इस नई डिवाइज से आसान हो गई है कोरोना के मरीजों की पहचान
कोरोना के मरीजों को पहचानेगा ये डिवाइज। कई सेंसर से बना ये डिवाइज गले पर लगा दिया जाता है और ये कोरोना के मरीजों की पहचान कर लेता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस के लक्षणों की पहचान आज-कल डॉक्टरों के लिए भी बड़ी परेशानी का कारण है। कई बार कोरोना के मरीजों का टेस्ट पॉजिटिव आ जाता है, लेकिन मरीज में किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखते। कई बार कोरोना के लक्षण काफी देर से दिखते है और तब तक आसपास कई लोग कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं। इसे देखते हुए इस समय ऐसे सेंसर और डिवाइज की जरूरत है, जो तुरंत कोरोना के लक्षणों को पहचाने, ताकि उससे ज्यादा संक्रमण का खतरा नहीं रहे।
यही काम नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो और शर्ली रयान एबिलिटी लैब ने एक खास स्टीकर तैयार करके किया है, जो देखने में काफी हद तक बैंडएड की तरह है। इस स्टीकर को गले (कंठ) पर चिपका दिया जाता है। इसमें कई सारे सेंसर्स लगे हैं जिन्हें कोरोना सेंसर कहा जा रहा है।
कोरोना सेंसर को अभी तक 25 लोगों पर इस्तेमाल भी किया जा चुका है। सेंसर को एक वायरलेस चार्जर के जरिए चार्ज किया जाता है और डाटा को मोबाइल एप के जरिए लिंक किया जाता है। सेंसर में कोई पोर्ट नहीं दिया गया है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी सपोर्ट है।
कोरोना सेंसर को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह कफ, सांस लेने की गति, वाइब्रेशन के आधार पर कोरोना के लक्षण के बारे में बताता है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन रोजर ने बताया कि प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए इस स्टीकर में माइक्रोफोन का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसमें हाई बैंडविड्थ और ट्राई एक्सिस एक्सीलेरोमीटर का इस्तेमाल किया गया है, ताकि सांस लेने के पैटर्न को ट्रैक किया जा सके। यह सेंसर हर्ट रेट और शरीर का तापमान मापने का भी काम करता है। कोरोना सेंसर में ऑक्सीजन मीटर नहीं दिया गया लेकिन रोजन ने कहा है कि सेंसर के अगले वर्जन में ऑक्सीजन मीटर का सपोर्ट दे दिया जाएगा।
Written By Shahina Noor