्थोपेडिक सर्जन के परामर्श से फायदा हो सकता है।

2. भ्रांति: कृत्रिम जोड़ प्रत्यारोपण से प्राकृतिक जोड़ों का अहसास नहीं हो सकता।

सच्चाई: जोड़ प्रत्यारोपण के लिए सामग्रियों, डिजाइनों और सर्जिकल प्रक्रियाओं में काफी प्रगति हो चुकी है। आजकल निर्मित घुटने और कूल्हे के डिजाइन कुदरती जोड़ों का अहसास कराते हैं। ये लगभग प्राकृतिक जोड़ों सरीखे(क्लोज टू नेचुरल) होते हैं।

3. भ्रांति: मैं जोड़ प्रत्यारोपण के लिये काफी युवा हूं। इस उम्र में प्रत्यारोपण कराना ठीक नहीं है।

सच्चाई: जोड़ प्रत्यारोपण की जरूरत आपकी आयु पर नहीं बल्कि बल्कि अर्थराइटिस से पीडि़त व्यक्ति को होने वाले दर्द और चलने-फिरने में होने वाली दिक्कतों पर निर्भर करती है। इंप्लांट्स तकनीक में हुई प्रगति के परिणामस्वरूप रोगियों को अब घुटना प्रत्यारोपण के लिए रोटेटिंग प्लेटफार्म नी और कूल्हों के लिए अनसीमेंटेड व सिरेमिक्स से निर्मित कृत्रिम विकल्पों से फायदा हो सकता है। ये विकल्प युवा रोगियों को कहीं ज्यादा कुदरती तरीके से काम करने में मदद करते हैं।भ्रांति: जोड़-प्रत्यारोपण सर्जरी करवाने से पहले जितना संभव हो सके, उतनी देर तक रुकना चाहिए।सच्चाई: सर्जरी में देरी करने से पीडि़तों के जीवन की गुणवत्ता घट जाती है और गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। ऑस्टियो-अर्थराइटिस एक ऐसा रोग है, जो जोड़ों को नुकसान पहुंचाना जारी रखता है। इस स्थिति में सर्जरी में देरी से सर्जरी से संबंधित जटिलताएं बढ़ सकती हैं और रोगी की सामान्य अवस्था में वापस आने की प्रक्रिया में मुश्किल हो जाती है।

4. भ्रांति: जोड़ों के सभी इंप्लांट्स एक जैसे होते हैं।

सच्चाई: आज जोड़ प्रत्यारोपण कराने वाले रोगियों के समक्ष उनकी जरूरतों और विभिन्न जीवन-शैलियों के अनुरूप बनाए गए कई ऑप्शन्स मौजूद हैं। अपनी व्यक्तिगत जरूरतों और विशिष्ट इंप्लांट्स के बारे में अपने आर्थोपेडिक सर्जन से बात करें, जो आपके लिए सही इंप्लांट की सलाह देगा।

डॉ.राघवेंद्र जायसवाल (एमसीएच, आर्थो) 


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