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COVID-19 & Obesity: मोटापा ऐसे बढ़ाता है कोरोना वायरस से संक्रमण और मौत का ख़तरा

COVID-19 Obesity कई स्टडी से संकेत मिले हैं कि मोटापा कोविड-19 के जोखिम और मौत के ख़तरे को बढ़ा देता है। इसलिए अब मोटापे को कम करना सिर्फ सामान्य स्वास्थ्य की बात नहीं रह गई है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 11:32 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 11:32 AM (IST)
COVID-19 & Obesity: मोटापा ऐसे बढ़ाता है कोरोना वायरस से संक्रमण और मौत का ख़तरा
COVID-19 & Obesity: मोटापा ऐसे बढ़ाता है कोरोना वायरस से संक्रमण और मौत का ख़तरा

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। COVID-19 & Obesity: कोविड-19 महामारी दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित कर रही है। मृत्यु दर को कम करना मेडिकल कम्युनिटी के साथ-साथ नीति निर्माताओं का टॉप फोकस रहा है। जबकि यह स्पष्ट है कि जो लोग बुजुर्ग हैं और जिन्हें को- मोर्बिलिटी (सह-रुग्णता) वाली बीमारी जैसे हृदय रोग, डायबिटीज़, लीवर की समस्या या हाई ब्लड प्रेशर है, उनमें कोरोना वायरस से मरने का ख़तरा ज़्यादा है।

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कुछ सबूतों से पता चला है मोटापा भी कोविड-19 से इन्फेक्ट होने पर इसकी गंभीरता और मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। कई स्टडी से संकेत मिले हैं कि मोटापा कोविड-19 के जोखिम और मौत के ख़तरे को बढ़ा देता है। इसलिए अब मोटापे को कम करना सिर्फ सामान्य स्वास्थ्य की बात नहीं रह गई है बल्कि यह कोविड-19 महामारी से मृत्यु दर को नियंत्रित करने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।

जितना ज़्यादा वज़न, उतना ज्यादा ख़तरा

मार्च की शुरुआत में चीन में एक छोटी सी स्टडी की गयी थी, जिसमें पता चला था कि मोटे लोगों को सामान्य लोगों के मुकाबलें यह वायरस ज्यादा संक्रमित कर रहा है और उनमें इसकी वजह से मौत का ख़तरा काफी बढ़ रहा है। अब हाल ही में पब्लिश हुई एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन की स्टडी से पता चला है कि क्लास 3 के मोटापे के मरीज़ों में इंटुबेशन या मौत का ख़तरा ज्यादा रहता है।

ज़्यादा वज़नी लोगों में सामान्य मोटे लोगों के मुकाबलें मौत का खतरा ज्यादा था। ज़्यादा वजनी होने का मतलब है कि आपके शरीर के अंगों पर पहले से ही दबाव है। शोधकर्ताओं ने 2,466 रोगियों के डेटा का विश्लेषण किया जो गंभीर रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस इन्फेक्शन की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती थे। आश्चर्य से यह देखा गया कि 65 साल से छोटे लोगों में मोटापे की समस्या ज्यादा थी। 

मोटापा, पहले से ही एक वैश्विक महामारी है

अन्हेल्थी प्रोसेस्स्ड और पोषक तत्व घने खाद्य पदार्थों की खपत में वृद्धि और शारीरिक कामकाज में कमी होने के कारण पिछले 50 सालों में दुनिया भर में एक मोटापे की महामारी फैल गई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2016 में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 1.9 बिलियन से अधिक वयस्क (एडल्ट) मोटापे से पीड़ित थे। इनमें से कम से कम 650 मिलियन लोग बहुत ज्यादा मोटे थे। वास्तव में 1975 और 2016 के बीच दुनिया भर में मोटापा लगभग तीन गुना बढ़ा है।

पहले विकसित देशों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही थी अब यह समस्या विकासशील देशों जैसे भारत में भी बहुत तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान बताता है कि भारत में 135 मिलियन से ज्यादा लोग मोटापे से पीड़ित हैं। यह मोटापा क्रोनिक बीमारियों जैसे डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग के अलावा अन्य रोगों का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर होता है।

मोटापा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून रिस्पोंस) को प्रभावित करता है

