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New Research: बच्चों में सुई के डर को कम करने के खोजे गए तरीके, विज्ञानियों ने शोध में पाई ये चीजें

यूनिवर्सिटी आफ साउथ आस्ट्रेलिया के विज्ञानियों ने एक शोध किया है जिसमें कहा गया है कि बच्चों को सकारात्मक संदेश और आत्मविश्वास देंगे तो उन्हें सुई से डर नहीं लगेगा। शोध के निष्कर्ष को यूरोपियन जर्नल आफ पेन में प्रकाशित किया गया है।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 01:10 AM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 01:10 AM (IST)
New Research: बच्चों में सुई के डर को कम करने के खोजे गए तरीके, विज्ञानियों ने शोध में पाई ये चीजें
सुई के डर को कम करने पर हुआ शोध।

एडिलेड (आस्ट्रेलिया) एजेंसी। सुई की बात आने पर कई बच्चे और युवा डर का अनुभव करते हैं। इसके परिणामस्वरूप कई बार वे रोने लगते हैं या सुई न लेने का बहाना खोजते हैं। वर्तमान समय में टीकाकरण की जरूरत बढ़ती जा रही है, ऐसी स्थिति में बच्चों और युवाओं में सुई से संबंधित भय और दर्द को कम करने के लिए तरीकों को खोजना प्राथमिकता बन गई है।

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यूनिवर्सिटी आफ साउथ आस्ट्रेलिया के नए शोध से पता चलता है कि बच्चों के टीकाकरण और सुई के डर को कम किया जा सकता है, जब नर्स टीकाकरण या सुई लगाने के दौरान बच्चों के साथ सकारात्मक और समर्थन में अधिक वक्त बिताती हैं। इस शोध के निष्कर्ष को यूरोपियन जर्नल आफ पेन में प्रकाशित किया गया है।

बच्चों का ध्यान विभाजित करने की जरूरत

आठ से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों के साथ काम करते हुए प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया कि इसके लिए सकारात्मक संदेश और मानसिक संबल बहुत जरूरी है। सुई लगाने के दौरान बच्चों का ध्यान विभाजित कर उन्हें दूसरी चीजों पर ले जाया जाता है। विज्ञानियों ने पाजिटिव मेमोरी रिफ्रेमिंग को बेहद महत्वपूर्ण माना है। यानी अनुभव के सकारात्मक चर्चाओं के माध्यम से सुई लगाने के डर को दूर भगाया जा सकता है। इससे वे डर की जगह यर्थाथवादी बन सकेंगे।

कोविड काल में डर खत्म करना ही होगा

इस शोध की प्रमुख लेखक डा. फेलिसिटी ब्रेथवेट का कहना है कि कोविड-19 के कारण टीकाकरण अभियान से अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ना भविष्य के संकट को कम करने में मददगार है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों में सुई का डर कम हो। ब्रेथवेट ने कहा कि कई बच्चों के लिए सुई लगवाना दर्दनाक और बेहद परेशान करने वाला कार्य हो सकता है। बचपन में टीकाकरण के नकारात्मक अनुभव अक्सर युवावस्था या वयस्क होने के बाद सुई लेने में हिचकिचाहट का भाव पैदा करते हैं। महामारी काल में अगर पूर्ण टीकाकरण में इस तरह की रुकावट आती है तो इसके परिणाम विनाशकारी भी हो सकते हैं।

इस अध्ययन में 41 बच्चों और उनके माता-पिता को शामिल किया गया। इन सभी को चार समूहों में बांटा गया। इन समूहों में शामिल प्रतिभागियों के मन से डर निकालने के लिए ध्यान विभाजन, सकारात्मक विचार और मेमोरी रिफ्रेमिंग का सहारा लिया गया।

सकारात्मक पहलुओं पर जोर देने की जरूरत

सुई लगाने के दौरान बच्चों से सकारात्मक बातें और पिछले अनुभवों के बारे में बातचीत की गई। इस दौरान जीवन के सकारात्मक पहलुओं पर जोर दिया गया ताकि वे बेहतर स्मृति का निर्माण कर सकें। उदाहरण के तौर पर बच्चों को विश्वास दिलाना कि वह कितना बहादुर है। इसका उद्देश्य बच्चों को जीवन के सभी मोर्चों पर संकट का सामना करने के लिए तैयार करना भी है। इस प्रकार के उपायों से बच्चों का आत्मविश्वास दृढ़ होता है और वे सुई लगाने को किसी गंभीर खतरे के रूप नहीं देखते। शोध का उद्देश्य व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम को अधिक से अधिक समर्थन देना था।


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