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Coronavirus Oxford Vaccine: शुरुआती ट्रायल में सुरक्षित साबित हुई ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, जानें कैसे करती है काम!

Coronavirus Oxford Vaccine रिपोर्ट के मुताबिक इस वैक्सीन पर आगे भी क्लीनिकल शोध होना चाहिए जिसमें बुज़ुर्गों पर भी इस वैक्सीन का ट्रायल करना चाहिए।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 03:27 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 06:22 PM (IST)
Coronavirus Oxford Vaccine: शुरुआती ट्रायल में सुरक्षित साबित हुई ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, जानें कैसे करती है काम!
Coronavirus Oxford Vaccine: शुरुआती ट्रायल में सुरक्षित साबित हुई ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, जानें कैसे करती है काम!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Oxford Vaccine: ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राज़ेनेका कोविड-19 वैक्सीन के शुरुआती नतीजों का पॉज़ीटिव आना, कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धी मानी जा रही है। इस वैक्सीन को शुरुआती ट्रायल में सुरक्षित और इम्यूनिटी बढ़ाना वाला पाया गया है। 20 जुलाई को मेडिकल जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस ट्रायल में 1,077 लोगों ने हिस्सा लिया था।    

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इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस वैक्सीन पर आगे भी क्लीनिकल शोध होना चाहिए, जिसमें बुज़ुर्गों पर भी इस वैक्सीन का ट्रायल करना चाहिए। मौजूदा नतीजों का फोकस इम्यून रिस्पोन्स पर था। आगे भी परिक्षण की ज़रूरत है, जिसमें ये साफ हो कि ये वैक्सीन संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा कर पाती है या नहीं।  

कैसे काम करती है ऑक्सफोर्ड कोविड-19 की वैक्सीन?

AZD1222 COVID-19 vaccine, इसे ब्रिटेन की बायोफार्माक्यूटिकल कंपनी AstraZeneca के साथ मिलकर ऑक्सफोर्ड के जेन्नर इंस्टीट्यूट ने विकसित किया था। इसे पहले ChAdOx1 nCoV-19 के नाम से जाना जा रहा था। ये एक्सपेरीमेंटल वैक्सीन मई में ट्रायल के 2/3वें चरण में पहुंच गई। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 की एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन 18 से 55 साल की उम्र वाले लोगों में इम्यूनिटी को दोहरा शक्तिशाली बनाती है। खासकर उन लोगों में जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमण या उसके लक्षण कभी महसूस नहीं हुए। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन शरीर की टी-कोशिकाओं में प्रतिक्रिया का एक कारण भी बनती है, जो कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करती है। बढ़ते सबूत से पता चलता है कि एंटीबॉडी के साथ एक टी-सेल प्रतिक्रिया, SARS-CoV-2 संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते है। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने पाया कि वैक्सीनेश के 14 दिनों बाद टी-कोशिकाएं का स्तर काफी बढ़ गया, वहीं एंटीबॉडी का स्तर 28 दिनों बाद उच्च स्तर पर पहुंच गया।  

ट्रायल का यह निष्कर्ष बहुत ही आशाजनक है, यह दिखाता है कि वैक्सीन वायरस को पहचानने और हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित कर सकती है।


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