नई दिल्ली, रूही परवेज़। Diabetes & Poor Sleep: नींद न आने की दिक्कत काफी आम है। जिसकी वजह से सेहत से जुड़ी कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। कम नींद लेने की वजह से स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम समस्याओं में से एक है टाइप-2 डायबिटीज़। स्लीपिंग पेटर्न के बिगड़ने पर शरीर में इन्सुलिन रेजिस्टेंस होने लगता है। टाइप-1 डायबिटीज़ में आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है इसलिए आपको नियमित रूप से इन्सुलिन लेना पड़ता है। वहीं, टाइप-2 डायबिटीज़ में शरीर इंसुलिन तो बनाता है पर वह पर्याप्त नहीं होता है। इसलिए नींद न पूरी होने से टाइप-2 डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ता है।
खराब नींद का टाइप 2 डायबिटीज़ से क्या संबंध है?
मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में कंसल्टेंट एंडोक्रायनोलॉजिस्ट, डॉ. स्नेहा कोठारी का कहना है, " सिर्फ अस्वास्थ्य खाना, मोटापा, गतिहीन जीवनशैली से ही टाइप-2 डायबिटीज़ डेवेलप नहीं होती; नींद की कमी भी इसमें योगदान होता है। दरअसल, नींद आपके स्वास्थ्य के लिए उतनी ही ज़रूरी है, जितना कि पोषण और व्यायाम। नींद की कमी से कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन रिलीज़ होते हैं जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंस होता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है। इसके अलावा, इन स्ट्रेस हार्मोन के उच्च स्तर से उन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों की क्रेविंग होती है, जो शुगर और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं। यह समय के साथ वज़न बढ़ने का कारण बनता है जिससे टाइप-2 डायबिटीज़ विकसित होती है। नींद की कमी से वज़न कम करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, अपर्याप्त नींद से हार्मोन लेप्टिन का स्तर कम होता है ऐसा देखा गया है, जो कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित करने में मदद करता है। लेप्टिन का निम्न स्तर कंस्यूम की गई कैलरी की संख्या के अलावा कार्बोहाइड्रेट के लिए शरीर की क्रेविंग को बढ़ाता है ऐसा देखा गया है। लेप्टिन के निम्न स्तर ने कैलोरी की खपत की संख्या की परवाह किए बिना कार्बोहाइड्रेट के लिए शरीर की लालसा को बढ़ता हुआ देखा है।
क्या हैं वॉर्निंग साइन्स?
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन एंड द स्लीप रिसर्च सोसाइटी वयस्कों को हर रात कम से कम 7 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं। दिन के समय नींद आना और दिन में अत्यधिक थकान महसूस होना खराब नींद के लक्षण हैं। अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
1. सोच धीमी होना
2. ध्यान देने की अवधि कम होना
3. याददाश्त बिगड़ना
4. एनर्जी की कमी
5. तनाव, चिंता, या चिड़चिड़ापन की भावनाओं सहित मूड स्विंग्स
टाइप-2 डायबिटीज़ को रोकने के लिए लाइफस्टाइल में क्या बदलाव होने चाहिए?
अच्छी नींद लेना और वीकएंड पर भी नियमित रूप से सोने का समय रखना महत्वपूर्ण है। ये टिप्स आपकी नींद पूरी करने में मदद कर सकते हैं:
• सोते समय बेडरूम में अंधेरा रखने के साथ इसे शांत, आरामदेह और ठंडा रखें।
• बेडरूम से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को हटा दें।
• दिन में कुछ शारीरिक गतिविधि करें ताकि आपका शरीर थके।
• सोने से पहले मानसिक रूप से सब कुछ भूलकर रिलॅक्स करने की कोशिश करें।
• एक ऐसा रुटीन बनाएं जो आपको सोने के लिए तैयार करे, जैसे नहाना या पढ़ना।
• थके होने पर ही सोने के लिए जाएं।
और यहां कुछ ऐसे चीजें दिए गए हैं जिनसे आपको बचना चाहिए:
• शाम के समय कैफीन, अल्कोहॉल या निकोटीन के सेवन से बचें।
• दोपहर 3 बजे के बाद सोने से बचें और लंबी नींद लेने से भी बचें। इससे सोने का समय होने पर आपको कम थकान महसूस हो सकती है।
स्वस्थ शरीर के लिए आराम बेहद ज़रूरी
मुंबई के मसीना हॉस्पिटल में कंसल्टेंट एंडोक्रायनोलॉजिस्ट, डायबेटोलॉजिस्ट और मेटाबोलिक सुपरस्पेशलिस्ट, डॉ. अल्तमश शेख ने कहा, " जैसे शरीर के लिए न्यूट्रिशन और हाइड्रेशन की ज़रूरत होती है, वैसे ही आराम भी ज़रूरी है। कुछ लोगों में खर्राटों की समस्या होती है, जिसे OSA, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहा जाता है; यह डायबिटीज़ वाले आधे लोगों में पाया जा सकता है। अगर नींद अच्छे से नहीं आती है, विशेष रूप से रात की नींद लेना चुनौतीपूर्ण हो रहा है, तो इससे इंसुलिन संवेदनशीलता बदल जाती है। हालिया ही में अगर सिरदर्द, बुरे सपने, नींद के बाद ताज़ा महसूस न होना, खर्राटे, वज़न बढ़ना जैसे लक्षण चेतावनी के संकेत हो सकते हैं। OSA का इलाज न कराना और गंभीरता सीधे तौर पर ख़राब डायबिटीज़ से संबंधित है। डायबिटीज़ से बचाव के लिए भोजन, पानी, नींद और व्यायाम चारों चीज़ों का उपयोग करना चाहिए। समय पर भोजन करना, संतुलित पोषण के साथ स्वस्थ भोजन, चाहे घर या होटल में खाना हो बड़े भोजन से बचना, पर्याप्त हाइड्रेशन, समय पर सोना, यानी रात 10 बजे से सुबह 5/6 बजे तक मदद करता है, दैनिक दिनचर्या में व्यायाम, बैठने की नौकरी में काम के घंटे में जब भी संभव हो मसल स्ट्रेच ब्रेक्स लेना, ये कुछ उपाय हैं जो डायबिटीज़ को रोकने में मदद कर सकते हैं।