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    अंतरिक्ष में रहने से गलने लगती हैं हड्डियां, धरती पर लौटने के बाद होता है बुरा हाल, दुष्प्रभावों को जान हैरान रह जाएंगे आप

    effects of space travel अंतरिक्ष में रहने से मानव शरीर पर काफी गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं। हड्डियों का क्षरण (लास) होता है। अंतर‍िक्ष में रहने के घातक दुष्प्रभाव लंबे समय तक कायम रहते हैं। इन दुष्‍प्रभावों को जानकर हैरान रह जाएंगे आप...

    By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 03 Jul 2022 10:59 AM (IST)
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    space travel side effects on human: अंतरिक्ष में रहने से मानव शरीर पर गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं।

    वाशिंगटन, रायटर। अंतरिक्ष पर्यटन और चांद पर कालोनी बसाने की योजनाओं के बीच एक अहम अध्ययन में पाया गया है कि अंतरिक्ष में रहने से मानव शरीर पर गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं। हड्डियों का क्षरण (लास) होता है, वह कमजोर हो जाती हैं और दिल पर भी दबाव बढ़ता है। यह जानकारी 17 अंतरिक्ष यात्रियों पर किए गए अध्ययन से सामने आई है। अध्ययन में पता लगाया गया है कि अंतरिक्ष यात्रा से शरीर पर क्या और कितना प्रभाव हो सकता है। साथ ही यह जानने का प्रयास भी किया गया है कि इसे रोकने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।

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    • अंतरिक्ष पर्यटन की योजनाओं के बीच अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में हुए बदलाव आए सामने
    • 17 अंतरिक्ष यात्रियों पर अध्ययन से पता चला-गुरुत्वाकर्षण की कमी से कमजोर होतीं हड्डियां
    • रक्त प्रवाह पर विपरीत प्रभाव से कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली और देखने की क्षमता पर भी असर

    कब तक होती है नुकसान की भरपाई

    साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की मुख्य लेखिका और कैलगरी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ली गैबेल ने कहा कि यह जानकारी तो पहले थी कि लंबे प्रवास के बाद अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों पर प्रभाव होता है, लेकिन इस बार हमने धरती पर लौटने के एक वर्ष बाद तक अंतरिक्ष यात्रियों का बारीकी से अध्ययन करके पता लगाया है कि हड्डियों को हुए नुकसान की भरपाई कब तक और कैसे होती है।

    14 पुरुष व तीन महिलाओं पर अध्ययन

    अध्ययन 14 पुरुष व तीन महिला अंतरिक्ष यात्रियों पर किया गया। इनकी औसत आयु 47 वर्ष है और यह चार से सात माह तक अंतरिक्ष में रहे। उनके अंतरिक्ष में प्रवास का औसत साढ़े पांच माह है।

    छह माह में दो दशक के बराबर नुकसान

    धरती पर लौटने के एक वर्ष बाद अंतरिक्ष यात्रियों की टिबिया (घुटने से नीचे पैर की प्रमुख हड्डी) की बोन मिनरल डेंसिटी (घनत्व) 2.1 प्रतिशत कम पाई गई। यही नहीं टिबिया की क्षमता में भी 1.3 प्रतिशत की कमी मिली। इन 17 में से नौ अंतरिक्ष यात्रियों में बोन मिनरल डेंसिटी की कमी की भरपाई नहीं हो सकी।

    केवल पचास प्रतिशत ही हो पाती है भरपाई

    गैबेल ने बताया कि छह माह की अंतरिक्ष यात्रा में अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों में हुआ नुकसान उतना ही है, जितना धरती पर रहने वाले बुजुर्ग में दो दशक में होता है। अंतरिक्ष यात्रियों में इस नुकसान की केवल पचास प्रतिशत भरपाई ही हो पाती है। हड्डियों पर प्रभाव माइक्रोग्रैविटी के कारण होता है।

    रेडिएशन से कैंसर का भी खतरा

    गैबेल ने आगे कहा कि माइक्रोग्रैविटी के कारण हृदय से जुड़े कामकाज पर भी प्रभाव पड़ता है। बिना गुरुत्वाकर्षण के पैरों की तरफ रक्त प्रवाह करने से अंतरिक्ष यात्रियों को शरीर के ऊपरी भाग में अधिक रक्त एकत्र होने का अनुभव होता है। इससे कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली और देखने की क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।

    बढ़ जाता है कैंसर का खतरा

    रेडिएशन का भी अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत पर असर पड़ता है क्योंकि वह जब धरती से अंतरिक्ष में जाते हैं तो सूर्य के रेडिएशन के अधिक प्रभाव में आ जाते हैं। इससे कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। गैबेल ने कहा कि छह माह से अधिक की अंतरिक्ष यात्राओं में शरीर को दीर्घावधि में होने वाले नुकसान के बारे में अभी हमें पूरी जानकारी नहीं है।

    कई अंतरिक्ष अभियानों की है योजना

    यह अध्ययन बहुत अहम माना जा रहा है क्योंकि कुछ महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी है। नासा वर्ष 2025 में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने वाला है। इसके बाद मंगल पर भी अंतरक्षि यात्री भेजने की तैयारी है। यह भी उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में पहले ही निजी कंपनियां कदम बढ़ा चुकी हैं।

    यह है हड्डियों को नुकसान का कारण

    अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों में कमी इसलिए आती है क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता और इस कारण उनके शरीर का भार पैरों पर नहीं पड़ता। इस कारण धरती पर सामान्य परिस्थितियों में भार सहन करने वाली हड्डियां अंतरिक्ष में यह वजन महसूस नहीं करतीं। गैबेल ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसियों को यह नुकसान रोकने के लिए व्यायाम और पोषण से संबंधित कदम उठाने पड़ेंगे।

    धरती पर लौटने के बाद होता है ऐसाा बुरा हाल

    अंतरिक्ष यात्रा में हड्डियों के सूक्ष्म बोन राड पतले हो जाते हैं और कुछ का संपर्क एक दूसरे से टूट जाता है। जब अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटता है तो बोन राड की चौड़ाई बढ़ जाती है, लेकिन जो टूट चुके थे, वह ठीक नहीं हो पाते। इस तरह अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों की संरचना स्थायी रूप से बदल जाती है। इस अध्ययन में शामिल किए गए अंतरिक्ष यात्री बीते सात वर्ष में अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे। इन अंतरिक्ष यात्रियों की पहचान नहीं बताई गई है। हालांकि इसका उल्लेख है कि वह अमेरिका, कनाडा, यूरोप और जापान की अंतरिक्ष एजेंसियों से जुड़े हैं।