नन्हें-मुन्नों के सही पोषण और विकास के लिए उन्हें दें सिर्फ मां का दूध
5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स के ऑप्शन्स जैसे कोकोनट मिल्क सोया मिल्क आमंड मिल्क कैश्यू मिल्क जैसे प्लांट बेस्ड नॉन डेयरी प्रोडक्ट देना सही नहीं होता।
यह तो आपको पता ही है कि शिशुओं के लिए अलग-अलग तरह के डेयरी प्रोडक्ट्स बहुत फायदा करते हैं, लेकिन इस मामले में यह ध्यान देने वाली बात है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स के ऑप्शन्स जैसे कोकोनट मिल्क, सोया मिल्क, राइस मिल्क, आमंड मिल्क, कैश्यू मिल्क और अन्य प्लांट बेस्ड नॉन डेयरी प्रोडक्ट देना उनकी सेहत के लिए सही नहीं होता है। यह कहना है अमेरिकी वैज्ञानिकों का।
प्लांट बेस्ड डेयरी प्रोडक्ट्स के फायदे/नुकसान
वैज्ञानिकों और शिुशरोग विशेषज्ञों के अनुसार प्लांट बेस्ड नॉन डेयरी प्रोडक्ट दूध जितना फायदेमंद नहीं होते हैं। प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम न केवल विटामिन सी, बी-12, पोटेशियम, प्रोटीन आदि को बैलेंस करता है, बल्कि कैल्शियम को भी बैलेंस करने का काम करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लांट बेस्ड मिल्क की वजह से बच्चों को एलर्जी होने की संभावना रहती है। बहुत छोटे बच्चों को बादाम, काजू, ओटस, चावल, क्विनोआ आदि का सेवन नहीं करवाना चाहिए। हालांकि इन खाद्य पदार्थो में तमाम तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, लेकिन नन्हें-मुन्नों के लिए इनका सेवन बहुत फायदेमंद नहीं होता है। लंबे समय तक इनका सेवन करवाने पर बच्चों को फायदा कम मिलता है, जबकि नुकसान अधिक हो सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों को विभिन्न प्रकार के कोल्ड ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड फ्रूट जूस, सोडा आदि भी नहीं देना चाहिए। इसी प्रकार से फास्ट फूड और जंक फूड से भी बच्चों को दूर रखना चाहिए।
मां का दूध क्यों है जरूरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लांट बेस्ड नॉन डेयरी मिल्क भी बच्चों के लिए उतना फायदा नहीं करता है, जितना कि डेयरी मिल्क का सेवन करता है। यह तो आपको पता ही है कि छोटे बच्चों के लिए मां का दूध कितना फायदेमंद होता है। शिशुओं के लिए शुरुआती दिनों में मां का दूध न केवल उन्हें कुपोषण से बचाता है, बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि छोटे बच्चों के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व डेयरी मिल्क से ही मिलते हैं। हालांकि इस संदर्भ में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि डेयरी मिल्क शुद्ध होना चाहिए। केमिकल युक्त दूध बच्चों को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान ही पहुंचाते हैं। इसलिए बच्चों को पिलाए जाने वाले दूध के मामले में यह सुनिश्चित करें कि वह केमिकल युक्त नहीं है और न ही उसमें किसी प्रकार के हानिकारक केमिकल्स का प्रयोग किया गया है।