मोटापा न सिर्फ सह-रुग्णता (कोमोर्बिलिटी) वाले मरीजों को COVID के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाता है बल्कि फैट सीधे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून रिस्पोंस) को भी प्रभावित करता है। इम्युनोमेटाबोलिज्म में शोधकर्ताओं को संदेह है कि जिन लोगों को  इन्फ्लूएंजा और हेपेटाइटिस-बी आदि में टीका लगाया है उनमें मोटापे की वजह से प्रभाव कम हुआ है। जब भी कोरोना वायरस की वैक्सीन बनती है, वह भी मोटापे से ग्रस्त लोगों में बहुत कम प्रभाव डालेगी।

साइकिल चलाना समय की ज़रूरत है

कोरोना वायरस महामारी को रोकना तो ज़रूरी है ही इसके साथ ही मोटापे की महामारी को भी रोकना ज़रूरी है। इस समय फिज़िकल एक्टिविटी बहुत ही कम हो रही है क्योंकि लोग घरों के अंदर बंद हैं और आउटडोर में एक्सरसाइज़ करने के लिए जिम भी नहीं जा पा रहे हैं। कोविड के समय में फिज़ीकल एक्टिविटी को बढ़ाने से मोटापे पर अंकुश लग सकता है। ब्रिटेन ने एक्टिव ट्रांसपोर्ट पर ज़ोर देने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया है। वहां के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जो खुद कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं उन्होंने स्वीकार किया कि जब उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया तब वे काफी वज़नी थे। उन्होंने पहल शुरू की है ताकि कस्बों और शहरों में हजारों मील तक एक सुरक्षित बाइक लेन बन सके। हर किसी के लिए साइकिल ट्रेनिंग भी ऑफ़र की जा रही है और उन्हें प्रिस्क्रिप्शन के तौर पर बाइक भी उपलब्ध करवाई जा रही है।

भारत में भी मोटापा एक परेशानी 

भारत में बहुत ज़्यादा आबादी ज़्यादा वज़न की समस्या से पीड़ित है इसलिए भारत को भी ऐसी ही पहल शुरू करनी चाहिए। जिससे लोग रोज़मर्रा के जीवन में साइकिल चलाने और पैदल चलने को लेकर प्रोत्साहित हो सके। इसके लिए व्यापक अभियान की ज़रूरत है ताकि ज़्यादा वजन वाले लोगों को बड़े ख़तरें के बारे में शिक्षित किया जा सके और इस महामारी से बचने के लिए मोटापे को कम करने के लिए प्रेरित कर सकें। क्योंकि जो जितना ज्यादा मोटा रहेगा उसे उतना ही ख़तरा रहेगा। शहरी बुनियादी ढांचे को तुरंत बदलकर साइकिल चालकों के लिए ज्यादा उपयोगी बनाना चाहिए। व्यस्त सड़कों पर साइकिल चलाने और पैदल चलने वालों के लिए अलग से लेन होनी चाहिए, जिससे लोग साइकिल चलाने के लिए प्रेरित होंगे। 

ज़्यादा लोग कोरोना से संक्रमित होंगे तो हमारे हेल्थकेयर सिस्टम पर बोझ पड़ेगा और हमारा हेल्थकेयर पहले से ही बोझ के तले दबा है। इतना ही नहीं मोटापे से ग्रस्त लोग गंभीर कॉम्प्लिकेशन, रोग का इलाज करने में मुश्किल का सामना करते हैं क्योंकि यह मोटे लोगों को इंबेट करने के लिए कठिन होता है और उनके लिए डायगनोसस्टिक इमेजिंग भी मुश्किल होती है।

मोटापे से पीड़ित हैं तो ध्यान दें:

  • हर दिन 50 मिनट तक सुरक्षित फिजकल एक्टिविटी करें और यह ध्यान रखें कि पब्लिक, जिम और ग्रुप वर्कआउट सेशन न करें।
  • साइकिल चलाना और टहलना सबसे सुरक्षित आउटडोर एक्सरसाइज हैं। ये फेफड़ों की क्षमता में भी वृद्धि करते हैं। 
  • हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और जैसे कार्डियोवस्कुलर बीमारी में साइकिल चलाने से लाभ होता है रोज की एक्टिविटी जैसे कि काम पर जाने के लिए, किराना से सामान लाने के लिए साइकिल चलायें और पैदल चलें।  
  • तले हुए फ़ूड और रिफाइंड शुगर को न खाएं। ज्यादा फल, सब्जी और फाइब्रोस फ़ूड को खाएं।

-डॉ . अक्षय बुद्धराजा द्वारा इनपुट ,आकाश हेल्थकेयर &सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, स्लीप मेडिसिन &रेस्पिरेटरी कंसल्टेंट


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