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इन वजहों से कोरोना की सेकेंड वेव के बाद लोगों में बढ़ रही है एंजाइटी, डिप्रेशन के साथ साइकोसिस की समस्या

लगभग एक साल से बड़े वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं और बच्चे ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं। ऐसे में उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ गया है। अग्रेशन लेवल इंप्रेशन ऑफ स्पीच जैसी कई दिक्कतें देखने को मिल रही हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 10:53 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 10:53 AM (IST)
इन वजहों से कोरोना की सेकेंड वेव के बाद लोगों में बढ़ रही है एंजाइटी, डिप्रेशन के साथ साइकोसिस की समस्या
हाथों से नाक को पकड़े परेशान पुरुष

कोरोना वायरस का डर दिलो दिमाग पर इस कदर बैठ गया है कि कोरोना संक्रमण से ठीके होने के बाद भी कई लोगों में इसका असर दिमाग में नहीं निकल रहा। ऐसे लोग जिन्होंने सेकेंड वेव में किसी अपने को खोया है। उनमें एंजाइटी, डिप्रेशन के साथ साइकोसिस की प्रॉब्लम ज्यादा दिख रही है।

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सेकेंड वेब के बाद बढ़ी है ज्यादा प्रॉब्लम

मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि पहली वेव के बाद जहां 100 में से 5 से 6 पेशेंट्स पोस्ट कोविड मेंटल प्रॉब्लम्स के साथ आते थे। वहीं अब ऐसे पेशेंट्स की संख्या बढ़कर 15 से 16 तक हो गई है। इनमें से ज्यादातर में डिप्रेशन और एंग्जाइटी की प्रॉब्लम पाई जा रही है। इसके अलावा सोमेटाइजेशन की दिक्कत के साथ भी लोग आ रहे हैं। इन्हें ट्रीट करना भी बड़ी चुनौती होता है। ट्रीटमेंट के साथ इन पेशेंट्स की काउंसिलिंग भी करके उनको हौसला भी दिया जा रहा है। एंग्जाइटी, डिप्रेशन के साथ साइकोसिस की प्रॉब्लम ज्यादा दिख रही है।

इनसिक्योरिटी फीलिंग बढ़ी

कोरोना वायरस की सेकेंड वेव के बाद लोगों में सबसे बड़ी समस्या जो सामने आ रही है वह है इनसिक्योरिटी फीलिंग। इंडियन साइक्रियाटिक सोसाइटी की ओर से कोरोना वारयस की पहली वेव के दौरान सर्वे कराया गया था। जिसमें लोगों में कोरोना की वजह से मेंटल हेल्थ से जुड़ी प्रॉब्लम्स बढ़ने की पुष्टि हुई थी। वहीं अब दूसरी वेव के बाद भी एक सर्वे अभी चल रहा है। इंडियन साइक्रियाटिक सोसाइटी का सेंट्रल जोन जोकि सबसे बड़ा जोन है। उससे जुड़े मानसिक रोग विशेषज्ञ भी किस तरह की समस्याएं बढ़ी हैं। इसे लेकर पड़ताल कर रहे हैं। साथ ही फोन पर काउंसिलिंग भी दे रहे हैं।

उलझन के साथ दर्द

वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि कुमार बताते हैं कि अब जो पेशेंट्स आ रहे हैं। उनमें सोमेटाइजेशन की प्रॉब्लम हैं। उन्हें उलझन होती है। शरीर में दर्द और एठन की शिकायत लेकर आते हैं। जबकि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। प्रॉब्लम मेंटल हेल्थ से जुड़ी होती है। ऐसे पेशेंट्स को ट्रीट करना कठिन होता है क्योंकि उनकी लंबी काउंसिलिंग करनी पड़ती है। सबसे ज्यादा पेशेंट एंजाइटी और डिप्रेशन के साथ आते हैं। कुछ पेशेंट्स में साइसोसिस की प्रॉब्लम भी होती है।

Pic credit- freepik


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