Move to Jagran APP

Black Fungus: क्या कोविड-19 से संक्रमित हुए बिना भी हो सकता है ब्लैक फंगस इंफेक्शन?

Black Fungus ब्लैक फंगल संक्रमण या कहें म्यूकोर-मायकोसिस एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो एक म्यूकोर्मिसेट्स के रूप में जाने वाले मोल्डों के समूह के कारण होता है। ये संक्रमण अक्सर कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अपना शिकार बनाता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 09:40 AM (IST)
Black Fungus: क्या कोविड-19 से संक्रमित हुए बिना भी हो सकता है ब्लैक फंगस इंफेक्शन?
क्या कोविड-19 से संक्रमित हुए बिना भी हो सकता है ब्लैक फंगस इंफेक्शन?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Black Fungus: कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने भारत में कहर मचाया हुआ है। अब कोविड के साथ भारत दूसरे तरह के संक्रमणों से भी जूझ रहा है। अभी तक देश भर में फंगस इफेक्शन के 9000 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं। जिसकी वजह से ब्लैक फंगस को भी कई राज्य सरकारों ने एपीडेमिक घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस से पहले से परेशान लोगों में पहले ब्लैक और फिर वाइट फंगस ने चिंता को बढ़ा दिया है। 

loksabha election banner

ब्लैक फंगल संक्रमण या कहें म्यूकोर-मायकोसिस, एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है, जो एक म्यूकोर्मिसेट्स के रूप में जाने वाले मोल्डों के समूह के कारण होता है। ये संक्रमण अक्सर कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अपना शिकार बनाता है। खासतौर पर डायबिटीज़ से पीड़ित और गंभीर कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए स्टेरॉयड का अत्यधिक उपयोग होने पर। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन उन लोगों में भी देखा गया जिन्हें कोविड-19 संक्रमण नहीं हुआ।

किन लोगों को है ब्लैक फंगस होने का ख़तरा?

ब्लैक फंगस संक्रमण पैदा करने वाले रोगजनक हमेशा से ही पर्यावरण में मौजूद रहे हैं, विशेष रूप से मिट्टी में और सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थों, जैसे कि पत्तियों, खाद के ढेर, या सड़ी हुई लकड़ी में। लेकिन, यह सिर्फ कमज़ोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को ही संक्रमित करता है और स्वस्थ व्यक्ति के लिए कोई खतरा नहीं है। मधुमेह से पीड़ित लोगों को इस संक्रमण के विकसित होने का अधिक ख़तरा होता है।

अगर वे कोरोना वायरस के टेस्ट में पॉज़ीटिव नहीं आते हैं, तो वे इस दुर्लभ फंगल संक्रमण का शिकार हो सकते हैं अगर उनका रक्त शर्करा स्तर विशेष रूप से अधिक बढ़ा हुआ है। अगर रोगी अनियंत्रित मधुमेह के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित है, तो संक्रमण विकसित होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

ब्लैक फंगल कैसे संक्रमित करता है?

अगर कोई ऐसा व्यक्ति जिसकी इम्यूनिटी कमज़ोर है, उसकी सांस के ज़रिए वातावरण में मौजूद रोगजनक श्वसन प्रणाली में प्रवेश करते हैं और उनके साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। कोविड की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर कहीं ज़्यादा संक्रामक है, इसीलिए ज़्यादातर मरीज़ों को स्टेरॉयड्स दिए जा रहे हैं। जिसकी वजह से इम्यूनिटी और कमज़ोर हो जाती है और मरीज़ दूसरे दुर्लभ  संक्रमणों का शिकार होने लगता है। 

क्या फंगल इंफेक्शन होने का मतलब कोविड पॉज़ीटिव होना भी है?

​कोरोना वायरस और ब्लैक फंगल इंफेक्शन एक ही समय में नहीं होते। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ब्लैक फंगस तभी होता है जब व्यक्ति के शरीर में मौजूद कोविड संक्रमण ख़त्म हो जाता है। कोविड संक्रमण के 14 दिनों बाद एक मरीज़ को एंटी-वायरल ट्रीटमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ती, सिर्फ ब्लैक फंगस का इलाज होना चाहिए। 14 दिनों बाद भी RT-PCR शरीर में वायरस दिखा सकता है, लेकिन इसके ग़लत पॉज़ीटिव रिपोर्ट माना जाता है। 

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.