Chikugunya Fever: क्या छूने से भी फैलता है चिकनगुनिया वायरस का संक्रमण?
Chikugunya Fever चिकनगुनिया वायरस एक मच्छर से फैलने वाला अल्फावायरस है। वैश्विक वितरण से पता चलता है कि चिकनगुनिया एक ख़तरनाक दर से आगे बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Chikugunya Fever: चिकनगुनिया एक ख़तरनाक वैश्विक महामारी है। चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है जो संक्रमित मच्छरों द्वारा मानव में फैलती है। यह एडीज़ एजिप्टी और एडीज़ अल्बोपिक्टस मच्छरों से फैलता है। चिकनगुनिया वायरस एक मच्छर से फैलने वाला अल्फावायरस है। वैश्विक वितरण से पता चलता है कि चिकनगुनिया एक ख़तरनाक दर से आगे बढ़ रहा है। यह वायरस नए क्षेत्रों में फैलने की क्षमता रखता है क्यूंकि यह एक यात्रा से जुड़ी बिमारी है। इस वायरस के चार अलग-अलग जीनोटाइप एशियाई, पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका और हिन्द महासागर में पाए गए हैं।
चिकनगुनिया की पहचान भौगोलिक पहचान के अनुसार लगभग चालीस देशों में की गई है जैसे, एशिया में कम्बोडिया, भारत, इंडोनशिया, मलेशिया, मालदीव, पाकिस्तान, म्यांमार, ताइवान, थाईलैंड, वियतनाम जैसे देशों में प्रलेखित है। यूरोपिए देशों में एकमात्र इटली में इसका प्रकोप देखा गया है।
इस बीमारी की उत्पत्ति अफ्रीका में हुई और तब से पूरी दुनिया को प्रभावित करती है। एक मच्छर से फैलने वाला अल्फावायरस, जो संबद्ध बीमारी की अत्यधिक दुर्बल प्रकृति और इसके प्रसार की अभूतपूर्व भयावहता के कारण एक वैश्विक महामारी के रूप में उभरी है। चिकनगुनिया की उत्पत्ति अफ्रीका में हुई और तब से लेकर पूरे विश्व में बड़ी संख्या में फैल गया। इस वायरस ने एशिया, यूरोप, अमेरिका और प्रशांत द्वीप समूह के लाखों लोगों को संक्रमित कर दिया है। चिकनगुनिया की पहचान एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका जैसे कई देशों में की गई है।
चिकनगुनिया के लक्षण
चिकनगुनिया एक मच्छर जनित वायरल बीमारी है जिसे प्रथम दक्षिणी तंजानिया में फैलने के दौरान बताया गया था। यह एक RNA वायरस है जो आल्फवायरस जीनस से संबंध रखता है। मच्छर काटने के चार से सात दिनों के बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। वह लक्षण निम्नलिखित हैं:
-तेज़ बुखार
-जोड़ों का दर्द
-सिर दर्द
-मांसपेशिओं में दर्द
-थकान
-जी मचलना
-आंखों में दर्द
-गले में खराश
जोड़ों का दर्द अक्सर मरीज़ को दुर्बल कर देता है। आम तौर पर यह दर्द कुछ दिनों तक रहता है और लम्बे समय तक बना रह सकता है। अधिकांश रोगी ठीक हो जाते हैं, लेकिन जोड़ो का दर्द कई महीनों और वर्षों तक बना रहता है। आंख, न्यूरोलॉजिकल संबंधित जटिलताएं इन मामलों में उभर कर आ सकती हैं और कई मामलों में गैस्ट्रोइंटेस्टिनल शिकायतें भी दर्ज की गयी हैं। दर्द के कारण पीड़ित मरीज़ कुछ खा पी नहीं सकता है और इस वजह से पानी की कमी हो जाती है। चिकनगुनिया का परीक्षण सेरोलॉजिकल टेस्ट द्वारा पता लगाया जाता है।
चिकनगुनिया कैसे फैलता है
संक्रमित मादा मच्छरों के काटने से वाइरस मनुष्यों में फैलता है। इसका अर्थ है मच्छर तब संक्रमित होते है जब वे इस वायरस से संक्रमित किसी अन्य व्यक्ति को काटते है और संक्रमित मच्छरों के काटने के माध्यम से अन्य व्यक्तियों में यह फैलता है। यह बीमारी उन्ही मच्छरों से होती है, जो डेंगू वायरस को प्रसारित करते हैं। यह मच्छर दिन के दौरान और रात में भी काटते है। ज़्यादातर दिन के उजाले में यह मच्छर काटते हुए पाया जाता है। एडीज़ एजीप्टि और एडीज़ अल्बोपिक्टस मच्छरों से फैलता है। चिकनगुनिया वायरस एक मां से उसके नवजात शिशुओं में नहीं फैलता है, लेकिन यह किसी संक्रमित व्यक्ति के ब्लड transfusion से सम्भवत फैल सकता है लेकिन इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है।
चिकनगुनिया का इलाज़
एम्स के प्रोफेसर डॉ. ललित डार का ये भी कहना है कि चिकनगुनिया के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए कुछ उपचार हैं जैसे एंटी पायरेटिक्स जोड़ों के दर्द को कम करता है। चिकनगुनिया का कोई वैक्सीन या वास्तविक इलाज़ उपलब्ध नहीं है।
कुछ लक्षण हफ्ते भर में ठीक हो सकते हैं। अस्टमीनोफेन और आइबूप्रोफेन आपके बुखार को कम करने में मदद कर सकता है। आपको ज़्यादातर तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए और आराम करना ज़रूरी है। यह वायरस उनके लिए गंभीर हो सकते हैं जो उच्च रक्तचाप, दिल की बिमारी और डायबिटीज़ बिमारियों से पीड़ित हैं।
आपको अपने आस पास कोई भी बर्तन में जमा पानी नहीं रखना चाहिए इससे मच्छरों का जन्म हो सकता है। प्रत्येक दिन कूलर का पानी और गमले का पानी बदलते रहें। हल्दी, अदरक, हींग जैसे चीज़ों का खाने में सेवन करें। अपने आस पड़ोस में सफाई रखें। मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशक का प्रयोग कीजिए और जितना संभव हो उतना कम्युनिटी में सफाई रखें। अगर आपको इस बीमारी के लक्षण दिखें तो अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें।
निष्कर्ष
यह बीमारी छूने से नहीं फैलती है बल्कि यह चिकिनगुनिया से ग्रस्त व्यक्ति को एडीज़ के मच्छर काटने से फैलती है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन और सभी देशों ने इसके रोकथाम के लिए बेहतरीन कदम उठाए हैं और बहुत हद तक यह बीमारी नियंत्रण में है। आप अपनी गली मोहल्ले को साफ़ सुथरा रखें और जितना संभव हो संक्रमित जगहों के मच्छरों से दूर रहें और प्रशासन को इसकी सुचना अवश्य दें।